बांसवाड़ा, गायत्री मण्डल बांसवाड़ा की ओर से श्री पीताम्बरा आश्रम में आयोजित ज्योतिष अनुसंधान संगोष्ठी, ज्योतिर्विद समागम कार्यक्रम एवं निःशुल्क ज्योतिष परामर्श शिविर में जाने-माने ज्योतिष विशेषज्ञों, विद्यार्थियों एवं जिज्ञासुओं ने हिस्सा लिया।
इसके शुभारंभ समारोह में केन्द्रीय हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य, जाने-माने ज्योतिषाचार्य एवं खगोलविद् पं. हरीशचन्द्र शर्मा मुख्य अतिथि थे। अध्यक्षता पूर्व चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री भवानी जोशी ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में ज्योतिषी एवं बॉडी लैंग्वेज विशेषज्ञ डॉ. कुंजन आचार्य, समाजसेवी डॉ. विजय विप्लवी, ज्योतिषाचार्य रवीन्द्र शकुनि, गायत्री मण्डल के संरक्षक पं. विद्यासागर शुक्ल उपस्थित थे।
ज्योतिषीय अनुसंधान पर ध्यान दें
उद्घाटन भाषण में ज्योतिष अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान, उदयपुर के संचालक प्रसिद्ध ज्योतिर्विद एवं खगोलशास्त्री पं. हरीशचन्द्र शर्मा ने ज्योतिष को दैवीय एवं दिव्य ज्ञान-विज्ञान निरूपित करते हुए इसके संरक्षण-संवर्धन और इसके मर्म एवं गूढ़ रहस्यों को आत्मसात करते हुए अनुसंधान को अपनाते हुए आगे से आगे बढ़ते जाने का आह्वान किया।
हर क्रिया पर ज्योतिष का प्रभाव
उन्होंने कहा कि प्रारब्ध प्राकृतिक है लेकिन ज्योतिष ब्रह्माण्डीय स्पन्दनों का सटीक संकेतक है जो हमारे जीवन के प्रत्येक कर्म और परिवेशीय गतिविधि को प्रभावित करता है। इस अनुपम ज्ञान-विज्ञान के प्रति निरन्तर अभ्यास और साधना के साथ अनुसंधान करते हुए गहराई में जाकर सम्पूर्ण सत्य को तलाशने की दिशा में जुटने की आवश्यकता है।
पुरातन ज्ञान भण्डार के रहस्यों को समझें
पं. शर्मा ने कहा कि परम तत्त्व के अंग के रूप में धरती पर जन्मे हम ऋषियों की संतानों को अपने अपरिमत सामर्थ्य, अपार क्षमताओं और अनन्त मेधा-प्रज्ञा को जानकर दैवज्ञ बनने की यात्रा को अंगीकार करना होगा। तभी ज्योतिष के माध्यम से लोक कल्याण और विश्व मंगल को नए आयाम दिए जा सकते हैं।
ज्योतिष के विराट फलकों को जानें
उन्होंने कहा कि केवल भविष्य जानने और उपाय करने भर तक ही सीमित न रहें। ज्योतिष के विराट महत्त्व को जानें और इस महानतम विज्ञान के प्रति समर्पित होकर ज्योतिष शास्त्र को व्यष्टि और समष्टि के कल्याण का सशक्त प्रेरक बनाते हुए इसे नई दिशा दें।
उत्तरोत्तर उत्कर्ष का प्रयास करें
श्री शर्मा ने कहा कि पुरखों की इस विरासत को तोते की तरह रटकर अपने-अपने हिसाब से फोरी तौर पर गणित और फलित करने की बजाय ग्रहों और नक्षत्रों के मूल स्वभाव, व्यवहार और गति पर केन्द्रित स्वाध्याय, साधना और शुचिता के साथ अनुसंधान करते हुए ज्योतिषीय ज्ञान को परिष्कृत, पूर्ण और उपादेय बनाने पर ध्यान देना चाहिए।
ज्योतिषविज्ञानी पं. शर्मा ने महिला ज्योतिषियों श्रीमती छाया उपाध्याय, श्रीमती रिया जोशी एवं अन्यों द्वारा प्रस्तुत ज्योतिषीय जिज्ञासाओं का समाधान किया।
सटीक भविष्य कथन जरूरी
समारोह की अध्यक्षता करते हुए पूर्व चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री भवानी जोशी ने कहा कि हर व्यक्ति को अपना भाग्य और भविष्य जानने की प्रबल इच्छा रहती है। ऐसे में सभी जिज्ञासाओं के समाधान की दृष्टि से सटीक, शत-प्रतिशत सही और प्रामाणिक ज्योतिषीय कथन के लिए सम्पूर्ण दक्षता, विषय विशेष में परिपूर्णता और विश्लेषण क्षमता सर्वोपरि है।
दैहिक ऊर्जा का रूपान्तरण करें
ज्योतिषी एवं बॉडी लैंग्वेज विशेषज्ञ डॉ. कुंजन आचार्य ने मनुष्य देह में समाहित अपार दैवीय ऊर्जा और जीवनीशक्ति की व्याख्या करते हुए ऊर्जा के संचयन, प्रवाह और उपयोग के विभिन्न कारकों को रेखांकित किया और रोजाना नियमित ध्यान के अभ्यास पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि ध्यान और चक्र जागरण से अवचेतन में कई जन्मों से सुरक्षित एवं संग्रहित पड़े सूक्ष्म बीज रूप डाटा को जीवन्त कर अपनी थाह और सुनहरे भविष्य की राह पायी जा सकती है।
ग्रह बाधा शमन का आसान उपाय कर्त्तव्य कर्म
ज्योतिर्विद एवं कर्मकाण्ड विशेषज्ञ पं. मनोज गजानन्द जोशी ने नित्य एवं नैमित्तिक कर्म से ग्रह पीड़ा निवारण के विभिन्न सूत्रों पर व्याख्या करते हुए इन कर्मों के प्रति सचेत रहने पर बल दिया और कहा कि इनके माध्यम से सफल और सार्थक जीवन निर्वाह में आशातीत सफलता पायी जा सकती है।
कुण्डली विश्लेषण एवं समस्या समाधान
इस दौरान् निःशुल्क परामर्श शिविर में विभिन्न विधाओं के ज्योतिषियों ने कुण्डली विश्लेषण, फेस रीडिंग, हस्तरेखा अवलोकन एवं अन्य सामुद्रिक माध्यमों से कई लोगों की ग्रह-नक्षत्र बाघाओं और अन्य समस्याओं के समाधान का परामर्श दिया और इनसे संबंधित शांति-पुष्टिकारक उपाय सुझाए। इस दौरान् ज्योतिषीय गणना और फल कथन, कुण्डली अध्ययन, शास्त्रोक्त उपायों आदि पर ज्योतिषियों की जिज्ञासाओं का शमन किया गया।
ज्योतिर्विदों का अभिनन्दन
स्वस्तिवाचन ऋचाओं की गूंज के बीच अतिथियों एवं ज्योतिषियों का शॉल ओढ़ाकर अभिनन्दन हिरेन उपाध्याय ने किया। आरंभ में गायत्री मण्डल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनोहर जी. जोशी, सह सचिव सुभाष भट्ट, कोषाध्यक्ष अनन्त जोशी, कार्यकारिणी सदस्य चन्द्रेश व्यास, सुनील दोसी, डॉ. दीपक द्विवेदी, तनेश जोशी, दक्ष उपाध्याय आदि ने उपरणा पहनाकर अतिथियों का स्वागत किया। संचालन एवं आभार प्रदर्शन कोषाध्यक्ष अनन्त जोशी ने किया।
इस अवसर पर गायत्री मण्डल के पदाधिकारियों, सदस्यों, श्री पीताम्बरा आश्रम के साधक-साधिकाओं, ज्योतिष विद्यार्थियों, जिज्ञासुओं एवं गणमान्य नागरिकों ने हिस्सा लिया।