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पेसिफिक ः कार्यशाला में विद्यार्थियों ने जानी माइक्रो फायनेंस समर्थित

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16 Feb 19
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पेसिफिक ः कार्यशाला में विद्यार्थियों ने जानी माइक्रो फायनेंस समर्थित

    पेसिफिक विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेन्ट में ’माइक्रो फायनेन्स संस्थान और स्वयंसेवी संस्थाऐं विषय पर दो-दिवसीय सर्टिफिकेशन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने विषय-विशेषज्ञों से माइक्रो फाइनेन्स के फायदे और उसकी सहायता से उल्लेखनीय कार्य कर रही स्वयंसेवी संस्थाओं के बारे में जाना।

    डीन प्रो. महिमा बिडला ने बताया कि माइक्रो फायनेन्स आज की आवश्यकता है और इसका लाभ उठाते हुए अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं ने ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों के पिछडे लोगों के जीवन में बदलाव लाने का प्रयास किया है। ऐसी ही संस्थाओं की उपलब्धियों से विद्यार्थियों को जागरूक करने के उद्देश्य से इस सर्टिफिकेशन प्रोग्राम का आयोजन किया गया।

    कार्यक्रम संयोजक डा. कुलविन्दर कौर ने जानकारी दी कि दो दिनों तक चले कार्यक्रम में विभिन्न सत्र हुए। प्रारम्भिक सत्र में डा. निधि नलवाया ने स्वयंसेवी संस्थाओं के पंजीकरण व अन्य प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से समझाया। अन्य सत्रों में एन.जी.ओ. ’इमपेटस‘ की मंजूलक्ष्मी एवं ’गायत्री सेवा संस्थान‘ के चेतन पांडेय ने अपनी संस्थाओं की कार्यप्रणाली के बारे में प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को जानकारी दी। सी.ए. परितोष सनाढ्य ने माइक्रो फायनेन्स के बारे में संपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने माइक्रोफायनेन्स की आवश्यकता और उसके लाभों के बारे में बताया। उन्होंने प्रतिभागी विद्यार्थियों को समझाया कि किस प्रकार बडे बैंक माइक्रो फायनेन्स संस्थानों को फण्डिंग करते है और उसी फण्ड से माइक्रो फायनेन्स कम्पनियाँ स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा बनाये गये सेल्फ हेल्फ ग्रुप को छोटे-छोटे ऋण प्रदान करते है। ऐसे ऋण की सहायता से सेल्फ हेल्फ ग्रुप के सदस्य कुछ कारोबार करके अपनी आमदनी बढाने में सफल होते है। एन.जी.ओ. ’साधना‘ की सीमा शाह ने बताया कि किस प्रकार उनकी संस्था ने अनेक महिलाओं को माइक्रोफायनेन्स का लाभ उठाकर उद्यम करने और उससे लाभ प्राप्त कर अपना जीवन स्तर उठाने के लिए प्रेरित किया।

    कार्यक्रम के दूसरे दिन सभी प्रतिभागियों ने विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा चलाई जा रही कार्यशालाओं का दौरा किया और महिलाओं द्वारा वस्त्रों, रजाईयों तथा अन्य वस्तुाओं आदि का कारोबार करके कमाई करने के प्रकल्पों को निकट से जाना। कार्यशाला में पेसिफिक, गीतांजलि व एम.एल.एस.यू. विश्वविद्यालयों के विभिन्न कॉलेजों के ४७ छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।


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