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आत्मनिर्भर भारत की ओर बढती रेलवे

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13 Aug 20
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आत्मनिर्भर भारत की ओर बढती रेलवे

श्रीगंगानगर । भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में, उत्तर रेलवे एलएचबी डिब्बों को घरेलु स्तर पर ’’हेड आॅनजनरेशन‘‘ प्रणाली में तब्दील कर रही है।
उत्तर एवं उत्तर-मध्य रेलवे महाप्रबन्धक श्री राजीय चैधरी ने बताया कि उत्तर रेलवे पर चल रहे 2231 एलएचबी डिब्बों में से 2211 डिब्बों को ’’हेड आन जनरेशन‘‘ प्रणाली में बदला गया है। ये डिब्बें शताब्दी, राजधानी, हमसफर और एसी स्पेशल रेलगाड़ियों में सफलतापूर्वक चल रहे है। इससे रेलवे को 92.5 करोड रूपये के मूल्य के 1.3 करोड लीटर डीजल की बचत होगी।
श्री चैधरी ने बताया कि भारतीय रेलवे की कई अनेक प्रीमियम और मेल/एक्सप्रेस रेलगाड़ियों में एलएचबी डिब्बे इस्तेमाल किये जा रहे हैं। इन्टीग्रल कोच फैक्ट्री के परंपरागत डिब्बों से अलग ये एलएचबी कोच वातानुकूलन, बिजली, पंखे, चार्जिंग प्वाइंट्स और रसोई यान में लगने वाली बिजली, जिसे सामूहिक रूप से ’’होटल लोड‘‘ कहा जाता है, की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं। इस उद्देश्य के लिए रैक के दोनों सिरों पर प्रायः लगाये जाने वाले पावर कार में जनरेटर का इस्तेमाल ’’एण्ड आॅन जनरेशन‘‘ प्रणाली के रूप में किया जाता है।
          उन्होने बताया कि पावर इलैक्ट्रोनिक्स, कन्ट्रोल सिस्टम और पावर सप्लाई सिस्टम के क्षेत्रा में तकनीकी उन्नयन और निरन्तर प्रगति के चलते भारतीय रेलवे रेल डिब्बों में बिजली की आपूर्ति के लिए ’’हेड आॅन जनरेशन‘‘ प्रणाली को अपना रही है। इस प्रणाली में रेलगाड़ी के होटल लोड के लिए पावर कार की बजाय बिजली की आपूर्ति विद्युत लोकोमोटिव से की जाती है। इंजन के पेन्टोग्राफ से विद्युत करंट को टैप करके पहले ट्रांसफार्मर को भेजा जाता है और फिर डिब्बों की विद्युत आवश्यकताओं के लिए 750 वोल्ट, 3 फेज 50 हर्ट्ज में परिवर्तित किया जाता है।
          उन्होने बताया कि यह प्रणाली पर्यावरण के अनुकूल, किफायती और परिचालन में लाभदायक है। उपकरणों की विफलता के कारण रेल परिचालन के दौरान होने वाली गड़बड़ियों को कम करने की दिशा में यह भरोसेमंद है। पावर कार के स्थान पर यात्री डिब्बों को लगाकर रेलवे अतिरिक्त राजस्व भी अर्जित कर सकती है। बिजली के उत्पादन के लिए डीजल का कोई उपयोग नहीं है। जीवाश्म ईंधन के जलने से होने वाले वायु प्रदूषण की संभावना भी समाप्त हो जाती है, साथ ही पावर कार से होने वाला तेज ध्वनि प्रदूषण भी रोकने में मदद मिली है। ऐसे पर्यावरण अनुकूल उपायों को अपनाकर भारतीय रेलवे, जोकि परिवहन का एक हरित माध्यम है, अपने कार्बन फूटप्रिंट को कम करके ’’कार्बन क्रेडिट‘‘ अर्जित कर रही है। 


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