GMCH STORIES

प्रताप का प्रतापी जीवनदर्शन आज भी प्रासंगिक है- डॉ. कर्नाटक

( Read 521 Times)

29 May 25
Share |
Print This Page

प्रताप का प्रतापी जीवनदर्शन आज भी प्रासंगिक है- डॉ. कर्नाटक

उदयपुर :  महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण निदेशालय द्वारा वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की 485 वीं जन्म जयन्ति के उपलक्ष्य में  दिनांक 29 मई 2025 को राजस्थान कृषि महाविद्यालय के प्रांगण मे स्थित महाराणा प्रताप की भव्य अश्वारूढ़ प्रतिमा के समक्ष विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक के नेतृत्व मे विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी गण, छात्र कल्याण अधिकारी, महाविद्यालयों के अधिष्ठाता सहित अनेक प्राध्यापक, शैक्षणेत्तर कर्मचारी संघटन के अध्यक्ष, कार्यकारिणी सदस्य, कर्मचारी व विद्यार्थियों ने महाराणा प्रताप की तस्वीर पर माल्यार्पण किया एवं पुष्पांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर सर्वप्रथम एनसीसी, स्काउट के स्वयंसेवक ने अतिथी को प्रताप की अश्वारूढ़ प्रतिमा तक स्कोर्ट किया। मुख्य अतिथि माननीय कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक एवं विशिष्ठ अतिथि श्री हरिदŸा शर्मा इतिहासविद शिक्षा विभाग का डॉ. मनोज महला, छात्र कल्याण अधिकारी ने उपरणा ओढ़ा, पुष्पगुच्छ  भेंट कर स्वागत किया। डॉ. मनोज महला, छात्र कल्याण अधिकारी ने सभी पधारे हुए महानुभावों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं।
डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक, माननीय कुलपति ने आज के आधुनिक युग तक के अनेक उदाहरण दे कर बताया कि आज का मानव किस प्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप का जीवन आज भी प्रासंगिक है, महाराणा प्रताप ने संघर्ष से भरे एक आदर्श जीवन को जीते हुऐ हमारे आज के जीवन की अनेक अनसुलझी पहेलियों व समस्याओं को सुलझाने का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने महाराणा प्रताप को एक कुशल शासक एवं कुशल योद्धा बताया । महाराणा प्रताप ने कृषि के विकास मे भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके काल में चक्रपाणी द्वारा रचित विश्ववल्लभ ग्रंथ पर आगे भी शोध की आवश्यकता है।
विशिष्ठ अतिथि श्री हरिदŸा शर्मा इतिहासविद शिक्षा विभाग ने अपने उदबोधन में कहा कि प्रातःस्मरणीय वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप का स्वाधीनता के लिये संघर्ष, वीरता, युद्धनीति, कूटनीति, नैतिकता व अनुशासन पूर्ण जीवन शैली हम सभी के लिये सदैव प्रेरणास्पद है उन्होनें उनके जीवन के तीन पक्षों पर अपने विचार रखते हुए कहा कि हमें महराणा प्रताप के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए और उनके द्वारा किये गये जन जागरण कार्यो को अपने जीवन में उतार कर उन पर अमल करना चाहिए जो कि मनुष्य के लिए आज भी प्रेरणास्पद है।
इसके पश्चात् सिसोदिया वंश के डॉ. एस. एस. सिसोदिया, विभागाध्यक्ष, प्रसार शिक्षा एवं प्रताप शोधपीठ के सदस्य ने महाराणा प्रताप एवं मेवाड़ के इतिहास पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के संघटक महाविद्यालयों के छात्रों ने भी अपने विचार कविता एवं उनकी प्रेरणादायक जीवन कथानक द्वारा प्रस्तुत किये।
समारोह में विश्वविद्यालय के  अधिकारीगण, निदेशक, प्रसार शिक्षा डॅा. आर. एल. सोनी,  छात्र कल्याण अधिकारी डॉ. मनोज महला, अनुसंधान निदेशक डॉ. अरविन्द वर्मा, सीटीऐई के अधिष्ठाता प्रोफेसर डॉ. सुनील जोशी  सीओएफ महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रोफेसर डॉ. आर. ए. कौशिक एवं सामुदायिक विज्ञान एवं व्यवहार महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. धृति सोलंकी, उद्यान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. के. डी. आमेटा सहित अनेक प्राध्यापक, शैक्षणेत्तर कर्मचारी संघटन, कार्यकारिणी सदस्य, कर्मचारी व विद्यार्थी उपस्थित थे। पूर्व क्रीडा मण्डल सचिव श्री सोम शेखर व्यास ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन सुश्री श्रेया भट्ट ने किया। 


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like