उदयपुर | महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर द्वारा महाराणा राजसिंह जी की ३९०वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में ’’मेवाड के जलदाता-महाराणा राजसिंह प्रथम‘‘ नामक प्रदर्शनी आयोजित की गई है। यह प्रदर्शनी १ अक्टूबर से ३१ अक्टूबर तक मेवाड के पांच प्रमुख स्थलों श्री एकलिंगनाथजी मन्दिर, कैलाशपुरी, श्रीनाथजी मंदिर, नाथद्वारा, श्री द्वारकाधीशजी मंदिर, कांकरोली, सिटी पैलेस म्यूजियम, उदयपुर व वीर भवन मोती मगरी, उदयपुर पर प्रदर्शित की जायेगी।
प्रदर्शनी का शीर्षक महाराणा राज सिंह के जीवन कृतित्व पर बनाया गया है। महाराणा राजसिंह ने अपने जीवनकाल में कई तालाबों का निर्माण करवाया, जिनमें मेवाड की राजसमन्द झील विश्व विख्यात रही हैं। महाराणा राजसिंह भी अपने पिता जगतसिंह की तरह ही दानी थे। उनकी दान उद्धरणों से उनके स्वभाव की उदारता और धार्मिकता का परिचय प्राप्त होता है। उन्होंने अपनी माता की याद में जना सागर (बडी तालाब) का निर्माण करवाया था। यहीं नहीं इन महाराणा ने इन तालाबों के निर्माण के बाद वहां कई दान-पुण्य, यज्ञ, हवन, तुलादान आदि सम्पन्न करवाये, महाराणा ने अपनी रानियों और पुत्रों से भी अनेक अवसरों पर तरह-तरह के तुलादान करवायें। उन्होंने अनेक धार्मिक यात्राएं की, जहां तीर्थस्थ्लों में विपुल मात्रा में दान-दक्षिणाएं दी। इन दान राशियों का उपयोग जन कल्याणकारी कार्यों जैसे अकाल के समय में भोजन उपलब्ध करवाने, जलाशयों के निर्माण के लिए किया गया। उन्हीं के सौभाग्य से वैष्णव सम्प्रदाय के द्वारकाधीशजी, विठ्ठलनाथजी मेवाड पधारे।
महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यह प्रदर्शनी सभी जगहों पर एक माह तक निरंतर रहेगी।