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फूल छाप सरकारी अफसर नफरत फेलाने वालो के खिलाफ मुकदमा चलाने की नहीं दे रहे हैं इजाजत

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23 Mar 23
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- अख्तर खान अकेला

फूल छाप सरकारी अफसर नफरत फेलाने वालो के खिलाफ मुकदमा चलाने की नहीं दे रहे हैं इजाजत

कोटा  । विज्ञाननगर थानाक्षेत्र में ,, इस्लाम के खिलाफ नफरत की  टिप्पणियों के बाद फौजदारी मुक़दमा तो दर्ज हुआ , अनुसंधान भी हुआ , अभियुक्त को , दोषी भी क़रार दिया , लेकिन राजस्थान सरकार में बैठे कुछ फूल  छाप अधिकारीयों द्वारा मुक़दमा चलाने की स्वीकृति नहीं दिये जाने  से , ऐसे गंभीर अपराध में एफ आर लगाकर प्रकरण खत्म कर दिया गया , इस मामले में , समस्त कार्यवाही विवरण के साथ , ह्यूमन रिलीफ सोसायटी की  तरफ से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को शिकायत भेजकर ,, ऐसे  अधिकारियों के खिलाफ  कठोर कार्यवाही की मांग की हैं , जबकि अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमेन , विधायक , वक़्फ़ बोर्ड के सदस्य , रफ़ीक़ खान को भी , लिखित में शिकायत भेजी है , फोन पर सुचना दी है , लेकिन रफ़ीक़ साहब के पास , शिकायतें जानने का वक़्त ही नहीं था , क्योंकि वोह पहले से ही , सामने बैठी हुई भीड़ के साथ व्यस्त थे , बाद में भी अभी तक चौबीस घंटे गुज़रने पर भी उन्हें वक़्त नहीं मिल पाया है , ,बात  1 जून 2017 की है , एक वाट्स ऐप ग्रुप पर बाबूलाल मीणा नामक व्यक्ति द्वारा , इस्लाम उसकी आस्था के खिलाफ घृणास्पद पोस्ट प्रकाशित की , विज्ञाननगर थाने में , शाहरुख़ सहित कुछ लोगों ने लिखित एफ आई आर दर्ज कराई , जिस पर , अभियुक्त बाबूलाल मीणा के खिलाफ एफ आई आर नंबर 200 /2017 दर्ज हुई , अभियुक्त बाबूलाल के खिलाफ विज्ञाननगर  पुलिस ने , 295 ऐ, 153 ऐ आई पी सी में मुक़दमा दर्ज कर निष्पक्ष अनुसंधान किया , अभियुक्त बाबूलाल मीणा को थाने तलब किया और फिर अदालत में चालान पेश होते वक़्त , उपस्थित होने के निर्देश के साथ , रुखसत कर दिया , इसी बीच , अभियुक्त की सरकार में बैठे अधिकारीयों में पहुंच होने से मुक़दमे की शक्ल ही बदल गई , अभियुक्त के खिलाफ सम्पूर्ण अपराध पूर्ण रूप से साबित होने पर , विज्ञाननगर कोटा पुलिस ने , चालान पेश करने की अनुशंसा की , चालान के आदेश वरिष्ठ पुलिस अधिकारीयों ने दे दिए लेकिन अचानक पत्रावली में नया मोड़ आ गया ,, विज्ञाननगर पुलिस ने चार्जशीट 237 /2017 में चालान पेश करने के लिए अभियोजन स्वीकृति के लिए सरकार को पत्र लिखा , जिसके जवाब में  पत्र क्रमांक प, 07 (86 ) अभियोजन स्वीकृति गृह-10 /2017 / जयपुर दिनांक 11 अक्टूबर 2018 को अभियोजन स्वीकृति देने से इंकार करते हुए लिखा के इसी तरह का एक मामला , भीमगंजमंडी थाने में दर्ज है , जिसकी एफ आई आर 306 /2017  है ,  इस पर विज्ञाननगर पुलिस ने फिर से इस प्रकरण की जांच की , और इस मामले में , सरकारी वकील की राय आने पर फिर से , चार्जशीट पेश करने की अनुशंसा की , लेकिन अचानक , ना जाने कोनसे गुप्त निर्देश हुए , के  भीमगंजमंडी थाने में दर्ज मुक़दमे में एफ आर का हवाला  देकर, इस मुक़दमे में सम्पूर्ण जांच , अभियुक्त के खिलाफ साबित होने पर भी उसे गिरफ्तार नहीं किया , चार्जशीट पेश नहीं की , और अदम वक़ू ,गलतफहमी का मामला बताकर एफ आर लगा दी गई , जिसमे फरियादी ने प्रोटेस्ट पटीटीशन पेश करने का समय चाहा है , ऐसे गंभीर अपराध जिसमे , इस्लाम धर्म के खिलाफ घृणास्पद टिप्पणियां हों , इस्लाम धर्म किया , कोई भी धर्म  हो , उसकी आस्था को चोट पहुंचाने वाले खिलाफ तो , कांग्रेस सरकार में हर हाल में निष्पक्ष कार्यवाही होना ही चाहिए , लेकिन यह अजीबो गरीब मामला  जिसमे पहले अपराध साबित है , फिर अभियोजन स्वीकृति ग्रह विभाग का देने से इंकार, फिर , दुबारा चार्जशीट के आदेश , फिर अचानक , अदम वक़ू गलत फहमी में एफ आर , तो यही पूंछा जाएगा के यह रिश्ता क्या कहलाता है , , ताज्जुब इस बात पर है , के भीमगंजमंडी में दर्ज एफ आई आर 306 /2017 में अभियुक्त नंद सिंह गिरफ्तार भी हुआ , उसकी अधीनस्थ न्यायालय से ज़मानत भी खारिज हुई , फिर अपर सेशन न्यायालय क्रम 1 से ,अभियुक्त नंद सिंह की ज़मानत प्रार्थना पत्र संख्या 939 /2017 में अभियुक्त नंद सिंह की , 4 जुलाई 2017 को ज़मानत स्वीकार की गई , अब जिस गंभीर प्रकरण में , अभियुक्त की गिरफ्तारी के  बाद, अधीनस्थ न्यायालय ने ज़मानत ख़ारिज की हो , फिर सेशन न्यायालय क्रम 1 ने ज़मानत पर अभियुक्त को रिहा करने के आदेश दिए हों , जिसकी ज़मानत पेश हुई, हो , उस मामले में  भीमगंजमंडी पुलिस ने भी , अचानक एफ आर 1797 /2020  अभियुक्त को रिहा करने के लिए तत्काल 14 दिसम्बर 2020  को पेश की , और उसी दिन , इस एफ आर को , अदालत से मंज़ूर भी करवा ली गई , इधर विज्ञाननगर थाने में ग्रह विभाग राजस्थान सरकार , इस एफ आई आर का हवाला  देकर अभियोजन स्वीकृति से इंकार करता है , जबकि इस एफ आई आर में अभियुक्त ही दुसरा है , नंद सिंह विज्ञाननगर की एफ आई आर में अभियुक्त ही नहीं है , उसमे तो बाबूलाल के   खिलाफ सुबूत एकत्रित हुए है , फिर विज्ञाननगर पुलिस ने दो बार , चार्जशीट पेश करने के प्रयास किये , लेकिन अचानक इस एफ आई आर में गिरफ्तारी तो दूर , एफ आर लगाकर न्यायालय में पेश कर दी गई , वोह तो भला हो इसमें फरियादी , सरकार के पुलिस कर्मी नहीं थे ,  प्राइवेट व्यक्ति थे , जिसमे एफ आर लगाने के पहले फरियादी को नोटिस मिला और प्रोटेस्ट लगाने की कार्यवाही शुरू हुई , नक़ल जब निकली , तो एफ आर की नक़ल देखकर , और उसमे जो अपराधी ने आपराधिक अल्फ़ाज़ लिखे थे उसे देखकर , रोंगटे खड़े हो गए , इन अल्फाजों को दुबारा प्रोड्यूज करना भी गुनाह है,  भला ऐसे गंभीर अपराध करने वालों को , पुलिस अनुसंधान में अपराधी होने पर भी , ग्रह  विभाग राजस्थान सरकार कैसे अभयदान दे सकता है , इस मामले में फरियादी प्रोटेस्ट पिटीशन की तय्यारी कर रहा है , ,इधर , ह्यूमन रिलीफ सोसायटी की तरफ , से माननीय मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत , को , विस्तृत शिकायत पत्र  भेज कर दोषी अधिकारीयों के  कठोर कार्यवाही करने और अभियुक्त को गिरफ्तार कर सज़ा दिलवाने के निर्देश की मांग की है , इस मामले में , अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमेन होने के नाते , विधायक  रफीक खान को भी शिकायत लिखकर  कार्यवाही की मांग की है  ,उन्हें व्यक्तिगत फोन कर , उनकी कॉम , मज़हब , इस्लाम के खिलाफ इस साज़िश की सुचना भी देने की कोशिश की , लेकिन साहब सामने बैठी भीड़ के साथ व्यस्त थे , इसलिए बात नहीं हुई , फिर भी , पत्र भेजने के अलावा ज़रिए ई मेल , पी डी एफ फ़ाइल उनके , उनके निजी सहायक, सहित दोनों अल्पसंख्यक मंत्रियों , सभी   मुस्लिम विधायकों , सरकार के इर्दगिर्द चक्क्रर लगाने वाले , मौलवी , मौलानाओं , मुफ्तिओं , अल्पसंख्यक विभाग के ज़िम्मेदारों को भी पी डी एफ फ़ाइल भेजकर,  इस गंभीर मामले में , दोषी लोगों को सज़ा दिलवाने की गुज़ारिश की है , ताकि भविष्य में कोई भी , ऐसे किसी भी धर्म आस्था के खिलाफ  ऐसा घृणास्पद अपराध करने का दुस्साहस ना करे ,, राजस्थान के गाँधीवादी मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत को , उनके ग्रह विभाग के ऐसे अपराधियों को बचाने वाले अधिकारीयों के खिलाफ शिकायत भेजी है , यक़ीन है , के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ऐसे अपराधियों को , गोलमोल कार्यवाही कर बचाने वाले अधिकारीयों , पुलिस कर्मियों के खिलाफ कठोर  सबक़ सिखाने वाली कार्यवाही  करेंगे ,  और इस मामले में अपराधी को जेल की सींखचों के पीछे डालने के सख्त आदेश देकर ,, क़ानून का राज स्थापित है , इसका उदाहरण देंगे ,, ,अख्तर खान अकेला कोटा 


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