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राष्ट्रीय मूकाभिनय उत्सव @जयपुर---  एक यादगार सौगात ---

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04 Nov 25
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राष्ट्रीय मूकाभिनय उत्सव @जयपुर---  एक यादगार सौगात ---

 

 रंगमंच विधा का एक सशक्त भाग है  मूकाभिनय |  चार प्रकार के अभिनयों  में  वाचिक को छोड़ कर अन्य तीन प्रकार  जैसे आंगिक, आहार्य  और सात्विक  अभिनय में  मूकाभिनय का समावेश होता है |  हर रंगकर्मी को इन विधाओं का गहराई से ज्ञान होना बहुत ज़रूरी है | देश के नाट्य विद्यालयऔर नाट्य शिक्षण संस्थाएं समग्र रंगमंच के प्रशिक्षण कराते हैं | नेशनल इंस्टीटयूट  ऑफ़ माइम, कोलकाता के साथ असम,मणिपुर  और पश्चिम बंगाल में कुछ संस्थाएं मूकाभिनय कला के विकास में कार्यरत हैं |

 राजस्थान में मूकाभिनय  कला के संरक्षण और प्रसार  के  उद्देश्य रेनबो सोसायटी,जयपुर  विगत कई वर्षों से प्रयत्नरत है | नाटक और मूकाभिनयों के निर्माण ,प्रदर्शन,कार्यशालाएं और उत्सवों के ज़रिये इस संस्था ने राजस्थान और जयपुर में  इस कला की सेवा की है | इसी कड़ी में  पिछले दिनों (29 और 30 अक्टूबर 2025) राष्ट्रीय मूकाभिनय उत्सव का शानदारआयोजन किया | इस उत्सव में पश्चिम बंगाल,असम,  और बिहार के दलों के अलावा राजस्थान के तीन दलों ने मूकाभिनय की प्रस्तुतियां दीं  और  इस कला के विभिन्न स्वरूपों  का परिचय जयपुर के कलाप्रेमियों को कराया | भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित इस उत्सव को गुरु पद्मश्री निरंजन गोस्वामी का मार्गदर्शन मिला | मूकाभिनय कला को  पृथक मंचीय कला के रूप में स्थापित कराने वाले निरंजन दादा  का कहना है कि समाज में आये बदलाव का प्रभाव कलाओं पर पड़ता है | रंगमंच को ज़िंदा रखने के लिए  विभिन्न  निर्देशकों और कलाकारों को निरंतर नवाचार करने होंगे |

राष्ट्रीय मूकाभिनय उत्सव में  युवा बर्ग के लिए  रवीन्द्र मंच पर कार्यशालाएं आयोजित हुईं, जिनमें निरंजन दादा ने मूकाभिनय कला के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डालकर संभागियों का समाधान किया  |  उन्होंने चेहरे के विभिन्न अंगों और  उनसे जुड़ी मसल्स को गहराई से समझाया | भारतीय नाट्यशास्त्र का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि रंगमंचीय प्रदर्शन कलाओं से जुड़े कलाकारों के लिए मूकाभिनय का प्रशिक्षण कितना लाभप्रद होता है | दो दिवसीय कार्यशाला में उदयपुर के  विलास जानवे ने विभिन्न भावों को संप्रेषित करने के लिए डिग्री का खेल कराया | गोलपाडा,असम के  प्रणब ज्योति हीरूऔर जलपाईगुड़ी,पश्चिम बंगाल  के सब्यसाची दत्ता ने शारीरिक व्यायाम करवाए, जयपुर के विचित्र सिंह ने आँखों के व्यायाम कराए तो कोरियोग्राफर घनश्याम महावर ने रिद्मिक मूवमेंट कराए |


उत्सव की पहली शाम कृष्णायन प्रेक्षागृह में जलपाईगुड़ी सृष्टि माइम थियेटर जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल  के ख्यातनाम निर्देशक सब्य साची दत्ता के निर्देशन में तीन यथार्थवादी मूकाभिनय  पेश किये गए | सब्यसाची दत्ता ने गुरदेव रवीन्द्र नाथ टेगोर की रचना “काल मृगया” पर मनमोहक मूकाभिनय प्रस्तुत किया | रामायण से लिए प्रसंग में राजा दशरथ और श्रवण कुमार के मातापिता के सेवक श्रवण कुमार की कथा को अपने उम्दा अभिनय से जीवंत कर दिया | उनके अगले मूकाभिनय  द पीस ( शांति ) में उनकी बेटी इशानी ने भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया |  द सोल्जर माइम  देश प्रेम से ओतप्रोत थी |  सब्यसाची  की प्रसूतियों में रोमा दत्ता ने प्रभावी संगीत सञ्चालन किया |  इसी शाम जयपुर की दो कदम संस्था के प्रधान आसिफ शेर अली खान स्वनिर्देशित मूकाभिनय एबस्ट्रेक्ट माइम पेश किया |

 

कार्यक्रम की अंतिम  और प्रस्तुति  रेनबो सोसायटी,जयपुर  की रही | भक्तिमती मीरा बाई पर मूकाभिनय  आधारित नाटिका मंचित  की | बिना संवादों की इस ऐतिहासिक सौन्दर्य प्रधान सांगीतिक प्रस्तुति की परिकल्पना और निर्देशन सिराज अहमद भाटी की थी |

मंच पर कलाकारों (गरिमा पारीक, योगेन्द्र  परमार ,विचित्र  सिंह ,प्रीती दुबे ,रामकेश मीणा ,दीक्षांक  और  विनय ) ने अपने सहज अभिनय  से दर्शकों को बांधे रखा | वोईस ओवर संजल का था |  वेश विन्यास गरिमा पारीक और मंच सज्जा  विचित्र सिंह की थी | अर्थपूर्ण और मनोहारी प्रस्तुतियों को देख कर दर्शकों ने कलाकारों और आयोजकों की काफी प्रसंशा की |

राष्ट्रीय मूकाभिनय उत्सव के समापन समारोह में उदयपुर के मार्तंड फ़ौंडेशन के विलास जानवे और किरण जानवे  के नव निर्मित मूकाभिनय “ बचपन तू वापस आ ” की प्रभावी प्रस्तुति से वाहवाही लूटी | जानवे दंपत्ति ने  मौलिक हास्य से भरी चुहलबाजियों से दर्शकों से ठहाके लगवाये , साथ ही उपयोगी सन्देश से माहौल को खुशनुमा बनाया |

बिहार के  आकृति रंग संस्थान ,मुजफ्फरपुर ने एक समूह  मूकनाटक “ कारीख” का मंचन किया | सुनील फेकानिया के निर्देशन में इस मूकनाटक में वहां के घुमक्कड़  कालबेलिया समुदाय के  जीवन और संघर्ष  को चित्रित किया |  कार्यक्रम के समापन में गोलपाड़ा, असम के प्रख्यात कलाकार प्रणब ज्योति हीरू ने हास्य विनोद से भरपूर “ माइम टाइम मेडनेस ”  की प्रस्तुति  से दर्शकों  को हँसा हँसा कर लोट पोट कर दिया |

अंतर्राष्ट्रीय निर्देशक पद्मश्री निरंजन गोस्वामी की उपस्थिति ने इस उत्सव को गरिमा प्रदान की |रेनबो सोसायटी के संरक्षक  मोहम्मद सलीम भाटी और अध्यक्ष विचित्र सिंह ने  सभी कलाकारों का सम्मान किया |

इस अवसर  पर कथक गुरु प्रेरणा श्रीमाली, राजस्थान विश्वविद्यालय के ड्रामा विभाग के पूर्व  और वर्तमान अध्यक्ष प्रो. अर्चना श्रीवास्तव तथा   प्रो. शिवा टूमु  ,प्रसिद्द रंगकर्मी  राजीव आचार्य  और  नरेन्द्र अरोड़ा , मुम्बई के पूर्णेंदु शेखर  सहित कई कलाप्रेमी उपस्थित रहे | रेनबो सोसायटी के  शैलेन्द्र सक्सेना ने भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, दर्शकों, संभागी संस्थाओं और मीडिया का आभार व्यक्त किया |

जयपुर में  इस उत्सव के ज़रिये मूकाभिनय कला के कलाकार तो सक्षम हो ही रहे हैं साथ ही रंगमंच से जुड़ने वाले युवा कलाकार भी अपनी प्रतिभा को तराशने में लाभन्वित हो रहे हैं |  उत्सव का आयोजन सफल और सुफल रहा |

 मनीला सिंह ... जयपुर


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