जैसलमेर । हिन्दी साहित्य के नक्षत्र उपन्यास सम्राट प्रेमचंद की जयन्ती स्थानीय जिला पुस्तकालय में मनाकर साहित्य प्रेमियों ने प्रेमचंद के योगदान को याद किया।
साहित्यकार मनोहर महेचा की अध्यक्षता में आयोजित विचार गोष्ठी में साहित्य अनुरागी नेमीचंद जैन ने प्रेमचंद के जीवन के विभिन्न पहुलुओं पर प्रकाश डालते हुए उन्हे कालजयी रचनाकार बताया।
चितंक लक्ष्मण पुरोहित ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य आज भी प्रासंगिक है। नारी व किसानो की समस्याओं पर केन्दि्रत उनके उपन्यास माानवीय संवेदना की अमूल्य धरोहर है।
कवि नन्द किशोर दवे ने प्रेमचंद की सूक्ष्म भावभिव्यक्ति की चर्चा करते हुए कहा कि उनके लेखन में माानवीय पीडा का सटीक चित्रण है।
साहित्यकार आनन्द जगााणी ने प्रेमचंद की कहानियों पर चर्चा करते हुए कहा कि बूढी काकी, ईदगाह, नमक का दरोगा व बडे भाई साहब जैसी कहानियां अपने कथ्य व शिल्प के कारण सदैव पठनीय व मननीय है प्रेमचंद ने शोषित व्यक्ति की पीडा को उजागार किया व समाज का ध्यान आकर्षित किया।
संचालन मांगीलाल सेवक ने प्रेमचंद जी के जीवन पर आधारित कविता प्रस्तुत कर कहा कि उनकी लेखनी आज भी प्रेरणादायी है।
मनोहर महेचा ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि प्रेमचंद की जीवन अभाव व संघर्ष का जीवन था वही संघर्ष व साहस उनके साहित्य में प्रकट होता है महेचा ने प्रेमचंद को शब्दो का अमर शिल्पी बता अपने श्रृद्वा सुमन अर्पित किये। पुस्तकालयध्यक्ष आनन्द चौहान ने आभार व्यक्त किया।