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"नई बात निकल कर आती है" कृति के यादगार लोकार्पण समारोह से आई नई बात निकल कर......

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11 Feb 24
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"नई बात निकल कर आती है" कृति के यादगार लोकार्पण समारोह से आई नई बात निकल कर......

अक्सर होता है कोई भी समरोह अमूमन समय पर शुरू नहीं होने से समय पर आने वाले आगंतुकों को लंबे इंतजार से खीज आने लगती है। कई बार लोग इसलिए भी समरोह में जाने से कतराते हैं की फालतू का समय बहुत जाया होता है। इसके विपरित हाल ही में आयोजित ' नई बात निकल कर आती है ' कृति के लोकार्पण समारोह से भी नई बात निकल कर आई कि समारोह ऐसे ही हों जो छोटे हों और समय से शुरू हो कर समय पर ही पूर्ण हो जाएं। यह समारोह ठीक दोपहर 1.15 बजे शुरू हो कर 2.15 बजे समाप्त हो गया। किसी भी आगंतुक को इंतजार नहीं करना पड़ा। समारोह के संयोजन की प्रशंसा हर किसी के जुबान पर थी।
     राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय, कोटा के सभागार में  चिकित्सा, साहित्य, इतिहास, भारत सरकार के सूचना विभाग, जनसंपर्क, शिक्षाविद्, समाजसेवी भारतीय रेलवे, सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय आदि क्षेत्र की विभूतियों की सक्रिय उपस्थिति ने मंगलवार 7 जनवरी 2024 को आयोजित पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम को यादगार बना दिया।
     मेरे 70 वर्ष के जीवन के प्रारंभिक कुछ वर्षों को छोड़ दें तो भी करीब 60 दशकों के अनुभवों को संजोए संस्मरण कृति के लोकार्पण के लिए ह्रदय से प्रफुल्लित होते हुए सभी आगंतुक मेहमानों का परंपरागत रूप से भाल पर अक्षत तिलक लगा कर पुष्पहार से स्वागत और सम्मान कर अविभूत था। मेहमानों ने समारोह से पूर्व सरकार की 100 दिन की कार्य योजना में आयोजित शिक्षा,कला, संस्कृति की पुस्तकों की आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। डॉ.एम. एल.अग्रवाल, किशन रत्नानी और अख्तर खान अकेला ने प्रदर्शनी का फीता काट कर और दीप प्रज्जवलित किया। प्रदर्शनी में मेरी कई पुस्तकें देख कर अथितियों में खुशी जाहिर की। पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ.दीपक कुमार श्रीवास्तव ने प्रदर्शनी के बारे में और आगामी दिनों में आयोजित होने वाले संभागीय लिटरेचर फेस्टिवल की जानकारी दी।
      मेरी संस्मरण कृति " नई बात निकल कर आती है" का लोकार्पण सभागार में मां सरस्वती पूजन और वंदना के साथ हुआ। समारोह के अथितियों का महकती खुशबू के पुष्पहार से स्वागत किया। समारोह के मुख्य अथिति अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मनोरोग विशेषज्ञ डॉ.एम.एल.अग्रवाल, अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार जितेंद्र ' निर्मोही ' विशिष्ठ अथिति साहित्यकार रामेश्वर शर्मा ' रामू भैया ', कृष्णा कुमारी, इतिहासकार फिरोज़ अहमद, एडवोकेट अख्तर खान ' अकेला ', प्रधानमंत्री कार्यालय में रहे पूर्व सहायक निदेशक ( प्रचार) किशन रत्नानी, मुख्य वक्ता कथाकार और समीक्षक विजय जोशी सहित आमंत्रित अथितियोंं समाजसेवी एवं पत्रकार के. डी.अब्बासी, साहित्यकार  श्यामा शर्मा, गज़लकार शमा फिरोज़, डॉ. संगीता देव, शशि जैन, जितेंद्र गौड़, देवेंद्र कुमार शर्मा, राम मोहन कौशिक, जनसंपर्क विभाग के सेवानिवृत हेमंत पाराशर, बृजेश त्रिवेदी, वर्तमान सहायक प्रशानिक अधिकारी नितेंद्र सिंह चौहान, छायाकार जगदीश गुप्ता,पत्रकार नियाज़ मोहमद आदि ने सामूहिक रूप से कृति का लोकार्पण का दृश्य अनुपम था।
      डॉ.एम.एल.अग्रवाल, जितेंद्र निर्मोही, रामेश्वर शर्मा, दीपक श्रीवास्तव ने माल्यार्पण कर एवं डॉ. संगीता देव ने बुके भेंट कर लेखक का सम्मान किया।  मुख्य अतिथि  मनोरोग चिकित्सक डॉ.एम.एल.अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि यह पुस्तक अपने समय का प्रमाणिक दस्तावेज है। ऐसी पुस्तकें समाज को भी दिशा प्रदान करती हैं। उन्होंने लेखक के साथ जुड़े प्रसंगों की जानकारी भी दी।
     अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार जितेंद्र ' निर्मोही ' ने  अपने वक्तव्य में कहा कि इस कृति का लोकार्पण करते समय मुझे अपनी पुरस्कृत कृति उजाले अपनी यादों के का स्मरण हो रहा है । उसमें समष्टिगत और व्यष्टिगत संस्मरण है उसी प्रकार इसमें संस्करण मौजूद है। कृति के संस्मरण रिपोर्ताज की तरह से है। संस्मरण "सपनों का सफर" कमलेश्वर के संस्मरण के नजदीक है।यह कृति अपने परिवेश के लोगों को लेकर एक दस्तावेज जैसी है।
     मुख्य वक्ता कथाकार और समीक्षक विजय जोशी ने कृति के संदर्भ में कहा कि सामाज और संस्कृति के विविध सन्दर्भों के साथ जीवन में उभरी संघर्ष की स्थितयों और उससे उबरने के लिए किये गये प्रयासों का बेबाक चित्रण पुस्तक में हुआ है। इस चित्रण में अभिव्यक्ति की सरलता और सहजता में लेखक पाठकों को भी अपने साथ यात्रा करवाता है जो लेखकीय समर्पण और कौशल का प्रमाण है।
      विशिष्ठ अथिति साहित्यकार रामेश्वर शर्मा ' रामू भैया ' किशन रत्नानी, एडवोकेट  अख्तर खान ' अकेला, डॉ. दीपक श्रीवास्तव , इतिहासकार फिरोज़ अहमद एवं जितेंद्र गौड़ ने अपने विचार व्यक्त करते हुए आज के लेखन के क्षेत्र में  लेखन को नई दिशा देने वाली एक महत्वपूर्ण कृति बताया।
      लेखक डॉ. प्रभात कुमार सिंघल ने सभी का स्वागत करते हुए पुस्तक के विषय वस्तु की विस्तार से जानकारी दी। उन सभी का आभार व्यक्त किया जिन्होंने उनके लिए अपने संदेश लिख कर भेजे थे, जिससे संस्मरण कृति एक नए स्वरूप में सामने आई।
    समारोह में विजय जोशी, श्रीमती शमा फिरोज एवं डॉ.कृष्णा कुमारी ने काव्य रचनाएं प्रस्तुत कर समरोह को अपनी कविता, गीत और गजलों के स्वरों से सभी को गुदगुदाया। कार्यक्रम का संचालन पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ.दीपक श्रीवास्तव ने करते हुए सभी का आभार व्यक्त किया। डॉ.दीपक श्रीवास्तव, जितेंद्र ' निर्मोही ', कृष्णा कुमारी, नियाज़ मोहम्मद और के. डी.अब्बासी ने समारोह के प्रचार में सहयोग अविस्मरणीय है। मिडिया का भी पूरा सहयोग रहा।
प्रस्तुति - डॉ.प्रभात कुमार सिंघल


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