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पेसिफिक विश्वविद्यालय, उदयपुर में राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस आयोजित

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09 Mar 25
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पेसिफिक विश्वविद्यालय, उदयपुर में राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस आयोजित

    पेसिफिक विश्वविद्यालय के प्रबंधन संस्थान में ‘‘वैश्विक स्थायित्व के लिए वहनीय सतत विकास एवं नवाचारी व्यावसायिक नीतियाँ‘‘ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। इस प्रतिष्ठित सम्मेलन में देशभर के विद्वानों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों एवं उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने भाग लिया और अपने विचार प्रस्तुत किए।
    सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में फैकल्टी आॅफ मैनेजमेन्ट के डीन प्रो. दिपिन माथुर ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि निरंतर विकास के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के वैश्विक परिदृश्य में व्यापारिक संगठनों को पर्यावरणीय और सामाजिक उत्तरदायित्वों को ध्यान में रखते हुए कार्य करना होगा। साथ ही इस बात पर बल दिया कि कंपनियों को ऐसी नीतियाँ अपनानी चाहिए जो केवल आर्थिक लाभ तक सीमित न होकर समाज और पर्यावरण के संतुलन को भी बनाए रखें। उन्होंने सतत विकास और उद्यमिता के बीच के संबंध को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि आधुनिक उद्यमियों को न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी उत्तरदायी होना चाहिए। उन्होंने नवाचार, सामाजिक उद्यमिता और निरन्तर विकास के नए मॉडल प्रस्तुत किए, जिससे युवा उद्यमियों को प्रेरणा मिली। 
    मुख्य अतिथि महाराणा प्रताप युनिवर्सिटी आॅफ एग्रीकल्चर एण्ड टैक्नोलाॅजी के कुलपति प्रो. अजित कुमार कर्नाटक ने बताया कि वैश्विक स्थायित्व और व्यापार के पारिस्थितिकीय प्रभाव पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी और प्रदूषण जैसे मुद्दे केवल पर्यावरणविदों के लिए चिंता का विषय नहीं हैं, बल्कि ये व्यावसायिक संस्थानों की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए भी चुनौती हैं। उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा और कचरा प्रबंधन जैसी पहलों को अपनाने पर बल दिया।
    यूसीसीआई अध्यक्ष मांगीलाल लुणावत ने कहा कि अविरल विकास के आर्थिक पहलुओं पर चर्चा करते हुए बताया कि कैसे नवाचार और हरित प्रौद्योगिकी को अपनाकर व्यावसायिक संस्थाएँ अपने संचालन को अधिक वहनीय और पर्यावरण-अनुकूल बना सकती हैं। उन्होंने सफल अंतरराष्ट्रीय उदाहरण प्रस्तुत किए और कहा कि भारत भी इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
    युनेस्को महात्मा गांधी इंस्टीट्युट आॅफ एज्युकेशन फाॅर पीस के चेयरमेन प्रोफेसर भगवती प्रकाश शर्मा ने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व और व्यावसायिक नैतिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लगातार विकास की अवधारणा केवल सरकारी नीतियों पर निर्भर नहीं रहनी चाहिए, बल्कि उद्योग जगत को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कंपनियों को दीर्घकालिक सफलता के लिए नैतिक मूल्यों और सामाजिक भलाई को प्राथमिकता देनी होगी।
    सेमीनार के मुख्य वक्ता सिमबायोसिस इंस्टीट्युट आॅफ बिजनेस मैनेजमेन्ट के निदेशक प्रो. के.पी. वेणुगोपाला राव ने बताया कि नवाचारी व्यावसायिक रणनीतियों की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि आज के प्रतिस्पर्धी दौर में केवल परंपरागत व्यापार मॉडल पर्याप्त नहीं हैं। कंपनियों को नवाचार और डिजिटल परिवर्तन के माध्यम से टिकाऊ विकास को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने उदाहरण स्वरूप कुछ अग्रणी कंपनियों की रणनीतियों पर चर्चा की।
    पेसिफिक एकेडमीक आॅफ हायर एज्युकेशन एण्ड रिसर्च युनिवर्सिटी के अध्यक्ष प्रो. हेमन्त कोठारी ने बताया कि विश्वविद्यालय में होने वाली विभिन्न प्रगतिशील गतिविधियों के बारे जानकारी दी एवं इस बात पर प्रकाश डाला कि इस प्रकार की शैक्षणिक गतिविधियाँ समाज एवं विद्यार्थियों के सदा विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक है। उन्होंने आयोजकों का उत्साहवर्धन करते हुए कार्यक्रम के सफल होने कि शुभकामनाएं एवं बधाई दी। साथ ही कहा कि संस्थान हर साल ऐसी संगोष्ठी का आयोजन करता है। जिसमें छात्रों को प्रतिष्ठित उद्यमियों व विशेषज्ञों द्वारा पैनल चर्चाओं में भाग लेने का तथा विचारों के आदान-प्रदान का मौका मिलता है। 
    सेमीनार के आयोजन सचिव प्रो. पल्लवी मेहता ने 16वीं अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार में भाग ले शोधार्थियों को अभिवादन करते हुए बताया कि जिसमें कुल 350 शोधार्थियों ने भारत, नेपाल, थाईलैण्ड, दुबई, यू.ए.ई. आदि देशों से करीब 140 से अधिक प्रख्यात विश्वविद्यालय से कुल 200 से अधिक शोध पत्रों का वाचन प्रत्यक्ष एवं आॅनलाइन मोड में 11 टैक्नीकल ट्रेक में ह्युमन रिसोर्स, फाइनेन्स, मार्केटिंग ग्लोबल सर्विस आदि में अपने विचार व्यक्त किये। 
    सेमीनार के समन्वयक डा. अली यावर रेहा ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बताया कि इस इस कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य उद्योग और अकादमिक जगत के विशेषज्ञों को एक मंच पर लाना और सतत विकास से जुड़े नवाचारी व्यावसायिक मॉडल विकसित करने पर विचार-विमर्श करना था। आयोजकों ने इस प्रकार के संवाद को आगे भी जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया।    
    कार्यक्रम के समापन सत्र में विभिन्न वक्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला कि व्यावसायिक संगठनों को केवल लाभ अर्जन तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय उत्तरदायित्व को भी अपनाना चाहिए। इस राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में प्रबंधन संकाय के छात्र-छात्राओं, शोधार्थियों एवं उद्यमियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और अपने प्रश्नों के माध्यम से गहन चर्चा की। 
    इस महत्वपूर्ण सम्मेलन ने व्यवसायों के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जिसमें लाभ और उत्तरदायित्व के बीच संतुलन साधने पर जोर दिया गया। इस संवाद के माध्यम से अविरल विकास की दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए नई नीतियों और रणनीतियों पर मंथन किया गया, जिससे भविष्य के उद्योग जगत को एक स्पष्ट दिशा मिल सके।
 


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