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कोटा से 140 किलोमीटर दूर से ले आये,दो दृष्टिहीनो के लिये रौशनी

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19 Oct 21
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कोटा से 140 किलोमीटर दूर से ले आये,दो दृष्टिहीनो के लिये रौशनी

संभाग स्तर पर नैत्रदान-अंगदान-देहदान के लिये विगत 10 वर्षों से कार्य कर रही संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से बाराँ जिले के छीपाबड़ौद तहसील निवासी प्रदीप बाठला जी के पिता जी श्री सोहनलाल जी बाठला (80 वर्षीय) का नैत्रदान सम्पन्न हुआ। शाइन इंडिया के माध्यम से यह,बारां जिले के छीपाबड़ौद क्षेत्र में पहला नैत्रदान है।

संस्था के छीपाबड़ौद क्षेत्र के ज्योति-मित्र सुरेश अदलखा ने बताया कि संस्था द्धारा चलाये जा रहे जागरूकता कार्यक्रमों की महक अब दूर-दूर भी होने लगी है । सोमवार सुबह 11 बज़े बारां जिले से से 60 किलोमीटर दूर छीपाबड़ौद क्षेत्र से सोहन लाल जी के निधन की सूचना मिली,सुरेश जी ने बताया कि,परिजनों की इच्छा है कि नैत्रदान का कार्य सम्पन्न हो ।

सुरेश जी ने तुरंत शाइन इंडिया फाउंडेशन की कोटा टीम को संपर्क किया, और बताया कि प्रदीप जी और परिवार के सभी सदस्य नैत्रदान के प्रति प्रारंभ से ही सकारात्मक सोच रखते हैं । सारी बात सुनकर संस्था व बीबीजे चैप्टर के अध्यक्ष डॉ कुलवंत गौड़ 140 किलोमीटर दूर कोटा से नैत्रदान लेने के लिये रवाना हुए ।

सोहन जी और उनके दोनों बेटे प्रदीप व चंद्रप्रकाश जी के कुशल व्यवहार से पूरा छीपाबड़ौद परिचित है । सोहन जी हमेशा खुश-मिज़ाज रहने वाले,और सभी के जरूरत के समय सबसे पहले आगे बढ़कर साथ देने वाले इंसान रहे हैं। शहर के सबसे प्रतिष्ठित व सामाजिक कार्यों में अग्रणी रहने के कारण,शोक की यह ख़बर भी शहर में तेज़ी से फैल गयी ।

3 घंटे में कोटा से निवास पर 100 लोगों के बीच डॉ कुलवंत गौड़ ने नैत्रदान की प्रक्रिया को 10 मिनट में पूरा किया,जिसको सभी उपस्थित जन समूह ने अच्छे से देखा। नैत्रदान प्रक्रिया के दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी कुंदन शर्मा,हिम्मत सिंह का सहयोग रहा। उपस्थित लोगों ने परिवार के साहस की सराहना करते हुए की,पिता को नैत्रदान से अमर करने के लिये दोनों बेटों ने अंतिम संस्कार को देरी से किया,इस कार्य से सभी को प्रेरणा लेनी चाहिये।

नैत्रदान सम्पन्न होने के बाद बाहर बैठे शहर के लोगों नैत्रदान के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी। डॉ गौड़ ने बताया कि,नैत्रदान मृत्यु के बाद होने वाली ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पूरी आँख न लेकर सिर्फ कॉर्निया लिया जाता है,10 मिनट में पूरी हो जाने वाली इस प्रक्रिया में किसी तरह का कोई रक्त नहीं आता है, और न हो इससे चेहरा विकृत होता है । 2 वर्ष से 80 वर्ष के व्यक्ति का नैत्रदान संभव है । चश्मा लगा हुआ, मोतियाबिंद के ऑपरेशन हुए, ब्लड प्रेशर, हृदय सम्बंधित बीमारी की दवा लेने वाले व्यक्ति का नैत्रदान संभव है । मृत्यु के बाद 8 घंटे में , सर्दियों में 10 घंटे में व डीपफ्रीज़ में पार्थिव शव को रखने पर 24 घंटे में भी नैत्रदान संभव है ।

शाइन इंडिया फाउंडेशन के कार्यों की सराहना करते हुए,पूर्व जिला प्रमुख श्री भरत लाल जी बाठला ने भी अपना नैत्रदान संकल्प पत्र भरने की कहा,जिसको संस्था द्वारा जल्दी ही पूरा किया जाएगा । मौके पर उपस्थित डिप्टी सीएमएचओ महेश भूटानी ने भी आश्वासन दिया कि,नैत्रदान के कार्य को बढ़ाने के लिये,उनके विभाग ने जो भी प्रयास होगा,वह किया जायेगा।

नैत्रदान के प्रति दोनों बेटों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि,ईश्वर की नियति के आगे हम मजबूर थे,इसलिए यह दुख का समय तो था,पर मन में एक सुकून है कि पिता जी, किसी दो दृष्टिहीन लोगों में रौशनी बनकर जीवित रहेंगे । हमारा प्रयास रहेगा कि पिता जी के बताये हुए नैत्रदान के इस पुनीत कार्य को हम अपने परिवार में परंपरा बना सकें  और जब तक हमारा जीवन बचा है,तब तक हम,अपने से जुड़े लोगों को नैत्रदान के लिये प्रेरित करता रहेंगे। 

ज्ञात हो कि,शाइन इंडिया फाउंडेशन, आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान,जयपुर के साथ,उनके मापदंड और दिशा-निर्देशों पर नैत्रदान जागरूकता व नेत्र-संग्रहण के लिये कार्य कर रही है। संस्था के सहयोग से अभी तक 1160 नेत्रों का संग्रह संभाग स्तर पर किया जा चुका है । शाइन इंडिया फाउंडेशन,आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान के बीबीजे चैप्टर के अध्यक्ष डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि,संस्था 180 किलोमीटर के दायरे में किसी भी समय,सभी तरह की परिस्थितियों में नैत्रदान लेने आने के लिये हमेशा तैयार है।  कोटा संभाग में नैत्रदान से सम्बंधित किसी भी कार्य के लिये 8386900102 पर सम्पर्क कर सकते है। नैत्रदान के उपरांत संस्था द्धारा शोकाकुल परिवार    का सम्मान किया गया।
 


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