गुंजन पंत की माता मंजू पंत का निधन
08 May, 2025
नशा है मूर्खता
क्यों इसे अपनाता।
नशेडी की सदा उपेक्षा
नहीं बचती आकांक्षा।
आर्थिक होती दरिद्रता
मिट जाती भव्यता।
प्रेमिका से टूटे डोर
परिवार बीच बसे बैर।
बहक जाती भाषा
बदल जाती परिभाषा।
स्वास्थ्य का नाश
शरीर जिंदा लाश।
नशा है नाश छोड़ो
जिंदगी की आस जोड़ो।