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तीन पुतुल नाटकों की शानदार प्रस्तुतियाँ

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16 Nov 19
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तीन पुतुल नाटकों की शानदार प्रस्तुतियाँ

उदयपुर | भारतीय लोक कला मण्डल में  ५ दिवसीय राष्ट्रीय पुतुल नाट्य समारोह के दूसरे दिन भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डॉ. लईक हुसैन द्वारा निर्देशित एवं लिखित कठपुतली नाटक ’’स्वामी विवेकानन्द‘‘, उत्तर प्रदेश के मयूर पपेट थिएटर द्वारा प्रदीपनाथ त्रिपाठी के निर्देशन में ’’गुलाबो सिताबो‘‘ एवं  तमिल नाडु के द इंडियन पपेटीयर्स थिएटर द्वारा ‘‘सीता की खोज‘‘ निर्देशन सीतालक्ष्मी साहुकारू की शानदार प्रस्तुतियों से  हुई ।

भारतीय लोक कला मण्डल के मुक्ताकाषी रंगमंच पर संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली द्वारा भारतीय लोक कला मण्डल के सहयोग से पाँच दिवसीय राष्ट्रीय पुतुल नाट्य समारोह के दूसरे दिन  भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डॉ. लईक हुसैन द्वारा निर्देशित एवं लिखित कठपुतली नाटक ’’स्वामी विवेकानन्द‘‘, उत्तर प्रदेश के मयूर पपेट थिएटर का पुतुल नाटक प्रदीपनाथ त्रिपाठी द्वारा निर्देशित ’’गुलाबो सिताबो‘‘ एवं  तमिल नाडु के द इंडियन पपेटीयर्स थिएटर द्वारा ‘‘सीता की खोज‘‘ निर्देशन सीतालक्ष्मी साहुकारू की शानदार प्रस्तुतियाँ हुई ।

राजस्थान की पारंपरिक धागा पुतुल शैली में भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर के कलाकारों ने स्वामी विवेकानन्द के जीवन एंव उनके द्वारा मानव समाज कि उन्नती हेतु दिये गए सन्देशो को आम जन तक पहुचाने के उद्धेश्य से स्वामी विवेकानन्द कठपुतली नाटिका का प्रस्तुतिकरण किया । सभी आयु वर्ग के लोगों, खास कर बच्चों को उक्त नाटक के माध्यम से स्वामी विवेकानन्द के जीवन मूल्यों एंव संदेशों को पहुचाने हेतु नाटक में स्वामी विवेकानन्द की कहानियों को पिरोया गया है। साथ ही दृश्यों को सजीव एवं आकर्षक बनाने हेतु इस नाटिका में लगभग ७० पुतलीयों और २० पर्दो का उपयोग किया गया है ।

समारोह की दूसरी प्रस्तुति पारंपरिक दस्ताना पुतुल थिएटर, उत्तर प्रदेश के मयूर पपेट थिएटर द्वारा गुलाबो सिताबो का मंचन हुआ जिसकी कहानी गुलाबो सिताबो दो महिलाओं की कहानी है जो आपस में सौतन है, और आपस में बात-बात पर नोकझोंक और अपने को दूसरे से बेहतर बताने की कोशीश में लगी रहती है प्रस्तुती में परंपरागत प्रसंग में मास्टर भूरे का भी जिक्र है, वहीं सौतन कि नोकझोंक का एक नवीन प्रसंग जोडा गया है ।

 समारोह कि तीसरी प्रस्तुति पारंपरिक छाया पुतुल थियेटर, तमिल नाडु के द इंडियन पपेटियर्स  द्वारा सीतालक्ष्मी शाहूकारू द्वारा निर्देषित नाटक  ’’सीता की खोज की कहानी राम और लक्ष्मण के निर्वासित स्थान पंचवटी से शुरू होती है । लक्ष्मण शूर्पनखा की नाक काट लेते है उसके बाद रावण द्वारा मारीच को खूबसूरत हिरण बनाकर भेजना तथा सीता का अपहरण कर वायुयान से ले जाते हुए जटायु का आक्रमण, किश्किन्धा में बंदर राजा सुग्रीव से मिलाना, सुग्रीव के मुख्य योद्धा हनुमान उन्हें सुग्रीव से मिलने में मदद करते है, सुग्रीव और बाली का युद्ध होता है हनुमान लंका का  प्रवेश करना अंत में राम रावण को मारकर सीता को रावण से मुक्त कराकर ले जाते है इन सब दृष्यों के साथ पौराणिक कथा की छड पुतली शैली में शानदार प्रस्तुति हुई । इन पुतली नाटकों को प्रेक्षकों ने खूब सराहा ।

समारोह में प्रतिदिन तीन पुतली नाट्यो की प्रस्तुतियॉ हो रही है जो सायं ०६ बजे से प्रारम्भ होती है। समारोह के तीसरे दिन आज दिनांक १६ नवंबर, शनिवार को समकालीन छडपुतुल थिएटर, त्रिपुरा, के प्रतिभाुशु दास द्वारा निर्देषित कठपुतली नाटक ’’चंडालिका‘‘ एवं समकालीन छडपुतुल थिएटर,  मेहर -द-ट्रूप, गुजरात का श्री मानसिंह झाला द्वारा निर्देशित नाटक दलों तलवाडी‘‘  तथा पारंपरिक छाया पुतुल थिएटर, केरल के स्कूल ऑफ तोलपावकूथु दल द्वारा नाटक ’’रामायण‘‘  सदानंद पुलावर के निर्देशन में होगें।

इस समारोह में प्रवेश निःशुल्क है ।

  


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