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पशुओं में अजोला हरे चारे का दुग्ध उत्पादन में महत्व : डॉ. बेरवाल

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31 Oct 25
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पशुओं में अजोला हरे चारे का दुग्ध उत्पादन में महत्व : डॉ. बेरवाल

श्रीगंगानगर। पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर के अंतर्गत कार्यरत पशु विज्ञान केंद्र, सूरतगढ़ के द्वारा एक दिवसीय जागरूकता शिविर ग्राम सिलवानी, सूरतगढ़ में आयोजित किया गया।
 केन्द्र प्रभारी अधिकारी डॉ. राजकुमार बेरवाल ने बताया कि डेयरी पशुओं में जैविक सदाबहार हरा चारा अजोला प्रत्येक पशुपालक को लगाना चाहिए। यह एक ऑर्गेनिक चारा है और पशु विज्ञान केंद्र, सूरतगढ़ में यह निःशुल्क वितरित किया जाता है। उन्होंने बताया कि इसमें खर्चा कम तथा लाभ अधिक हैं, इसके लिए उपयुक्त तापमान 30 से 35 डिग्री होना चाहिए। यह सभी प्रकार के पशुओं को खिला सकते हैं। इसको खिलाने से पशुपालक के लिए दाना मिश्रण की लागत कम आती है। प्रशिक्षण शिविर में पशु विज्ञान केंद्र, सूरतगढ़ के द्वारा प्रयोगशाला में दूध, मूत्र, गोबर, खून इत्यादि की निःशुल्क जांच के बारे में जानकारी दी। साथ ही बताया कि छोटे बच्छे, बच्छियों तथा दुधारू पशुओं में मिनरल मिक्चर फीड अति आवश्यक रूप से दें और हर 3 महीने में पशुओं को कृमिनाशक दवा जरूर देनी चाहिए।
डॉ. राव यदुमन द्वारा केन्द्रीय पशु प्रजनन फार्म थारपारकर, सूरतगढ के बारे में जानकारी और फार्म में थारपारकर की गायों में नस्ल सुधार व प्रजनन के बारे में बताया गया। इस प्रशिक्षण शिविर में स्वच्छ दुग्ध उत्पादन हेतु पशुपालको को प्रेरित किया गया। प्रशिक्षण शिविर में पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. रोहिताश सेनी, प्रगतीशील पशुपालक सुभाष देग, भागीरथ जाखड़, नेतराम, सुल्तान राम, हरप्रित सिंह, पवन जाखड़ सहित 44 पशुपालकों ने भाग लिया। 


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