GMCH STORIES

कविता-नशे से नाश

( Read 6065 Times)

24 Jun 21
Share |
Print This Page
कविता-नशे से नाश

नशा है मूर्खता 

क्यों इसे अपनाता।

नशेडी की सदा उपेक्षा 

नहीं बचती आकांक्षा।

आर्थिक होती दरिद्रता 

मिट जाती भव्यता।

प्रेमिका से टूटे डोर 

परिवार बीच बसे बैर‌।

बहक जाती भाषा 

बदल जाती परिभाषा‌।

स्वास्थ्य का नाश 

शरीर जिंदा लाश।

नशा है नाश छोड़ो 

जिंदगी की आस जोड़ो।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like