मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर में स्ववित्तपोषित सलाहकार मंडल के अंतर्गत कार्यरत सेवाप्रदाताओं ने कुलसचिव को ज्ञापन सौंपते हुए प्रशासन पर गम्भीर आरोप लगाए हैं। दिनांक 21 जून 2025 को दिए गए पूर्व अभ्यावेदन के संदर्भ में यह दोबारा अनुरोध किया गया है कि अल्पवेतनभोगी कर्मचारियों के सेवा विस्तार आदेश और वेतन भुगतान तुरंत जारी किए जाएं।
ज्ञापन में कहा गया है कि विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा राज्य सरकार, राजभवन, शिक्षकों, छात्रों और कर्मचारियों के सामूहिक प्रयासों से बनी है, जिसे आज प्रशासनिक हठधर्मिता से आघात पहुंचाया जा रहा है। कर्मचारियों का आरोप है कि प्रशासन उन कर्मचारियों को बार-बार दो-दो माह तक वेतन के लिए तरसाता है, जो वर्षों से विश्वविद्यालय में सेवा दे रहे हैं। यह न सिर्फ अमानवीय है, बल्कि राज्य सरकार के स्पष्ट आदेशों की भी अवहेलना है।
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि विश्वविद्यालय के कई कार्य स्थायी कार्मिकों की कमी के चलते इन्हीं स्ववित्तपोषित कर्मचारियों के बल पर चल रहे हैं। यदि इन कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार किया, तो प्रवेश, परीक्षा और परिणाम प्रक्रिया पूरी तरह प्रभावित हो सकती है।
वित्त नियंत्रक पर विशेष रूप से आरोप लगाते हुए कहा गया कि उन्होंने सेवा विस्तार की प्रशासनिक स्वीकृति के बावजूद वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं की और अपने रसूख का दुरुपयोग करते हुए कर्मचारियों को धमकाया और अपमानित किया।
ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि यदि इस संवेदनहीन रवैये के कारण किसी कर्मचारी ने आत्मघाती कदम उठाया, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासनिक पदाधिकारियों की व्यक्तिगत रूप से होगी। साथ ही, राज्य सरकार और राजभवन से भी हस्तक्षेप की अपील की गई है।