GMCH STORIES

जीव को सुख-दुख देने वाला उसका अपना कर्म

( Read 9501 Times)

16 Mar 19
Share |
Print This Page
जीव को सुख-दुख देने वाला उसका अपना कर्म

उदयपुर । कर्म ही ईश्वर है, कर्म ही गुरु है। कर्म से ही जीव का जन्म होता है और कर्म में ही वह लीन हो जाता है। सुख, दुख, भय सब कर्म में ही निहित है। कर्म न करने वाले को कभी सुख व शांति की प्राप्ति नहीं होती। ये विचार नारायण सेवा संस्थान द्वारा बिहार के बाँका जिला स्थित गांव कदराचक्र में दिव्यांगों की सहायतार्थ सप्तदिवसीय श्रीराम कथा में शुक्रवार को कथा वाचिका प्राची देवी ने व्यक्त किए।

         उन्होंने कहा कि जीव को सुख-दुख देने वाला और कोई नहीं, बल्कि उसका ही कर्म होता है। भगवान राम ने जीवन मे कर्म करके लोगों को जीवन जीने की राह दिखाई है। मानव जीवन के मूल्यों को समझना ही वास्तविक तौर पर मानव होना है। केवल मानव शरीर धारण करने मात्र से व्यक्ति मानव नहीं होता, बल्कि उसमें मानवीय गुणों का समावेश होना ही व्यक्ति को मानव बनाता है। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आस्था चैनल पर किया गया। संचालन कुंज बिहारी मिश्रा ने किया।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Udaipur News
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like