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पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के कलाकारों की लोक संगीत और नृत्यों की सुरीली भ­ट

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08 Nov 15
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पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के कलाकारों की  लोक संगीत और नृत्यों की सुरीली भ­ट नई दिल्ली । नई दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र मे ंचल रहे राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के छठे दिन पश्चिम क्षेत्रा सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर (राजस्थान) के कलाकारों ने शुक्रवार शाम भारत के पश्चिमी राज्यों की लोक संगीत और नृत्यों की सुरीली भ­ट पेश कर समाबांधा। सांस्कृतिक संध्या का केन्द्रीय रक्षामंत्राी श्री मनोहर पार्रीकर ने दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। र्कायक्रम की शरुअत म­ जैसलमेर ,जोधपुर और बाड़मेर के पेशेवर लंगा और मांगनियार गायकों ने अपनी विशिष्ट शैली म­ ‘गोरबंद’ और ‘न°बुड़ा’ गीत सुना कर माहौल को सुरीला बना दिया। राजस्थान के प्रसिð कालबेलिया नृत्य म­ जोगी समुदाय की नृत्यांगनाओं ने पारंपरिक परिधान म­ बीन के सुरीले संगीत पर अपने अप्रतिम शारीरिक लौच का प्रर्दशन किया।
सांस्कृतिक संध्या में बाड़मेर से आए युवा कलाकारों ने लाल रंग के लंबे बागे(चोगे ) पहन कर ढ़ोल की ढमकार और थाली टनकार के साथ डांडिया गेर पेश कर समा बांध दिया। राजस्थान के मेवात अंचल म­ रहने वाले मुस्लिम जोगियों ने अपने विलक्षण वाद्य भपंग को बजाते हुए प्रसिð मेवाती लोक गीत ‘टर्र’ सुनाकर वाहवाही लूटी। गोवा से आईं महिला कलाकारों ने सुंदर देखनी नृत्य द्वारा भारतीय और पश्चिमी संस्कृति के शानदार संगम को प्रदखशत किया। पुरुष कलाकारों ने गोवा के पारंपरिक शिगमो उत्सव पर किए जाने वाले ‘घोड़े मोडनी’ नृत्य म­ घोड़े के ढांचे कंधे पर टांग कर हाथ म­ तलवार लिए वीर योðाओं के ज़ोर शोर के साथ जानदार नृत्य किया। गुजरात के सौराष्ट्र संभाग के आए मेर राजपूत ने भी वीर रस से ओतप्रोत ‘तलवार रास’नृत्य किया। दक्षिण गुजरात के डांग जिले से आए डांगी जनजातीय युवा महिला और पुरुष कलाकारों र्ने ऊजा से भरा डांगी होली नृत्य म­ मंच पर पलक झपकते तीन मंज़िला पिरामिड बनाकर लोगों को हतप्रभ कर दिया ।
अफ्रीका से लगभग 750 वर्ष पहले आए सीदी गुजरात म­ बस गए ह®। भरूच (गुजरात) के सिदी कलाकारों ने अपने आराध्य बाबा गौर र्के उस पर उनकी आराधना म­ किए जाने वाले धमाल नृत्य को बड़े मस्त अंदाज म­ पेश किया। उन्होने नारियल को हवा म­ उछाल कर सिर से फोड़ कर र्दशकों की तालियाँ बटोरी।
“झंकार” वाद्य वृंद म­ पश्चिमी राज्यों के लोक वाद्यों का सुरीला समागम देखने को मिला। राजस्थान से ढ़ोल,नगाड़ा ,ढोलक,भपंग ,घड़ा, बीन ,मुरली,मोरचंग,सतारा, खडताल, मशक ,कामयचा और सिंधी सारंगी तथा गोवा से घुमट, कासाल­ और ताशा, महाराष्ट्र से ढोलकी,संबल,तुनतुने और दिमड़ी तथा गुजरात के वाद्य मुगरमान ,मुस­डो ,दमामा और माई मिसरा आदि वाद्यों पर कलाकारों ने उम्दा प्रस्तुति दे कर र्दशकों को झूमने को मजबूर कर दिया। ‘झंकार’ का र्निदेशन पश्चिम क्षेत्रा सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक मोहम्मद फुरकन खान ने र्कायक्रम अधिकारी तनेराज सिंह सोढा की सहायता से किया था।
कार्यक्रम का संचालन म­ विलास जानवे ने प्रत्येक प्रस्तुति की मौलिक जानकारी बड़े आर्कषक और मनोरंजक अंदाज़ म­ दी। कार्यक्रम का विशेष आर्कषण था, जाने माने ताल वाद्य फनकार और संगीत संयोजक श्री तौफी कुरेशी का शानदार र्कायक्रम। तबला नवाज़ उस्ताद अल्लारक्खा खान के सुपुत्रा और शिष्य तौफ़ी कुरेशी ने भारत के अलावा कई देशों के ताल वाद्यों को बड़ी बारीकी के साथ सुना कर वातवारण म­ मस्ती भर दी। भारी संख्या म­ एकत्रित र्दशकों ने भारतीय संस्कृति की समृð विरासत के दर्शन किए ।
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