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बच्चों को न्यूमोनिया से बचाव के लिए पीसीवी के निःशुल्क टीके की शुरूआत 16 अप्रेल से

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17 Apr 19
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बच्चों को न्यूमोनिया से बचाव के लिए पीसीवी के निःशुल्क टीके की शुरूआत 16 अप्रेल से

कोटा । अब बच्चों को न्यूमोनिया से बचाने और बाल मृत्यु दर को कम करने के लिए पीसीवी का टीका नियमित टीकाकरण सारणी में शामिल किया जा रहा है। इसकी शुरूआत 16 अप्रेल से होने जा रही है। आरसीएचओ डॉ. एम.के. त्रिपाठी ने बताया कि पीसीवी का टीका जिला स्तर पर 12 अप्रेल को प्राप्त हो चुका है तथा अगले 7 दिनों के भीतर यह टीका जिले के सभी आंगनबाडी  केंद्र स्तर तक शिशुओं को निःशुल्क लगाना शुरू हो जाएगा। इस टीके की लॉन्चिंग मंगलवार 16 अप्रेल को जिला कलक्टर मुक्तानन्द अग्रवाल जे.के. लोन चिकित्सालय में करेगें।      

 

डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि शिशुओं में न्यूमोनिया छोटे बच्चो का प्रमुख कारण है एवं इसके कीटाणु खांसने एवं छींकने से फैलते है। उन्होने बताया कि शिशुओं में निमोनिया से मरने वाले बच्चों में एक तिहाई बच्चे न्यूमोकॉकल निमोनिया से मरते है, जिसकी टीके द्वारा रोकथाम आसानी से की जा सकती है। करीबन 80 प्रतिशत निमोनिया संबंधित मौतें 0 से 2 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की होती है। पीसीवी के लागू होने पर निमोनिया संबंधित मौतों में निश्चित कमी होगी व बाल मृत्यु दर को घटाने में सहायक होगी । उन्होने बताया कि विश्व में जितने बच्चों की मौत न्यूमोनिया से होती है उसमें से 20 प्रतिशत बच्चे भारत में मरते है। देश में न्यूमोनिया से होने वाली मौतों में 71 प्रतिशत मौतें केवल चार राज्यों बिहार, उŸार प्रदेश, मध्य प्रदेश व राजस्थान में होती है। न्यूमोकॉकल कोंजुगेट वैक्सीन यानी पीसीवी के लागू होने पर न्यूमोनिया संबंधित मृत्यु में कमी होगी जिससे शिशु मृत्यु दर में भी कमी आयेगी। डॉ त्रिपाठी ने बताया कि अभी पीसीवी का बाजार में मूल्य लगभग 3 से 4 हजार रूपये प्रति डोज है एवं इस टीके की 3 डोज 6 सप्ताह, 14 सप्ताह एवं 9 माह पूर्ण होने पर इन्जेक्शन के माध्यम से दी जायेगी। यह टीका सभी राजकीय चिकित्सा संस्थानो पर निःशुल्क उपलब्ध होगा।

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ. राजेश गुप्ता द्वारा बताया गया कि पीसीवी एक सुरक्षित टीका है और यह अब तक 141 देशों में बिना किसी समस्या के लागु किया जा चुका है। राजस्थान में चरणबद्ध तरीके से यह टीका लॉन्च किया जा रहा है, जिसमें अप्रेल 2018 से 9 जिलों में यह टीका पहले से ही लगाया रहा है एवं इसका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं है।


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