उदयपुर | बाल दिवस के अवसर पर ५ दिवसीय राष्ट्रीय पुतुल नाट्य समारोह का शुभारम्भ पुतुल नाटक ’इच्छापुरन‘ से हुआ।
भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डॉ. लईक हुसैन एवं संगीत नाटक अकादमी कि पुतुल समन्वयक श्रीमती शुभा सक्सेना ने बताया कि संस्था के मुक्ताकाषी रंगमंच पर संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली द्वारा भारतीय लोक कला मण्डल के सहयोग से पाँच दिवसीय राष्ट्रीय पुतुल नाट्य समारोह का भव्य शुभारम्भ वयोवृद्ध पुतुल कलाकार पदमश्री सुरेश दत्ता द्वारा निर्देशित नाटक इच्छापूरन से हुआ।
उन्होंने बताया कि समारोह का उद्घाटन अर्न्तराष्ट्रीय ख्याती प्राप्त ९० वर्ष के वयोवृद्ध पुतुल कलाकार पदमश्री सुरेश दत्ता, पद्मश्री दादी पदमजी एवं रियाज तहसीन उपाध्यक्ष भारतीय लोक कला मण्डल, दौलत पौरवाल, मानद सचिव, भारतीय लोक कला मण्डल एवं अन्य गणमान्य अतिथियों ने पद्मश्री देवीलाल सामर की तस्वीर पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्जवलित कर किया।
उद्घाटन समारोह की प्रथम प्रस्तुति प्रसिद्ध पुतुल कलाकार वयोवृद्ध पद्मश्री सुरेष दत्ता के पुतुल नाटक इच्छापूरन से हुई जो रवीन्द्रनाथ की कहानी पर अधारित है इसमें मानव की अवसरवादी प्रकृति की आलोचना की गयी है । इसमें उम्र और सामाजिक स्तर के परिवर्तन के माध्यम ये जीवन की सर्वोत्तम खुशी को प्राप्त करने के भ्रमात्मक विचार को दर्शाया गया है । पिता सुबल चंन्द्र अपने बेटे सुशील चन्द्र की उम्र हासिल करना चाहता है इसके विपरीत पुत्र ’इच्छापूरन‘ देवी कि पूजा करके पिता की उम्र हासिल करना चाहता है । ’’इच्छापूरन देवी‘‘ के वरदान से दोनों की उम्र की अदला-बदली हो जाती है और जिसके चलते दोनों के जीवन में बदलाव आ जाता है । अंततः उन्हें अनेक हास्यास्पद और कठिन परिस्थितियों से गुजरना पडता है। जो समाज को अस्वीकार्य होती है । एक बार फिर वे इच्छापूरन देवी से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें वापस उनकी अपनी-अपनी उम्र हासिल हो जाए ताकि वह पूर्व के अनुसार अपना जीवन जी सके । इस नाटक का लेखन मोहित चट्टोपाध्याय एवं संगीत कल्याण सेन बरात ने किया है ।
समारोह कि दूसरी प्रस्तुति समकालीन छाया पुतुल थियेटर, ओडिशा के श्रीराम इंस्टीट्यूट ऑफ शैडो थिएटर के श्री गौरांग चरणदास द्वारा निर्देषित नाटक क्रांति पथ पर शांति दूत की कथा थी जिसमें देश के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू कि जीवनी पर आधारित है जिसमें उनके बचपन, षिक्षा, गाँधीजी के साथ भारत के महान स्वतंत्रता संग्राम में उनका मार्गदर्शन, अनेक संघर्षों, आंदोलनों आदि दृष्यों के साथ ही नाटिका की शानदार प्रस्तुति हुई ।
समारोह में प्रतिदिन तीन पुतली नाट्यो की प्रस्तुतिया होगी जो सायं ०६ बजे से प्रारम्भ होगी। समारोह के दूसरे दिन आज दिनांक १५ नवंबर, शुक्रवार को डॉ लईक हुसैन द्वारा निर्देषित एवं लिखित राजस्थान की पारंपरिक धागा पुतली षैली में भारतीय लोक कला मण्डल का प्रसिद्ध कठपुतली नाटक स्वामी विवेकानन्द एवं पारंपरिक दस्ताना पुतुल थिएटर उत्तर प्रदेश के मयूर पपेट थिएटर का श्री प्रदीपनाथ त्रिपाठी द्वारा निर्देशित नाटक गुलाबो सिताबो तथा पारंपरिक छाया पुतुल थिएटर, तमिल नाडु के द इंडियन पपेटीयर्स दल द्वारा नाटक ’’सीता की खोज‘‘ सीतालक्ष्मी शाहूकारू के निर्देशन में होगें।
अन्तरराश्ट्रीय पुतुल नाटक निर्देशक पद्मश्री दादी पदमजी समारोह के अध्यक्षता की है इस समारोह में सभी आयु वर्ग के लिए प्रवेश निःशुल्क होगा तथा बच्चों के लिए कुछ अलग से व्यवस्था भी की गई है ।