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एक घंटे में आये,नेत्रदान से,बंद हुई आँखे फिर होंगी रौशन 

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08 Jul 19
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एक घंटे में आये,नेत्रदान से,बंद हुई आँखे फिर होंगी रौशन 

न्यू कॉलोनी, बूँदी निवासी,73 वर्षीया श्रीमति कैलाश बाई जी मंडोवरा की तबियत घर पर सीने में दर्द उठने के कारण ख़राब हुई । जिसके बाद उनके बेटे मनोज,जगदीश व भगवान और क़रीबी रिश्तेदार उनको तुरंत घर से बूँदी जिला अस्पताल में ले आये,पर तब तक उनका हृदयाघात के कारण निधन हो गया । अचानक हुई इस घटना से जी भी उनके साथ आये थे,सभी अपना होश खो बैठे । इनके सभी पुत्रों के मृदुल व्यवहार व सामाजिक कार्यो में सदा अग्रणी रहने के कारण ,इस घटना की ख़बर जल्दी ही शहर के सामाजिक व प्रतिष्ठित लोगों में भी पहुँच गई । 
कैलाश बाई मंडोवरा के निधन की सूचना शाइन इंडिया फाउंडेशन के बूँदी संयोजकों तक भी पहुँच गई ।

सभी के सम्मिलित प्रयास से कैलाश जी के बड़े पुत्र मनोज जी को नेत्रदान के कार्य को सम्पन्न करवाने के लिये समझाया गया । बाक़ी सभी रिश्तेदार भी वहीं मौजूद थे, उनके मन में यह शंका थी कि बूँदी में नेत्रदान कैसे संभव होगा,और इसमें काफी समय लगेगा । संस्था सदस्यों ने समझाया कि आपकी रजामंदी के सिर्फ एक घंटे बाद कोटा से टीम यहाँ आकर नेत्रदान ले लेगी,और सिर्फ 10-15 मिनट में यह प्रक्रिया पूरी भी हो जाएगी । बड़े पुत्र मनोज जी सब बात सुनकर,यह जान चुके थे कि,एक यही ज़रिया बचा है,जिसके माध्यम से मैं,अपनी माँ को किसी अन्य दृष्टिहीन व्यक्ति की आँखो में जीवित रख सकता हूँ ।

मनोज जी की सहमति  मिलने के बाद शाइन इंडिया फाउंडेशन की कोटा टीम तुरंत रवाना हो गयी ।  आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान के बीबीजे (बूँदी,बाराँ, झालावाड़) चेप्टर के कॉर्डिनेटर डॉ कुलवंत गौड़ के हाथ मे मोच के कारण कॉर्निया प्राप्त करने के लिये ,कोटा के तकनीशियन टिंकू ओझा जी को साथ लेना पड़ा , आज टिंकू जी का जन्मदिन था,इस अवसर पर उन्होंने सुबह रक्तदान भी किया था,इसके बाद वह अपने मित्रों व रिश्तेदारों के साथ शाम को पार्टी के आयोजन को लेकर व्यस्त थे,उनको जैसे ही सूचना मिली तो वह,शाइन इंडिया की टीम के साथ नेत्रदान लेने एक घण्टे में बूँदी पहुँच गये।

जिला अस्पताल के ट्रोमा वार्ड में सभी क़रीबी रिश्तेदारों के बीच कैलाश जी के कॉर्निया (पुतली) लिये गए । शाइन इंडिया के बूँदी संयोजक इदरीस बोहरा व मनीष मेवाड़ा ने बताया कि कॉर्निया मृत्यु के बाद गर्मियों में 6 से 8 घण्टो में,व सर्दियों में 10 से 12 घंटे में ले लिया जाता है,जिसमें किसी भी तरह का कोई रक्त बाहर नहीं आता है,और न चेहरे पर किसी तरह की कोई विकृति आती है । साथ ही यह भी बताया गया कि इस प्रक्रिया में  पूरी आँख नहीं ली जाती है,सिर्फ आँख का सबसे बाहरी पारदर्शी हिस्सा लिया जाता है ।

आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान के बीबीजे चैप्टर के कोर्डिनेटर डॉ कुलवंत गौड़ ने कहा कि यदि कहीं भी शोक का पल किसी परिवार में आता है,और परिजन पार्थिव शरीर के नेत्रदान करवाने को तैयार है,तो उनकी टीम 24 घंटे, सातों दिन किसी भी समय,कोटा से नेत्रदान लेने आने को तैयार है । बूँदी शहर में नेत्रदान-अंगदान देहदान के लिये किसी भी तरह की जानकारी के लिये,आशा नुवाल,मनीष मेवाड़ा व  इदरीस बोहरा को संपर्क किया जा सकता है । नेत्रदान की प्रक्रिया होने तक यह भी ध्यान रहे कि, पार्थिव शरीर की आँखे पूरी तरह बंद रहे,उन पर गीली पट्टी रहे,और पंखा नेत्रदान की प्रक्रिया होने तक बंद ही रखें ।


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