विश्व में सबसे अधिक डायबिटीज पीड़ित भारतीय बच्चों को पीड़ा रहित एडवांस्ड डायबिटीज केयर इन्सुलिन पम्प (सीजीएम) की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भारत की दो बेटिया गुजरात मूल की दो डॉक्टर बहनें डॉ स्मिता जोशी एवं डॉ शुक्ला रावल अमेरिका में एक मुहिम छेड़ कर अप्रवासी भारतीय समुदाय से मार्मिक अपील कर रही है। उनका मानना है कि भारतीय माँताओं की आँखो से गिरते आँसूओं को पोछने का उनका यह विनम्र प्रयास अवश्य सफल होगा। डॉ स्मिता जोशी एवं डॉ शुक्ला रावल ऊंझा विशनगर (गुजरात ) के डॉ वासुदेव जे रावल ट्रस्ट की ट्रस्टी है ।
विश्व में भारत के बाद अमेरिका में डायबिटीज पीड़ित बच्चों और किशोरों की संख्या सबसे अधिक है लेकिन वहाँ पीड़ा रहित एडवांस्ड डायबिटीज केयर इन्सुलिन पम्प(continuous glucose monitoring) इस्तेमाल होने से उनके बच्चों को एक दिन में तीन से चार बार कष्टदायक इन्सुलिन इंजेक्शन के चुभन की पीड़ा नहीं भुगतनी पड़ती है । साथ ही वहाँ के बच्चों की आयु 70-80 वर्ष लंबी है जबकि भारत में डायबिटीजपीड़ित बच्चों की आयु अभी 20-40 साल ही है ।
एडवांस्ड डायबिटीज केयर इन्सुलिन पम्प (सीजीएम) का निर्माण भारत में नहीं होता है । इसके लिए भारत,आज भी विदेशी कंपनियाँ पर निर्भर हैं । ये पम्प बहुत महंगे है तथा भारत के निर्धन लोगों के लिए एफोर्डेबल नहीं हैं । लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मेक इन इंडिया के नारे से इस समस्या का समाधान खोजा जा सकता है । एफोर्डेबल सीजीएम पम्प के भारत में स्वदेशी निर्माण पर रिसर्च करने के लिए दोनों डॉक्टर बहनें डॉ स्मिता जोशी एवं डॉ शुक्ला रावल अपने स्वयं के खर्च पर अमेरिका गई है तथा उन्होंने अमेरिका के वेस्ट,ईस्ट,साउथ और नार्थ प्रांतों के कैलिफोर्निया,अटलांटा, जॉर्जिया, टेक्सास, टेनसी, फिलाडेल्फिया, वॉशिंगटन डीसी, न्यूयॉर्क,न्यूजर्सी, इंडियाना ओहायो आदि कई प्रांतों में, अगले चार महीनों जुलाई, अगस्त, सितंबर और अक्टूबर तक भारतीय मूल के आईआईटी एक्सपर्टस, नामचीन डॉक्टर्स और कई ऑर्गेनाइजेशंस से मिलकर शौध एवं अध्ययन करने का फ़ैसला लिया है।उन्होंने अपने इस रिसर्च अभियान की शुरुआत अमेरिका के कैलिफोर्निया स्टेट की सन फ़्रांसिस्को सिटी से कर दी हैं और भारतीय समुदाय के लोगों से इस मुहिम को आगें बढ़ाने के लिए सहयोग मांगा है ।
डॉ स्मिता जोशी एवं डॉ शुक्ला रावल बताती है कि उन्हें यह प्रेरणा भारत के दस राज्यों में स्वयं कार से बच्चों में डायबिटीज ड्राइव जागृति अभियान के दौरान दिल्ली एम्स के डायरेक्टर डॉ एम.श्रीनिवास से मिली जिन्होंने उन्हें बताया कि एम्स दिल्ली में एमआरआई मशीन स्वदेशी और मेक इन इंडिया है,जोकि काफ़ी सस्ती है।जबकि,पहले ये एमआरआई मशीन विदेशी कंपनियों से आती थी। इन मशीनों में प्लेट ही महत्वपूर्ण है तथा पूर्व में भी भारत की स्वदेशी कंपनी में ही बनती थी ।
डायबिटीज से पीड़ित बच्चों के लिए समर्पित दोनों बहनें पिछलें कई वर्षों से बच्चों में मधुमेह जुवेनाइल टाइप 1 डायबिटीज के प्रति आम लोगों में जागरूकता पैदा करने, इस सम्बंध में एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं निदान नीति बनवाने में जुटी हुई है तथा पूर्व में भी भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी और अमेरिका के ईस्ट से वेस्ट प्रांतों की स्वयं के खर्चे पर कार से सात हजार किमी की यात्रा कर चुकी है।इनके प्रयासों से भारत में सबसे पहले गुजरात और राजस्थान की राज्य सरकारों ने अपने बजट भाषण में प्रदेश के सभी चिकित्सा और स्वास्थ्य केन्द्रों पर जुवेनाइल टाइप-1 डायबिटीज के विशेष प्रकोष्ठ स्थापित करने के अहम निर्णय लिए है।इसी तर्ज पर जबलपुर (मध्य प्रदेश) में भी सराहनीय कदम उठाए गए है।अगर अब प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया नारा के अनुरूप भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से देश में एडवांस्ड डायबिटीज केयर इन्सुलिन पम्प (सीजीएम) का निर्माण की संभावना भी साकार हो जाती है तो न केवल हम पूरे विश्व को डायबिटीज उपचार के लिए सराहनीय योगदान देने में सक्षम हों सकेंगे वरन् भारत को पुनः विश्व गुरू बनाने की धारणा को साबित कर सकेंगे। साथ ही इसका एक और मानवीय एवं संवेदनशील पहलू यह भी है कि भारत में जब डायबिटीज से पीड़ित बच्चे दिन में कई बार इन्सुलिन इंजेक्शन लेते समय सुई की पीड़ा भुगतते है तो भारत की दस लाख माताओं की आँखो से प्रतिदिन तीन से चार बार आँसू गिरते हैं। पीड़ारहित एडवांस्ड डायबिटीज केयर इन्सुलिन पम्प (सीजीएम) भारत में ही बनने से इन माताओं के रोज गिरने वाले आंसू पोछे जा सकते हैं ।
डॉ स्मिता जोशी एवं डॉ शुक्ला रावल कहती है कि विदेशी धरती पर हम दो बहनें अकेली नहीं हैं। हमारे साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा का आशीर्वाद और शुभ कामनाओं होने के साथ ही भारत की करोड़ों माताओं की शक्ति और दुआएँ भी हमारे साथ है । हम सबकी कामना है कि भारत में डायबिटीज से पीड़ित बच्चों को पीड़ारहित उपचार और लंबी आयु प्राप्त हो ।इस अभियान में ऊंझा विशनगर (गुजरात ) के डॉ वासुदेव जे रावल ट्रस्ट के डॉ केतन जोशी (फिजिशियन ऐसोसिएशन ऑफ इण्डिया और गुजरात के अध्यक्ष) और डॉ राजा जोशी एवं डॉ मन पंचौली भी सक्रिय सहयोग प्रदान कर रहें है।इस अभियान में डॉ.केतन जोशी (फिजिशियन ऐसोसिएशन ऑफ़ इंडिया, गुजरात के अध्यक्ष 2025-25) और डॉ.राजा जोशी, डॉ.मन पंचोली भी सक्रिय सहयोग प्रदान कर रहे है ।