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वासुदेव को विरह पीड़ा में छोड़ गई इन्दिरा देवनानी

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05 Nov 25
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वासुदेव को विरह पीड़ा में छोड़ गई इन्दिरा देवनानी

गोपेन्द्र नाथ भट्ट 

दिवंगत इन्दिरा देवनानी राजस्थान विधानसभा के स्पीकर वासुदेव देवनानी को गहरी विरह पीड़ा में छोड़ गई है लेकिन इन पीड़ादायक परिस्थितियों में भी वासुदेव देवनानी ने जिस धैर्य, संयम, शान्ति, अनुशासन और गहराई का परिचय दिया,वह काबिले तारीफ है। मंगलवार को अपने गृह नगर अजमेर में अंतिम संस्कार से पहले उनके निवास स्थान पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इंदिरा देवनानी की पार्थिव देह पर जब पुष्प चक्र अर्पित कर रहे थे तब भी धीर-गंभीर देवनानी ने अपने घर आए मुख्यमंत्री को अपने साथ ले जा कर कुर्सी पर बिठाया और उन्हें अपनी पत्नी के अस्वस्थ होने और सवाई मानसिंह अस्पताल में उपचार तथा अन्तिम घड़ी के पूरे घटनाक्रम को बताया।

 

वासुदेव देवनानी ने अपने भाव विभोर परिवार विशेष कर पुत्र महेश देवनानी को इस नाजुक घड़ी में न केवल संभाला बल्कि वे जीवन की इस मुश्किल घड़ी में भी विचलित नहीं हुए। इन्दिरा देवनानी के अन्तिम संस्कार के एक-एक इंतजाम को बहुत ही बारीकी के साथ बखूबी खुद ने देखा और इस बात का ख्याल रखा कि कही कोई कमी नहीं रह जाए। 74 वर्षीय इंदिरा देवनानी ने पिछले दिनों ही वासुदेव देवनानी के साथ अपने वैवाहिक जीवन की 50 वीं वर्षगांठ यानी स्वर्ण जयंती वर्ष को बहुत ही सादे ढंग से मनाया था। देवनानी ने विधानसभा में उन्हें बधाई देने आए अपने सहकर्मियों को कहा था कि अगले वर्ष इसे बड़े रूप से मनाएंगे। इंदिरा देवनानी की अन्तिम यात्रा में सभी ने महसूस किया कि धीर-क्षीर और शान्त वासुदेव देवनानी चुपचाप अपनी इस इच्छा को अपनी धर्म पत्नी की चिर स्मृति को यादगार बनाने के रूप में पूरा कर रहे है। अजमेर के लोगों ने भी अपने लोकप्रिय नेता और प्रदेश के विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी की जीवन संगिनी इंदिरा देवनानी को जिस भाव पूर्वक तरीके और नम आँखों से अंतिम विदाई दी,यह लम्बे समय तक याद किया जाएगा। स्वर्गीय इंदिरा देवनानी की अन्तिम यात्रा में उमड़ा जन समूह लगातार पांच बार के विधायक वासुदेव देवनानी की अपार लोकप्रियता का बयान भी करता है।अंतिम संस्कार में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी सहित प्रदेश के अनेक मंत्रियों,अधिकारियों एवं शहर के प्रमुख लोगों ने भाग लिया और दिवंगत इन्दिरा देवनानी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान केबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर,सुरेश रावत, सुमित गोदारा, गौतम दक, ओंकार सिंह लखावत, के.के. बिश्नोई, पूर्व मंत्री सी आर चौधरी, अरुण चतुर्वेदी, विधायक शंकर सिंह रावत, गोपाल शर्मा आदि के साथ ही देवनारायण बोर्ड चेयरमेन ओमप्रकाश भडाणा, अजमेर डेयरी के चेयरमेन रामचन्द्र चौधरी, पूर्व आरटीडीसी चेयरमेन धर्मेंद्र सिंह राठौड़ सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

 

वासुदेव देवनानी की धर्म पत्नी इन्दिरा देवनानी शिक्षिका रहीं है और वे समाजसेवा में सक्रिय भूमिका निभाती थीं। वर्ष 1974 में वासुदेव देवनानी से उनका विवाह हुआ था। वे एक पुत्र और दो पुत्रियों की माता थी। उनके निधन से न केवल उनके परिवार एवं परिजनों और समाज में वरन राजनीतिक एवं सामाजिक जगत में भी शोक की लहर व्याप्त है।

 

वासुदेव देवनानी की पत्नी इन्दिरा देवनानी का मंगलवार को उनके पैतृक नगर ऐतिहासिक अजमेर में अंतिम संस्कार किया गया। उनकी शव यात्रा रामनगर स्थित निवास से रवाना होकर पुष्कर रोड स्थित ऋषि घाटी मुक्तिधाम पहुंची, जहां पुत्र महेश देवनानी ने वैदिक ऋचाओं और सनातन परंपराओं के बीच भावपूर्ण माहौल में अपनी माता को मुखाग्नि दी। इसके पूर्व इन्दिरा देवनानी की पार्थिव देह रिमझिम वर्षा के मध्य 

जयपुर से सुबह करीब साढ़े आठ बजे अजमेर लाई गई, जहां परिवार एवं परिजनों और स्थानीय लोगों ने नम आँखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। 

 

उल्लेखनीय है कि सोमवार देर शाम एसएमएस अस्पताल में उपचार के दौरान इन्दिरा देवनानी का निधन हो गया था। 29 अक्टूबर को कार्डियक अरेस्ट आने पर उन्हें जयपुर के मशहूर एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी ब्रेन सर्जरी भी की गई और वे कुछ दिन वेंटिलेटर पर थीं। इन्दिरा देवनानी के एसएमएस अस्पताल में उपचार के दौरान स्पीकर वासुदेव देवनानी ने अपने सभी निर्धारित कार्यक्रम और यात्रा कार्यक्रम निरस्त कर दिए तथा वे अपनी धर्मपत्नी की अन्तिम सांस तक लगातार उनके सिरहाने बैठे रहे। विपदा भरी इस घड़ी में भी उनकी संवेदनशीलता का एक और चेहरा भी दिखा कि जब इन्दिरा देवनानी को उनके निधन के बाद एस एम एस अस्पताल से जयपुर में स्पीकर देवनानी के सिविल लाइन्स स्थित राजकीय निवास पर लाया गया तथा प्रदेश के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े तथा राज्य के मंत्री गणों तथा सामान्य से विशिष्ट जनों द्वारा पार्थिव शरीर पर पुष्प चढ़ा और श्रद्धांजलि देने के बाद उनके जाने पर वे सारी रात जागते रहे तथा व्यवस्था में लगे अपने कर्मचारियों तथा संबंधियों को देर रात निंद आ जाने पर सर्द रात में स्वयं उन्हें अपने हाथों से चद्दर ओढ़ाते तथा दुःख की इस घड़ी में भी हर किसी का ख्याल रखते देखें गए तथा एक क्षण के लिए विचलित नहीं हुए। मानों लगा कि उनकी आंखें पथरा गई है लेकिन आखिर उनके हृदय के भावों को आसमान से गिर रही वर्षा बूंदों ने जाहिर कर ही दिया। वे एक क्षण रोए नहीं लेकिन प्रकृति उनके तथा उनके परिवार के जीवन में पैदा हुए शून्य को बयां कर रो उठीं।


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