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भारतीय रेल संग्रहालय को ‘‘इंस्टीट्यूशन ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स इंजीनियरिंग हैरिटेज अवार्ड‘‘

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30 Nov 23
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भारतीय रेल संग्रहालय को ‘‘इंस्टीट्यूशन ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स इंजीनियरिंग हैरिटेज अवार्ड‘‘

श्रीगंगानगर। राष्ट्रीय रेल संग्रहालय, भारतीय रेल के 170 वर्षों की समृद्ध विरासत का प्रतिनिधित्व करता है। एक रेलवे यार्ड की स्थापना का अनुकरण करते हुए, इस संग्रहालय में भाप, डीजल और बिजली के अनेक प्रकार के इंजनों के साथ-साथ रॉयल सैलून, वैगन, कैरिज, बख्तरबंद गाड़ियां, रेलकार और एक टर्न-की (इंजन की दिशा बदलने वाला घूमता मंच) भी है। भीतरी गैलरी में प्रदर्शित किये गए इंटरएक्टिव डिस्पले, भारतीय रेल की शैशव अवस्था से आज तक के यातायात विकासक्रम को दर्शाते हैं ।  
राष्ट्रीय रेल संग्रहालय में बेहतर रखरखाव के साथ रखे गए वास्तविक आकार के 4 रेल इंजनों को लंदन (यू.के.) स्थित इंस्टीट्यूशन ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स के प्रेसिडेंट मिस्टर गिल्स हार्टिल द्वारा विगत 28 नवंबर 2023 को राष्ट्रीय रेल संग्रहालय, नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में मुख्य अतिथि एवं रेलवे बोर्ड के सचिव श्री मिलिंद के. देउस्कर की उपस्थिति में ‘‘इंस्टीट्यूशन ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स इंजीनियरिंग हैरिटेज अवार्ड‘‘ दिया गया ।
इंस्टीट्यूशन ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स एक स्वायत्त और प्रबुद्ध पेशेवर संस्था है। इसका मुख्यालय लंदन, युनाइटेड किंगडम में है। यह संस्था यांत्रिक इंजीनियर और इंजीनियरिंग पेशे से जुड़े लोगों का प्रतिनिधित्व करती है। रेलवे, ऑटोमोटिव, एयरोस्पेस, उत्पादन, ऊर्जा, बायोमेडिकल और निर्माण जैसे उद्योगों में काम कर रहे 140 देशों के 1,20,000 सदस्यों वाली संस्था को अपने रजिस्टर ऑफ चार्टर्ड इंजीनियर्स, इन-कॉरपोरेट इंजीनियर्स और इंजीनियरिंग टेक्नीशियन्स में उम्मीदवारों का निर्धारण करने का लाइसेंस प्राप्त है ।  
राष्ट्रीय रेल संग्रहालय में सहेजकर रखे गये इन चार इंजनों को इंजीनियरिंग हैरिटेज पुरस्कार प्राप्त करने पर भारतीय रेलवे गौरवान्वित महसूस कर रही है।  
एफ 734 स्टीम लोकोमोटिव-पूरी तरह से भारत में निर्मित पहला स्टीम लोकोमोटिव 1895 में अजमेर वर्कशॉप में डब्स एंड कंपनी ग्लासगो द्वारा डिजाइन किया गया एक मीटर गेज लोकोमोटिव। इसका उपयोग 1958 तक राजपूताना-मालवा रेलवे (आरएमआर) और बाद में बॉम्बे, बड़ौदा और सैंट्रल इंडिया रेलवे (बीबी एंड सीआई) पर मिले-जुले यातायात के लिए किया जाता था।
पटियाला स्टेट मोनोरेल ट्रामवे (पीएसएमटी)- भारत में पहली स्टीम मोनोरेल के लिए ओरेनस्टीन और कोप्पेल द्वारा निर्मित, सरहिंद से आलमपुर और पटियाला से पंजाब के सुनाम तक। ट्रामवे को ईविंग सिस्टम का उपयोग करके सीडब्ल्यू बाउल्स द्वारा डिजाइन किया गया था। लोकोमोटिव 1909 से 1927 के आसपास तक संचालित हुआ। इसे 1976 में फिर से बहाल किया गया।
जॉन मॉरिस फायर इंजन- 1914 में सैलफोर्ड, मैनचेस्टर में निर्मित और हैदराबाद के सातवें और आखिरी निज़ाम, मीर उस्मान अली खान द्वारा निज़ाम स्टेट रेलवे के लालागुडा कैरिज एंड वैगन वर्कशॉप के लिए भारत लाया गया। यह लगभग चार दशकों के बादए 1960 में सेवानिवृत्त हो गया और अभी भी कार्यशील स्थिति में है।
डब्लूजीआई 1 20710 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव- भारत में निर्मित पहला 25 केवी एसी इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव, 1963 में चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स से जारी किया गया था। ब्रॉड-गेज माल ढुलाई इंजनों की यह श्रेणी 2002 तक सेवा में थी, जिसने भारत के विकास में योगदान दिया। 85 टन वजनी यह 2840 एचपी लोकोमोटिव 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है। 


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