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राष्ट्रीयता के संस्कारों को आगे बढ़ाने में है साहित्य की सार्थकता - स्मित

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08 Jun 25
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राष्ट्रीयता के संस्कारों को आगे बढ़ाने में है साहित्य की सार्थकता - स्मित

उदयपुर, अखिल भारतीय साहित्य परिषद की चित्तौड़ प्रांत साहित्य मंत्री प्रख्यात साहित्यकार रेखा लोढ़ा 'स्मित' शनिवार को उदयपुर प्रवास पर रही। इस दौरान सुखाड़िया विश्वविद्यालय गेस्टहाउस सभागार में परिषद की महानगर इकाई की ओर से परिचय एवं उद्बोधन सत्र आयोजित किया गया।

अपने उद्बोधन में स्मित ने कहा कि साहित्य के सृजन की सार्थकता तभी है जब इसमें राष्ट्रीयता के संस्कारों को आगे बढ़ाने की क्षमता हो। उन्होने 1966 में अखिल भारतीय साहित्य परिषद की स्थापना के उद्देश्यों को सामने रखते हुए कहा कि अभी तक जिन्होने परिषद का नेतृत्व किया वे अपने समय के नामचीन साहित्यकार रहे हैं। पं. विद्यानिवास मिश्र, जेनेन्द्र कुमार, सोहन लाल द्विवेदी, दयाकृष्ण विजय का उल्लेख करते हुए उन्होने कहा कि इन सभी की रचनाओं ने राष्ट्रीयता को पोषित करने का कार्य किया। वर्तमान समय की विषम परिस्थितियों में नई पीढ़ी में राष्ट्रीयता का भाव भरने की महती आवश्यकता को देखते हुए साहित्यकारों की जिम्मेदारी बढ़ गई है। स्मित ने आगामी दिवस में परिषद के विभिन्न कार्यक्रमों की रूपरेख सामने रखीं। उन्होने उदयपुर महानगर इकाई में नवीन सदस्यों का उपरणा ओढ़ाकर स्वागत भी किया। इस अवसर पर परिषद के विभाग संयोजक डॉ आशीष सिसोदिया, महानगर इकाई संयोजक किरण बाला किरन, जिला संयोजक ओम प्रकाश, महामंत्री आशा पांडे ओझा, उपाध्यक्ष कपिल पालीवाल, अश्विनी वशिष्ठ, सुनीता वशिष्ठ, पूनम भू, प्रकाश तातेड़, मनमोहन मधुकर, डॉ गोपाल राजगोपाल, स्वाति शकुंत, विजय मारू, जयदेव उज्जवल सहित इकाई के कार्यकारिणी पदाधिकारी, नवीन सदस्य सहित शहर के जाने-माने साहित्यकार एवं साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

प्रांत स्तरीय कहानी प्रतियोगिता के विजेताओं को किया सम्मानित

परिषद की ओर से हाल ही में करवाई गई प्रांत स्तरीय कहानी प्रतियोगिता के विभिन्न वर्गों में विजेता रहे साहित्यकारों को अतिथियों ने प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। 40 से 60 वर्ष आयुवर्ग की कहानी प्रतियोगिता में तृतीय रही प्रियंका भट्ट, 60 से 80 वर्ष आयुवर्ग में तृतीय रहीं प्रमिला शरद व्यास एवं 60 से 80 वर्ष आयुवर्ग के कहानी प्रतियोगिता में द्वितीय रहे तरूण दाधीच का सम्मान किया गया।


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