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प्रकृति के अनुरूप खेती ही प्राकृतिक खेती है : डॉ कर्नाटक

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30 Apr 25
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प्रकृति के अनुरूप खेती ही प्राकृतिक खेती है : डॉ कर्नाटक

आज दिनांक 30 अप्रैल 2025 को महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के अंतर्गत सरकारी अधिकारियों के लिए तीन दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का भव्य उद्घाटन किया गया।
प्रशिक्षण में कृषि विभाग, राजस्थान सरकार के 12 जिलो के 30 से अधिक अधिकारियों ने भाग लिया । प्रशिक्षण के शुभारंभ के अवसर में माननीय कुलपति डॉ अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि प्राकृतिक खेती का प्रमुख उदेद्श्य किसानो की कृषि आदानो पर निर्भरता को कम करना है। भारत सरकार का प्राकृतिक खेती को कम से कम 1 करोड़ किसानों तक लक्ष्य है। उन्होने कहा कि यदि हर वर्ष 2 प्रतिशत प्रारम्परिक खेती प्राकृतिक खेती में परिवर्तित हो जाये तो 10 वर्षो में कुल 20 प्रतिशत प्राकृतिक खेती का लक्ष्य प्राप्त हो जायेगा। डॉ कर्नाटक ने बताया कि प्राकृतिक उत्पादांे का प्रमाणिकरण होना अत्यन्त आवश्यक है। हरित क्रांति से हमने उत्पादन तो बढ़ाया पर रसायनों के अधिक व अंधाधुंध उपयोग के कारण प्रकृति एवं मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव का सामना भी किया है। डॉ कर्नाटक ने कहा की प्राकृतिक खेती से उत्पादन में होने वाली प्रारम्ंिभक कमी को पूरा करने के विकल्प खोजने होंगे। अनुसंधान निदेशक डॉ. अरविंद वर्मा ने प्रशिक्षण की जानकारी देते हुए कहां कि उदयपुर केंद्र पर जैविक एवं प्राकृतिक खेती पर किए गए बृहद अनुसंधान कार्य का ही परिणाम है कि उदयपुर केंद्र राष्ट्र में इस प्रकार के प्रशिक्षण के लिए प्रथम स्थान पर चुना गया है। डॉ वर्मा ने बताया कि प्रशिक्षण में प्राकृतिक खेती पर व्याख्यान एवं प्रायोगिक रूप से प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे प्राकृतिक खेती के व्यापक स्थिर पर अनुसरण होगा। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. आर. ए. कौशिक ने बताया कि प्राकृतिक खेती को खाद्यान फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों में भी वृहद स्तर पर अपनाना चाहिए। फलों एवं सब्जियों में प्राकृतिक खेती के अच्छे परिणाम कि संभावना अधिक रहती है।
प्रशिक्षण प्रभारी डॉ रविकांत शर्मा ने प्रशिक्षण का प्रारूप रखा एवं पधारे अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।


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