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बारिश में सहारा बनी इन्दौर की “दानपात्र"संस्था, जरूरतमंदों को मिल रही त्रिपाल, मच्छरदानी और जीवन की नई उम्मीद

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04 Jul 25
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बारिश में सहारा बनी इन्दौर की “दानपात्र"संस्था, जरूरतमंदों को मिल रही त्रिपाल, मच्छरदानी और जीवन की नई उम्मीद

बारिश जीवन के लिए जरूरी है — खेतों के लिए, किसानों के लिए, प्यासे तालाबों और सूखे दरख्तों के लिए। लेकिन उसी बारिश की हर बूंद कुछ लोगों के लिए आफत बन जाती है। ऐसे लोग जो झुग्गियों में रहते हैं, जिनके पास सिर पर छत नहीं होती, और जो हर तेज़ बारिश के साथ अपने ही घरों में डूब जाते हैं — उनके लिए ये मौसम सिर्फ भीगने का नहीं, बल्कि जीने की जंग का मौसम बन जाता है।

 

ऐसे कठिन समय में संस्था “दानपात्र” उम्मीद की वो किरण बनकर सामने आई है, जो जरूरतमंदों के बीच जाकर त्रिपाल, मच्छरदानी और अन्य राहत सामग्री वितरित कर रही है। संस्था की टीमें उन इलाकों में काम कर रही हैं, जहां बारिश ने लोगों की जिंदगी को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। इस पहल का उद्देश्य है कि कोई भी परिवार बारिश में भीगकर बीमार न हो, कोई बच्चा ठंडी ज़मीन पर रात न बिताए, और कोई बुजुर्ग खुले आसमान तले असहाय न रहे।

 

 

दानपात्र क्या है और इसकी शुरुआत कैसे हुई?

 

“दानपात्र” एक समाजसेवी संस्था है जो गरीब, बेघर, बेसहारा और जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए समर्पित है। इसकी शुरुआत करीब 7 वर्ष पहले संस्था के संस्थापक यश गुप्ता ने उस समय की थी, जब उन्होंने एक 7 साल के असहाय बच्चे को बेहद बुरी हालत में देखा। उसी क्षण उन्होंने निर्णय लिया कि इस समाज के हर मजबूर व्यक्ति के लिए एक सहारा बनना चाहिए। और वहीं से दानपात्र की नींव रखी गई।

 

 

अब तक की उपलब्धियाँ और सामाजिक योगदान

 

संस्था अब तक लगभग 35 लाख से ज्यादा जरूरतमंद परिवारों तक मदद पहुंचा चुकी है। दानपात्र शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन, वस्त्र और रोजगार के क्षेत्र में गरीबों की मदद के लिए कार्यरत है। संस्था की सेवाएं एक बार की राहत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह आत्मनिर्भरता और सम्मानजनक जीवन की दिशा में भी लगातार प्रयास कर रही है।

 

संस्था का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और 2 बार इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो चुका है। देशभर में विभिन्न राज्यों, शहरों और गांवों में चलाए गए राहत अभियानों के माध्यम से संस्था ने हज़ारों लोगों की ज़िंदगी को नई दिशा दी है।

 

 

शिक्षा और महिला सशक्तिकरण में योगदान

 

दानपात्र सिर्फ राहत नहीं, बल्कि ज्ञान और आत्मनिर्भरता की अलख भी जगा रही है। संस्था की दानपात्र पाठशाला के ज़रिए उन बच्चों और महिलाओं को शिक्षित किया जा रहा है, जो अब तक शिक्षा से वंचित रहे हैं। आज कई महिलाएं, जो पहले सिर्फ अंगूठा लगाना जानती थीं, अब पढ़ना-लिखना सीख चुकी हैं और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रही हैं।

 

संस्था स्कूलों और कॉलेजों में जाकर युवाओं को नशा, अपराध और सामाजिक भटकाव से बचाने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाती है, जिससे युवा शक्ति को सही दिशा मिल सके।

 

 

दानपात्र से कैसे जुड़ें?

 

संस्था “दानपात्र” का यह सेवाभावी मिशन समाज के सहयोग से ही संभव हो रहा है। आप भी इस मिशन का हिस्सा बन सकते हैं —

 • वालंटियर के रूप में समय देकर

 • अपने घर के अतिरिक्त लेकिन उपयोगी सामान जैसे कंबल, कपड़े, टीवी, बर्तन, फ्रिज आदि दान करके

 • या किसी ज़रूरतमंद की जानकारी संस्था तक पहुंचाकर

 

संस्था से जुड़ने के लिए संपर्क करें:

 6263362660

 www.daanpatra.org

 

 

संस्था दानपात्र की भूमिका

 

“दानपात्र” हर मौसम, हर परिस्थिति में जरूरतमंदों के साथ खड़ी रहती है। यह संस्था सिर्फ राहत नहीं देती, बल्कि एक सोच, एक संदेश देती है — कि इंसानियत अब भी जिंदा है। जब भी कोई बारिश किसी का आशियाना छीन लेती है, तब “दानपात्र” उनके लिए छत बनकर, सहारा बनकर और आशा बनकर सामने आती है।


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