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रियासती एकीकरण के प्रथम पक्षकार महाराणा भूपाल सिंह - प्रो. सारंगदेवोत

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18 Feb 20
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रियासती एकीकरण के प्रथम पक्षकार महाराणा भूपाल सिंह - प्रो. सारंगदेवोत

उदयपुर  / इतिहास एवं संस्कृति विभाग, माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय और लोकजन सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में महाराणा भूपाल सिंह के व्यक्तित्व और कृतित्त्व पर आयोजित संगोष्ठी (Seminar organized on the personality and work of Maharana Bhupal Singh)में मुख्य अतिथि कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि सर्वप्रथम रियासती एकीकरण के पक्षकार महाराणा भूपालसिंह थे। उनको इस सहयोग के लिए उनको पूरे भारत के एकीकरण के दौरान मार्ग प्रदर्शक की छवि के रूप में पेश किया गया। संगोष्ठी अतिथियों का स्वागत उद्बोधन डाॅ. हेमेन्द्र चैधरी ने किया तथा भूपालसिंह जी के जीवन के महात्वपूर्ण पहलूओं पर चर्चा की। प्रो. सुमन पामेचा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए अपने विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी की विशिष्ट अतिथि डाॅ. कल्पना शर्मा, जिला परिवहन अधिकारी, उदयपुर ने कहा कि महाराणा भूपाल सिंह जी ने परिवहन का जो सपना देखा वह आज पूरा हो रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. के.एस. गुप्ता ने की। उन्होंने बताया कि महाराणा ने महिला शिक्षा के उपर बहुत अधिक काम किया (Maharana did a lot of work on women's education)है। सिविल सर्विस की तैयारी की शुरूआत मेवाड़ से हुई। विशिष्ट अतिथि श्री रियाज हुसैन ने शायराना अंदाज में महाराणा भूपालसिंह जी के कार्याें का बखान किया। संगोष्ठी का संचालन डाॅ. ममता पूर्बिया ने किया। उद्घाटन समारोह के बाद संगोष्ठी के दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया, प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो. जी.एन.माथुर और प्रतिवेदन प्रो. दिग्विजय भटनागर ने किया तथा द्वितीय तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डाॅ. अविनाश पारिक और प्रो. नीलम कौशिक ने प्रतिवेदन किया।
इन दोनों तकनीकी सत्रों में कुल 15 शोध पत्रों का अध्ययन किया गया, जिसमें प्रो. नीलम कौशिक ने ‘‘महाराणा भूपाल सिंह का शिक्षा में योगदान’’, डाॅ. ललित पाण्डे ने महाराणा भूपाल सिंह ‘‘आधुनिकता और परम्परा का अद्भुत व्यक्तित्व’’, डाॅ. हेमेन्द्र चैधरी ने ‘‘मेवाड़ का नवीन संविधान की विशेषताएं एवं बाधाएं’’, डाॅ. मनीष श्रीमाली ने ‘‘महाराणा भूपालसिंह के कार्यकाल की समीक्षा’’, डाॅ. छगन जी बोहरा ने ‘‘महाराणा भूपालसिंह जी धार्मिक-सामाजिक कृतित्व’’, डाॅ. प्रियदर्शी ओझा ने ‘‘महाराणा भूपालसिंह के समकालीन मेवाड़ के सन्त’’, डाॅ. नारायणसिंह राव ने ‘‘महाराणा भूपालसिंह के व्यक्तित्व मे समाज में प्रभाव’’, डाॅ. राजेन्द्र नाथ पुरोहित ने ‘‘महाराणा भूपालसिंह कालीन त्यौहार‘‘, डाॅ. कैलाश जोशी ने ‘‘मेवाड़ में शिक्षा का आधुनिकीकरण’’, डाॅ. गिरीशनाथ माथुर ने ‘‘कुशल प्रशासक: महाराणा भूपालसिंह’’, प्रो. दिग्विजय भटनागर ने ‘‘सामाजिक उत्कर्ष के प्रणेता महाराणा भूपालसिंह’’, डाॅ. राधाकृष्ण वशिष्ट ने ‘‘महाराणा भूपालसिंह कालीन मेवाड़ के कुलगुरू एवं चित्रकार’’, पं. हरिशंकर पुरोहित ने ‘‘महाराणा भूपालसिंह और ठिकाना लुहारिया स्वतन्त्रता आन्दोलन के संदर्भ में’’, डाॅ. अविनाश पारीक ने ‘‘आधुनिक राजस्थान के निर्माण में महाराणा भूपालसिंह जी का योगदान’’, तथा बिजौलिया राव सवाई जय सिंह ने संगोष्ठी में विशेष आमन्त्रित सदस्य के रूप में समग्रता में महाराणा भूपाल सिंह जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को पेश किया।
संगोष्ठी में प्रो. विमल शर्मा, अध्यक्ष लोकजन सेवा संस्थान ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया तथा श्री इंद्रसिंह राणावत ने सभी शोधार्थियों को उपरणा पहनाकर सम्मानित किया। इस कार्यक्रम में डाॅ. विष्णु माली, सनत जोशी, डाॅ. कैलाश गुर्जर, डाॅ. दिलीप सिंह चैहान, आशीष नन्दवाना, विनीत सोनेजी, आरिफ हुसैन आदि सभी संगम साथी उपस्थित थे।


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