उदयपुर. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर की अनुसंधान, विस्तार एवं शिक्षण गतिविधियों का अवलोकन श्री राजन विशाल, शासन सचिव राजस्थान सरकार, कृषि एवं उद्यानिकी विभाग ने किया । अनुसंधान निदेशालय, एमपीयूएटी, उदयपुर में सर्वप्रथम राजस्थान सरकार एवं विश्वविद्यालय के अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों के साथ संवाद कार्यक्रम में गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता कर रहे महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने श्री राजन विशाल को विश्वविद्यालय की उपलब्धियों से अवगत कराया।
डॉ. कर्नाटक ने कहा कि विश्वविद्यालय प्राकृतिक खेती, पशुपालन, रबी-खरीफ फसल उत्पादन, प्रसंस्कृत उत्पाद, मशीनों का निर्माण आदि विषयों पर गहन अनुसंधान किसानों के लिए उपयोगी सिद्ध हो रहा है। श्री राजन विशाल ने विश्वविद्यालय में संचालित गतिविधियों का अवलोकन और समीक्षा की तथा प्राकृतिक खेती, बागवानी फसलों के पीओपी, मशीनों के व्यावसायीकरण, पेटेंट एवं एमओयू के बारे में विस्तार से चर्चा की। बैठक में निदेशक अनुसंधान डॉ. अरविंद वर्मा ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों पर विस्तृत प्रस्तुति दी तथा डॉ. वर्मा ने विभिन्न शोध परियोजनाओं के अंतर्गत विश्वविद्यालय द्वारा विकसित तकनीकों की जानकारी दी। निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. आर एल सोनी ने विश्वविद्यालय की कृषि प्रसार गतिविधियों पर विवरण प्रस्तुत किया बैठक के बाद, श्री राजन ने राजस्थान कृषि महाविद्यालय कि जैविक कृषि इकाई, डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में, प्रसंस्करण और छात्रों के अनुभवात्मक प्रशिक्षण इकाइयों का अवलोकन किया। प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय की रोबोटिक्स लैब में, उन्होंने कृषि में रोबोटिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और आईसीटी के उपयोग में गहरी रुचि दिखाई। उन्होंने कृषि मशीनरी और परीक्षण इकाई का भी दौरा किया। श्री राजन जी ने इनक्यूबेशन केंद्रों की स्थापना और राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों में पाए जाने वाले कम उपयोग वाले फलों और सब्जियों को परिष्कृत और बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने इन मूल्यवर्धित उत्पादों को सहकारी समितियों और उचित विपणन माध्यमों से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। कुलपति डॉ कर्नाटक ने बताया कि कुल मिलाकर, उनका दौरा बहुत सार्थक और उत्पादक रहा। उन्होंने विश्वविद्यालय में चल रहे कार्य को और सुदृढ़ बनाने के लिए बहुमूल्य सुझाव और अंतर्दृष्टि साझा की।
इस बैठक में वरिष्ठ अधिकारी परिषद के सदस्य, कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक, संयुक्त निदेशक एवं अन्य अधिकारीगण तथा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक उपस्थित थे।