मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने सोमवार को भारत और विदेशों में चुनावों में गहरे फर्जी विमर्श की प्रवृत्ति पर चिंता जताई और कहा कि इसके जरिए विघटनकारी तत्व जनता की धारणा को बदलने और लोगों को गुमराह करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया मंचों को अपने एल्गोरिद्म पावर (कलन विधि की शक्ति) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) का इस्तेमाल कर साियता से फर्जी विमर्शो का पता लगाना चाहिए, खासकर भारत जैसे देश के अधिकार क्षेत्र में जहां चुनावी चा निश्चित और सुस्पष्ट है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने यहां चुनाव आयोग द्वारा प्रौदृाोगिकी का उपयोग और चुनाव निष्ठा विषय पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में यह टिप्पणी की। निर्वाचन आयोग की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, कुमार ने इस बात पर भी चिंता जताईं कि मंचों के सर्च रिजल्ट्स में समान अवसर नहीं बनाए जा रहे हैं ताकि कम से कम आधिकारिक तौर पर सत्यापित संस्करणों को नकली सामग्री के समान प्रमुखता के साथ दिखाया जा सके। उन्होंने कहा, सीईसी ने प्रवर्तन एजेंसियों की तरह गहराईं से फर्जी विमर्शो का पता लगाने की जिम्मेदारी सोशल मीडिया मंचों पर डालने का काम किया है। उन्होंने कहा, यह कल्पना करना मुश्किल है कि अगर प्रवर्तन एजेंसियां कहती हैं कि वे तब तक कार्वाईं नहीं करेंगे जब तक कि उन्हें अपराध की सूचना नहीं दी जाती है और खुफिया रोकथाम उनकी जिम्मेदारी नहीं है।