अभी आंदोलनकारी किसानों का यही फैसला है कि एमएसपी पर वार्ता शुरू नहीं करने तक किसान दिल्ली के बॉर्ड़र से नहीं हटेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में तय हुआ कि विद्युत विधेयक पर भी किसान कोई समझौता नहीं करेंगे। हालांकि सरकार किसानों के विरोध के बावजूद संसद के आगामी सत्र में यह विधेयक लाना चाहती है। खबर यह भी है कि इस आंदोलन की ताकत समझे जाने वाले पंजाब के किसान संगठनों में से कई संगठन संसद से कृषि कानून वापस हो जाने के बाद बॉर्ड़र से हटना चाहते हैं। पंजाब के इन किसान संगठनों की दलील है कि उन्हें आंदोलन चलाते हुए डे़ढ़ø साल हो गए हैं‚अब आंदोलन का स्वरूप बदला जाना चाहिए। बताया जा रहा है कि बॉर्ड़र छोड़़ने की सोच रखने वाले बड़े़ किसान नेताओं में बलबीर सिंह राजेवाल का नाम भी शामिल है। वहीं‚ तमाम संगठन इस वजह से बॉर्डर से नहीं हटना चाहते क्योंकि उन्हें ड़र है कि अगर ऐसा किया तो शायद सरकार आंदोलन के दौरान लगाए गए केस हटाने में रुûचि नहीं लेगी। अकेले हरियाणा में किसानों पर ४८ हजार केस बताए जा रहे हैं। केस अलग–अलग राज्यों में दर्ज हैं‚ इन्हें हटाने की एक प्रक्रिया है‚ जिसमें समय लगता है। अब संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज केस का विवरण जमा करना शुरू कर दिया है।