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फसलों की उन्नत शस्य क्रियाएं व प्राकृतिक खेती पर कृषकों का वैज्ञानिकों के साथ संवाद

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27 May 25
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फसलों की उन्नत शस्य क्रियाएं व प्राकृतिक खेती पर कृषकों का वैज्ञानिकों के साथ संवाद

श्रीगंगानगर। कार्यालय उपनिदेशक कृषि एवं पदेन परियोजना निदेशक (आत्मा) श्रीगंगानगर के सभागार में मंगलवार को दो दिवसीय कृषक वैज्ञानिक संवाद का आयोजन किया गया, जिसमें जिले के लगभग 54 कृषकों ने भाग लिया। डॉ. विनोद सिंह गौतम उप निदेशक कृषि एवं पदेन परियोजना निदेशक (आत्मा) द्वारा प्राकृतिक खेती पर विस्तृत से चर्चा की गई।
उप परियोजना निदेशक (आत्मा) श्री सुदेश कुमार द्वारा आत्मा योजना अन्तर्गत किसान हित के लिए आत्मा द्वारा चलाई गई योजनाएं कृषक प्रशिक्षण, कृषक भ्रमण, कृषक पुरस्कार, किसान मेला इत्यादि में कृषक भाग लेकर नये नवाचार को अपनाकर कृषि उत्पादन में वृद्धि करने व आय बढ़ाने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि कृषक जैविक, नवाचार, उद्यानिकी, पशुपालन में उत्कृष्ट कार्य कर जिला एवं ब्लॉक स्तर पर चयनित होकर क्रमशः 25000 रूपये एवं 10000 रूपये पुरस्कार स्वरूप प्राप्त कर सकते हैं। उप निदेशक कृषि (शस्य) श्री सुरेन्द्र सिंह द्वारा नींबूवर्गीय विभिन्न फसलों में लगने वाले रोगों एवं उनके निदान के बारे में विस्तृत से जानकारी दी गई।
सहायक निदेशक उद्यान से श्री प्रदीप शर्मा द्वारा उद्यान की योजनाएं किसानों को बताई। डॉ. बलराम गोदारा पूर्व कृषि वैज्ञानिक द्वारा जैविक खेती एवं उसके घटक की विस्तार से जानकारी दी। डॉ. लोकेश कुमार जैन शस्य वैज्ञानिक कृषि अनुसंधान केन्द्र श्रीगंगानगर द्वारा खरीफ फसलों में लगने वाले कीटों का जीवन चक्र एवं नियंत्रण के उपाय बताये।
श्री लोकेश कुमार मीणा एलसीआईपीएमसी द्वारा कपास फसल में लगने वाले कीटों का एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन के द्वारा किस तरह नियंत्रण किया जाता है, की सम्पूर्ण जानकारी दी गई। सेवानिवृत सहायक कृषि अधिकारी श्री सोहन लाल शर्मा द्वारा मूंग, ग्वार की नई किस्मों एवं इनका उत्पादन किस तरह किया जाता है तथा तिलहनी फसलों का मानव जीवन में महत्व व उपयोग के बारे में विस्तार से समझाया। कृषक वैज्ञानिक संवाद में कृषक श्री महेन्द्र कुमार किरोड़ीवाल ने कपास फसल में गुलाबी सुण्डी नियंत्रण पर अपने विचार रखे।
कृषि अनुसंधान अधिकारी (कीट विज्ञान) डॉ. नरेन्द्र कुमार ने गुलाबी सुण्डी के जीवन चक्र एवं प्रबन्धन के बारे में विस्तृत चर्चा की। आगामी दिनों में कपास फसल 60 दिन की हो गई है, वहां निरीक्षण कर नीम बेस्ड ऑयल व अन्य बताये गये कीटनाश्कों का छिड़काव अवश्यक रूप से करें। गुलाबी सुण्डी की निगरानी के लिए खेत में प्रति हैक्टर 5 फैरोमेन ट्रेप अवश्य लगायें तथा उनका प्रतिदिन निरीक्षण करें एवं विभागीय सिफारिश अनुसार जैविक कीटनाशक व रसायनों का छिड़काव अवश्य करें। इसके साथ डॉ. राजेन्द्र प्रसाद नैण, श्री महावीर प्रसाद पचार, श्री सोहन लाल शर्मा, श्री रवि कुमार मीणा कृषि अधिकारी व कृषि वैज्ञानिकों ने भी दो दिवसीय कृषक वैज्ञानिक संवाद में भाग लिया।


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