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महानगर का स्वरूप ले रही पिंक सिटी को विकास की नई अवधारणा की दरकार

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13 Jan 24
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गोपेन्द्र नाथ भट्ट

महानगर का स्वरूप ले रही पिंक सिटी को विकास की नई अवधारणा की दरकार

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राजस्थान की राजधानी पिंक सिटी जयपुर के विकास को लेकर एक बड़ा बयान दिया है और कहा है कि अब समय आ गया है कि जयपुर के विकास के लिए एक नई अवधारणा बना कर उसे मूर्त रूप दिया जाए। उन्होंने कहा कि आज जयपुर शहर की आबादी 40 लाख है इसलिए यहां के विकास के लिए नया कॉन्सेप्ट होना चाहिए।

प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत सकंल्प यात्रा को लेकर शुक्रवार को   
जयपुर के आदर्श नगर में आयोजित एक कार्यक्रम में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और नगरीय विकास मंत्री की ओर इशारा करते हुए कहा कि आप इसका कॉन्सेप्ट आइडिया बनाइए। उन्होंने यह भी कहा कि जयपुर के चारों हिस्सों में रिंग रेलवे बने तो जयपुर का बड़ा डवलपमेंट होगा। इसके लिए एक प्रपोजल बनाना चाहिए। इस मौके पर उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी और डॉ.प्रेमचंद बैरवा, सांसद रामचरण बोहरा,विधायक गोपाल शर्मा, जयपुर के महापौर मुनेश गुर्जर आदि मौजूद थे।

जयपुर राजस्थान की राजधानी ही नही वरन प्रदेश का सबसे बड़ा शहर है और धीरे धीरे एक बड़े महानगर का स्वरूप ले रहा है। देश
की राजधानी नई दिल्ली के समीप होने और देश का एक बड़ा पर्यटन स्थल होने के कारण शहर में सड़क पानी बिजली आवास परिवहन यातायात स्वच्छता और कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ ही अपराधों पर नियंत्रण रखना आदि बहुत समस्याएं है। पिछली सरकार ने जयपुर को प्रशासनिक दृष्टि से दो जिलों में विभाजित कर दिया। इसी प्रकार महानगरों की तरह पुलिस कमिश्नरी व्यवस्था भी लागू की गई है फिर भी बढ़ती आबादी के दवाब में ये व्यवस्थाएं पर्याप्त नहीं कही जा सकती हैं।

पिंक सिटी के नाम से विख्यात जयपुर देश और दुनिया में अपने नगर नियोजन के लिए अलग ही पहचान रखता आया है। जयपुर का निर्माण करने वाले शासकों की दूरदर्शिता के कारण आज शताब्दियों के बाद भी जयपुर उन हर चुनौतियों को झेल रहा है जिनका सामना करना प्रायः मुश्किल माना जाता है। पुराने जयपुर शहर का नगर नियोजन कमाल का है और चौपड़ के खेल के समान संरचना होने से नगर के हर रास्ते एक चौराहे पर आकर मिलते है। चार दिवारी के सुदृढ़ घेरे में अलग अलग दिशाओं में बनाए गए दरवाजों और उनके भीतर बन हुए बाजारों की शिल्प कला भी अद्भुत है। गर्मी बरसात और सर्दियों में राहगीरों की सुविधा के लिए क्रमबद्ध बनी दुकानों के आगे बरामदों का निर्माण शहर को अन्य नगरों से अलग बनाता है।
पिछले दशकों में निरंतर बढ़ती आबादी के कारण जयपुर चारों दिशाओं में फैल गया है।
बढ़ते वाहनों से यातायात व्यवस्थाएं चरमरा कर दम तोड़ने लगी है । विशेष कर परकोटे में पार्किंग सबसे बड़ी समस्या है। चौड़ा रास्ता कहा जाने वाला मार्ग नितांत सकड़ा दिखने लगा है। कमोबेश यही हाल न्यू गेट सांगानेरी गेट घाट गेट आदि मार्गों का हो गया है। कतिपय कारणों से चार दिवारी में रहने वाले बाशिंदे नई बसावटों की तरफ जा रहे है। राजस्थान विधान सभा भी परकोटे से बाहर नए भवन में चली गई फिर भी चार दिवारी के भीतर हस्तशिल्प कपड़ों,लजीज व्यंजनों,सोना चांदी हीरा जवाहरात आदि का व्यवसाय होने तथा सिटी पैलेस,हवामहल, जयपुर के आराध्य देव गोविंद देव जी का मंदिर और अन्य कारणों से हर शहर वासी की मुख्य बाजारों में आने की अपनी मजबूरी है। 
पिछली सरकारों ने नगरवासियों की सुविधा के लिए परकोटे में मेट्रो रेल लाने का काम किया । साथ ही सिटी बसों की सुविधाएं बढ़ाने पार्किंग व्यवस्थाओं को सुधारने अतिक्रमण के शिकार बाजारों के आगे बरामदों को खाली कराने एक तरफा यातायात करने आदि कई उपक्रम किए है लेकिन बढ़ती आबादी और वाहनों के आगे सारी योजनाएं दम तोड देती है। दीपावली तीज त्यौहारों में परकोटे की सजावट रोशनी परंपरागत जुलूस शोभा यात्राएं ताजिए आदि निकलने के कारण पुराने शहर के प्रति नगर वासियों का आकर्षण लेश मात्र भी कम नहीं हुआ है। देशी विदेशी पर्यटकों के लिए भी मुख्य आकर्षण का केंद्र ये स्थल ही है।

महानगर का आकार ले रहे जयपुर में हालाकि ढांचागत और आधारभूत सुविधाओं के विकास के अनेक काम हुए है और आज यह राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय आयोजन का प्रमुख लोकप्रिय स्थल बन गया है लेकिन,जयपुर नगर के विस्तार को देखते हुए अनेक समस्याएं भी पैदा हुई है जिनमें बेतरतीब और अवैध कॉलोनियों की बसावट परिवहन और यातायात सुविधाओं का अभाव सड़क बिजली पानी बाजार अस्पताल आदि सुविधाओं की कमी आदि अनेक समस्याएं है और अब यह जयपुर अपनी वर्षों पुरानी परम्पराओं के अनुरूप नियोजित विकास की जरूरतों को महसूस कर रहा है।
केंद्रीय रेल मंत्री वैष्णव ने जयपुर के लिए नए कांसेप्ट को लागू करने की बात कह कर बहुत ही सामयिक एवं प्रासंगिक मसला उठाते हुए जयपुर की आवश्यकता की ओर इशारा किया है।
राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली की तरह जयपुर के भी चारों ओर रिंग रोड बाहरी रिंग रोड बनाने चाहिए । साथ ही रिंग रेल की अवधारणा को जमीन पर साकार करना होंगा। वैष्णव ने रिंग रेल बनाने की बात कह केन्द्रीय सहायता मुहैया कराने का इशारा भी किया है। उम्मीद है प्रदेश की नई सरकार इस अवसर का लाभ उठायेगी। दरअसल में वर्तमान हालातों में जयपुर के विख्यात नगर नियोजन की परम्परा को बनाए रख महानगर का स्वरूप ले रही पिंक सिटी को विकास की नई अवधारणा की दरकार है।

राजस्थान के अन्य बड़े शहरों जोधपुर अजमेर उदयपुर बीकानेर कोटा आदि सभी में भी इसी तर्ज पर नगर नियोजन को सही रूप में लागू कर खूबसूरत बनाया जाना चाहिए। इससे राजस्थान में पर्यटन के साथ साथ साथ व्यवसाय और औद्योगिक प्रगति को भी नए आयाम मिल सकेंगे।

देखना है कि प्रदेश की भजन लाल सरकार राजधानी जयपुर सहित राजस्थान के अन्य नगरों में भी नगर नियोजन की नई नीति लाकर उसे सख्ती से लागू कराती है अथवा नहीं?


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