महिलाओं के लिए ३३ प्रतिशत आरक्षण के बहु प्रतीक्षित विधेयक को मंगलवार को मोदी सरकार ने लोकसभा में पेश कर अपना मास्टर स्ट्रोक चल दिया। नई संसद के पहले ही दिन अपने इस मास्टर स्ट्रोक से पीएम मोदी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। जहां उनकी नजर देश की आधी आबादी पर है तो वही अपने इस दांव से इंडिया गठबंधन को भी मुश्किल में डाल दिया है । इंडिया गठबंधन के कई सहयोगी दलों ने संसद के अंदर और बाहर महिला आरक्षण विधेयक का विरोध किया था। ऐसे में अब जबकि मोदी सरकार के विधेयक को कांग्रेस खुला समर्थन दे रही है तो देखना होगा कि सहयोगी दलों का रुûख क्या रहेगा। इंडिया गठबंधन के गठन के बाद २०२४ के चुनावी रण में संभावित चुनौती से निपटने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने बहुत सोची समझी रणनीति के तहत इस दांव को खेला है। देखा जाए तो पिछले दो–तीन चुनाव में वोटिंग पैटर्न बदल रहा है। साइलेंट वोट बैंक कही जाने वाली महिलाएं बढ़ चढकर मतदान में हिस्सा ले रही हैं। उनका प्रतिशत पुरु ष मतदाताओं से जायदा हो रहा है। दूसरी तरफ जिस तरह से कांग्रेस अपनी उपलब्धि बता कर इसका श्रेय लेने की कोशिश पर जुटी है उस पर पानी फेरने के लिए पीएम मोदी ने इसका नाम बदलकर नारी शक्ति वंदन अधिनियम कर दिया है।