कोटा / अपनी मातृ भूमि ,राष्ट्र और संस्कृति के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले योद्धाओं के बारे में जानना और अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत रहना और सचेत करना प्रत्येक व्यक्ति का धर्म है। आज की युवा पीढ़ी को इन सन्दर्भों से जोड़ना और अपने गौरवशाली समय से साक्षात्कार कराना इसलिए भी आवश्यक है कि वे अपने अतीत, वर्तमान और भविष्य के प्रति सजग रहकर अपनी स्वतांत्रिक मूल भावना को संरक्षित और समृद्ध कर सके। उनमें निष्ठा, साहस और नैतिक मूल्यों का संचार हो जिससे वे अपने राष्ट्र और समाज में प्रेरक नागरिक बन कर दिशाबोधित मार्ग प्रशस्त कर सके।
इन्हीं सन्दर्भों के साथ राष्ट्र की सम्प्रभुता और स्वतन्त्रता के लिए अपने पूरे परिवार के साथ जिन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया ऐसे बारहठ परिवार की प्रेरक गाथाओं को सुनने, पढ़ने और गुनने का अवसर प्राप्त हुआ।
क्रांतिकारी कवि ठाकुर केसरी सिंह बारहठ के "चेतावणी रा चूंगट्या" जग प्रसिद्ध है। तथापि उनके पुत्र कुंवर प्रताप सिंह बारहठ को गहराई से जानने और समझने का अवसर इस समारोह में संयोजन हेतु स्वाध्याय, सान्निध्य और प्रेरक उद्बोधन के समय मिला और ऐसे पच्चीस वर्षीय युवक के विचारों से आत्मसात् हुआ जिन्होंने कहा था - " मैं अपनी एक माता को हँसाने के लिए तैंतीस कोटि पुत्रों की माताओं को रुलाना नहीं चाहता।"
अवसर था अमर शहीद कुंवर प्रताप सिंह बारहठ (राष्ट्रीय) सेवा संस्थान, शाहपुरा एवं कोटा इकाई के संयुक्त तत्वावधान में अमर शहीद कु. प्रताप सिंह बारहठ 133 वीं जयन्ती समारोह एवं शहादत दिवस का।
यह समारोह शनिवार 24 मई 2025 को यूआईटी ओडिटोरियम, मेडिकल कॉलेज के पास, बालाजी नगर, सेक्टर-ए, रंगबाड़ी रोड, कोटा (राजस्थान) में सम्पन्न हुआ। इस स्वाभिमान और बलिदान दिवस समारोह के संचालन का दायित्व मुझे (विजय जोशी) सौंपा गया।
आरम्भ में समारोह आयोजन समिति के मार्गदर्शक एवं कोटा संभाग के संभागीय आयुक्त श्री राजेन्द्र सिंह शेखावत ने समारोह की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए स्वतंत्रता आंदोलन में बारहठ परिवार के अतुलनीय योगदान का उल्लेख किया। इसके पश्चात् अमर शहीद कुंवर प्रताप सिंह बारहठ (राष्ट्रीय) सेवा संस्थान, शाहपुरा के सचिव कैलाश सिंह जाड़ावत ने संस्थान का परिचय देते हुए प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इसके बाद युवा कवि नरेंद्र सिंह जाड़ावत ने कुंवर प्रताप सिंह बारहठ पर केन्द्रित कविता का वाचन कर श्रोताओं में जोश भर दिया। वहीं श्रीनाथ जी की नगरी नाथद्वारा के बालक गणेश सुथार ने कविता प्रस्तुत कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि राज्य धरोहर प्राधिकरण राजस्थान सरकार के अध्यक्ष श्री ओंकार सिंह जी लखावत ने बारहठ परिवार के स्वतंत्रता आंदोलन में अपना सर्वस्व न्योछावर करने पर सारगर्भित व्याख्यान दिया तथा प्राधिकरण द्वारा किए जा रहे महत्वपूर्ण कार्यों की जानकारी दी।
समारोह के मुख्य वक्ता इतिहासविद् व मोटिवेशनल स्पीकर स्प्रिंग बोर्ड इन्टटीट्यूट जयपुर एवं संस्थापक - चळकोई फाउंडेशन के राजवीर सिंह चळकोई ने स्वतंत्रता आंदोलन की पृष्ठभूमि पर धाराप्रवाह बोलते हुए युवा पीढ़ी को जोड़कर कुंवर प्रताप सिंह बारहठ और उनके परिवार की प्रेरक जीवनी पर प्रभावी उद्बोधन दिया।
दोनों वक्ताओं ने बारहठ परिवार के कोटा से जुड़े कई प्रसंगों को उद्धरित किया तथा आह्वान किया कि आज के विद्यार्थियों और युवाओं को कुंवर प्रताप सिंह बारहठ के व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रेरणा लेकर अपना आत्मबल बनाए रखकर निर्विघ्न रूप से अपने कर्तव्य पथ पर बढ़ते रहना चाहिए।
उद्बोधन में जब वरिष्ठ पीढ़ी के साथ युवा पीढ़ी को भी स्वतंत्रता संग्राम के गौरवशाली पलों को लिखने और पढ़ने की बात उभरी तो इस प्रसंग में मैंने (विजय जोशी) संयोजन करते हुए हाड़ौती अंचल से वरिष्ठ कवि एवं महाकाव्यकार किशनलाल वर्मा लिखित चर्चित महाकाव्य "क्रांतिवीर केहर केसरी" को रेखांकित किया। साथ ही कोटा के युवा उपन्यासकार प्रशान्त टेहल्यानी के सद्य प्रकाशित उपन्यास ' अस्तोदय ' का उल्लेख करते हुए बताया कि - "स्वतंत्रता आंदोलन की ऐतिहासिक घटना के सूत्र से उद्भूत इस उपन्यास में स्वतंत्रता सैनानियों और उनके साहसी सहयोगियों की दृढ़ इच्छाशक्ति तथा बाल्यकाल की स्मृतियों की संचेतना और संस्कारों के चलते राष्ट्रीय चेतना के सन्दर्भों को गहराई से विश्लेषित किया है।"
इस अवसर पर विधायक संदीप शर्मा ने सम्बोधित करते हुए देश की आज़ादी पर मर मिटने वाले शहीदों को स्मरण करते हुए उनके योगदान को रेखांकित किया।
समारोह में श्री सुरेंद्र कुमार मोगा, जिला झुंझुनू को ऑपरेशन सिंदूर में उत्कृष्ट वीरता का प्रदर्शन करने एवं दुश्मन से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त कर सर्वोच्च बलिदान करने पर " वीरवर ठाकुर जोरावर सिंह बारहठ पराक्रम सम्मान 2025 " से सम्मानित किया। जिसे उनके परिजन एएसआई अजीत मोगा ने आकर ग्रहण किया।
शहीद कर्णवीर सिंह, देवमऊ, सतना म. प्र. को सन् 2016 मे 21 वीं राजपूत रेजिमेंट में रहते हुए 20 अक्टूबर 2021 को शोपियां जम्मू कश्मीर में आतंकियों से लड़ते हुए, 25 वर्ष की उम्र में सर्वोच्च बलिदान दिया। इनकी वीरता, बलिदान और देशभक्ति को नमन करते हुए " अमर शहीद कुंवर प्रताप सिंह बारहठ स्वाभिमान सम्मान - 2025 " से सम्मानित किया। जिसे उनकी माता श्रीमती मिथलेश सिंह और पिता श्री रवि कुमार सिंह ने आकर ग्रहण किया।
श्रीमती उमा रत्नू पति श्री मानसिंह रत्नू , गाँव - बोदलासी, जिला- सीकर (राजस्थान) जो जीजी बाई के नाम से विख्यात हैं को नारी उत्थान और समाज सेवा कार्य के लिए " वीर माता माणिक कंवर नारी शक्ति वन्दन सम्मान - 2025 " से सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप शाल, पाग, पुष्प गुच्छ, सम्मान - पत्र, स्मृति चिन्ह एवं ग्यारह हज़ार रुपए राशि का चेक भेंट किया गया।
अमर शहीद कुंवर प्रताप सिंह बारहठ (राष्ट्रीय) सेवा संस्थान, शाहपुरा की आयोजन समिति के पदाधिकारी अध्यक्ष विशाल सिंह सौदा, संरक्षक राजाधिराज जय सिंह शाहपुरा, सचिव कैलाश सिंह जाड़ावत तथा शाहपुरा केसरी सिंह बारहठ स्मारक समिति के अध्यक्ष श्री कन्हैयालाल धाकड़ सहित कोटा संभाग के संभागीय आयुक्त श्री राजेन्द्र सिंह शेखावत के मार्गदर्शन में आयोजित इस समारोह में अमर शहीद कुंवर प्रताप सिंह बारहठ संस्थान - कोटा ईकाई के पदाधिकारी सहित भाजपा विधायक संदीप शर्मा, भाजपा शहर अध्यक्ष राकेश जैन, डेयरी अध्यक्ष चैन सिंह राठौड़, पूर्व महापौर महेश विजय, खादी बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष पंकज मेहता, तकनीकी विश्वविद्यालय बीकानेर के पूर्व कुलपति प्रो. एच.डी. चारण मंचासीन रहे।
सामूहिक राष्ट्र गान के साथ समारोह का समापन हुआ। आयोजन में चम्बल फर्टिलाइजर गढ़ेपान तथा डीसीएम श्रीराम कोटा संस्थाओं का विशेष सहयोग रहा।
आरम्भ में मंचासीन अतिथियों द्वारा अमर शहीद कुंवर प्रताप सिंह बारहठ एवं माँ भारती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन किया तथा डॉ. इन्दु बाला शर्मा, पल्लवी दरक न्याति और प्रतिभा शर्मा ने राष्ट्र गीत वन्देमातरम प्रस्तुत किया। इसके पश्चात् मंचासीन अतिथियों का पाग, पुष्प गुच्छ, माला, स्मृति चिन्ह एवं साहित्य भेंट कर स्वागत - सम्मान किया गया।
इस अवसर पर रेजिडेन्ट डॉक्टर एसोसिएशन की ओर से रक्तदान शिविर का आयोजन हुआ जिसमें 347 यूनिट रक्त एकत्र हुआ। डॉ. सुखवीर कविया ने अपने सम्बोधन में रक्तदान की महत्ता को बताते हुए शहीदों को लेकर जोश भरी काव्य पंक्तियों प्रस्तुत की।
अन्त में नगर निगम कोटा के पूर्व महापौर एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद, कोटा के अध्यक्ष महेश विजय ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए अमर शहीदों की प्रेरक जीवनी पढ़ने के लिए प्रेरित किया।