हिन्दुस्तान जिंक चंदेरिया लेड जंक स्मेल्टर एवं बीआईएसएलडी के संयुक्त तत्वावधान में संचालित समाधान परियोजना के अंतर्गत कृशक वैज्ञानिक संवाद कर चार गांवों के ५८७ किसानों की समस्याओं का समाधान किया गया। आस पास के क्षेत्र के गांव मुंगा का खेडा, नगरी, पुठोली और आजोलिया का खेडा म एक दिवसीय प्रषिक्षण आयोजित किया । जिसमें कृशि विज्ञान केंद्र रिठौला से डॉ एस के अग्रवाल, डॉ सुरेष जीनगर डॉ राजेष जलवालिया एवं डॉ रतन लाल सोलंकी ने किसानों को परामर्ष एवं सलाह दी।
वैज्ञानिकों ने किसानों को गेहुं मे होने वाली बीमारियों व उनके बचाव के बारे में बताते हुए कहा कि किसानों को फसल चक्र अपनाने के साथ साथ दलहनी फसलों को प्राथमिकता देनी चाहिए। जिससे फसल की अधिक पैदावार होगी तथा मदा की उपजाउ क्षमता बनी रहेगी। उन्होंने बताया कि उद्यानिकी में वाडी लगा कर उसमें अन्य सब्जी वाली फसलों की बुवाई कर दुगुनी आमदनी प्राप्त की जा सकती हैं। मृदा के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देते हुए मृदा की जांच कर उसके अनुकूल खाद,बीज व फसल बोने के लिए प्रेरित किया। पषुपालन संबंधी जानकारी देते हुए पषुओं में होने वाले मुहंपका खुरपका रोग से बचाव हेतु समय समय पर टीके लगवाने की सलाह दी। वैज्ञानिकों ने किसानों को विपरित ऋतु में सब्जियां बोने की सलाह दी जिससे वें अधिक लाभ बढा सकें। इसके लिए उन्होंने लो-टनल और प्लास्टिक मल्चिंग जैसी नयी तकनीकियों के बारे में बताया । हिन्दुस्तान जिंक द्वारा चलायी जा रही समाधान परियोजना से आस पास के गांवों के लगभग ३ हजार से अधिक किसान लाभान्वित हो रहे है। समाधान परियोजना का मुख्य उद्धेष्य किसानों की आमदनी में वृद्धि कर उनके जीवन स्तर को उपर उठाना है।
कार्यक्रम का संचालन रामस्वरूप वैश्णव ने किया। बीआईएसलडी से रतन लाल कुमावत, रत्नेष सुखवाल, नारायण जोषी ने भी कृशि एवं पषुपालन संबंधी जानकारी दी।