*#स्व_प्रो_ललित_किशोर_चतुर्वेदी*
(पूर्व मंत्री, प्रदेशाध्यक्ष व राज्य सभा संसद, राजस्थान)
*#* जन्म 2 अगस्त 1931 कोटा राजस्थान*
*#_संघ_प्रवेश* 1944 (उम्र 13)
*#* 1948 (उम्र 17)
में महात्मा गांधी जी की हत्या पर संघ पर प्रतिबंध लगा तब 18 दिन जेल में रहे।
जेल में जेलर व समाज के अन्य लोगो ने कहा कि माफी मांग लो तो छोड़ देंगे पर माफी नही मांगी।
बोले किस बात की माफी जब महात्मा गांधी जी की हत्या से संघ का कोई संबंध नही तो स्वयंसेवकों को जेलों में क्यो डाला है।
और माफी पर दबाब क्यो बनाया जा रहा है।
18 दिन बाद परीक्षाएं होने के कारण जेल से छोड़ा गया।
कुछ महीनों बाद पूजनीय श्री गुरुजी कोटा आये तो पिता ललित किशोर चतुर्वेदी को बुला कर उनकी पीठ थपथपाई और चरैवेति चरैवेति का मंत्र दिया।
*#1951* (उम्र 20 वर्ष)
प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग
*#1952* द्वितीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग
*#1953* तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग
*#1954* (उम्र 23 वर्ष)
में स्नात्कोत्तर फिजिक्स में करते ही राजस्थान के बांसवाड़ा कॉलेज में फिजिक्स के लेक्चरर के रूप में सरकारी नौकरी लगी
*#1954 से 1966* तक नौकरी के दौरान संघ के दायित्वन कार्यकर्ता होने के कारण 11 बार स्थानान्तरण हुए
*#जीवन_प्रसंग 1962*
1962 की बात है प्रो ललित किशोर चतुर्वेदी उदयपुर राजकीय कृषि महाविद्यालय में फिजिक्स के प्रोफेसर थे।
6 महीने पूर्व ही प्रो चतुर्वेदी का यहां स्थानान्तरण हुआ था और कुछ समय बाद ही विधानसभा चुनाव होने थे। उदयपुर से श्री मोहनलाल सुखाड़िया विधायक थे और राजस्थान के मुख्यमंत्री थे।
6 महीने में ही प्रो चतुर्वेदी ने संघ का इतना काम खड़ा कर दिया, इतने कार्यकर्ता बना दिये की तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया वहां से विधायक थे और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सुखाड़िया जी से कहा की अगर प्रो चतुर्वेदी को उदयपुर से नही हटाया गया तो आप अगला चुनाव उदयपुर से हार जाएंगे।
सुखाड़िया जी ने अपने कार्यकर्ताओ से बात करते हुए कहा कि इसको जहां भेजते है संघ का काम खड़ा कर देता है। शाखा चलाने लग जाता है।
जनसंघ के लिए कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी कर देता है क्यों न इसे महिलाओं के कॉलेज में भेज दिया जाए।
प्रो चतुर्वेदी का ट्रांसफर गंगानगर बालिका महाविद्यालय में कर दिया जाता है।
आज भी उस बालिका महाविद्यालय की मेरे जैसी कई बालिकाएं जो आज बड़े बड़े पदों पर है बताती है कि प्रो चतुर्वेदी ने गंगानगर बालिका महाविद्यालय में राजस्थान में संघ की पहली महिला शाखा सेविका समिति की शुरू कर दी और बड़ी संख्या में बालिकाएं व महिलाएं उस शाखा के माद्यम से संघ से जुड़ने लगी और जनसंघ का काम करने लगी।
इस तरह पहले जनसंघ और फिर भाजपा राजस्थान में महिलाओं को पार्टी से जोड़ने का श्रेय प्रो ललित किशोर चतुर्वेदी को जाता है।
रजनी मोदी, सूरतगढ़ गंगानगर राजस्थान
*#1966* (उम्र 35)
में फिजिक्स के प्रोफेसर से त्यागपत्र देकर जनसंघ राजस्थान के संगठन मंत्री बने
*#जीवन_प्रसंग 1966*
संघ से जनसंघ में 1966
बात 1966 की है जब प्रोफेसर ललित किशोर चतुर्वेदी भरतपुर कॉलेज में फिजिक्स के प्रोफेसर के रूप में कार्य कर रहे थे।
उन दिनों उनकी मासिक आय ₹650 प्रति महावार थी।
एक दिन उनके पास सूचना पहुंचती है कि जनसंघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री माननीय सुंदर सिंह जी भंडारी नें प्रो चतुर्वेदी को आवश्यक कार्य के लिए दिल्ली बुलाया है।
रात की बस से प्रोफेसर चतुर्वेदी दिल्ली के लिए रवाना हो गए सुबह माननीय सुंदर सिंह जी भंडारी के सामने बैठे थे।
सुंदर सिंह भंडारी ने ललित किशोर चतुर्वेदी से कहा कि चतुर्वेदी जी मुझे राजस्थान में जनसंघ के कार्य के लिए संगठन मंत्री की आवश्यकता है। पर जनसंघ में कार्य के लिए कोई मेहनताना नही मिलता पर फिरभी मैं चाहता हूं कि आप अपनी नौकरी से त्यागपत्र देकर इस दायित्व को संभाले और राजस्थान में जनसंघ का कार्य करें।
प्रोफेसर चतुर्वेदी ने मिनट भर की भी देर ना करते हुए ये नही सोचा कि मेरी आय का क्या होगा। परिवार का लालन पालन कैसे होगा। माननीय सुंदर सिंह जी भंडारी को आश्वस्त कर दिया कि मैं तुरंत ही भरतपुर जाकर अपनी नौकरी से त्यागपत्र देकर जनसंघ का कार्य करूंगा।
अगले दिन प्रोफेसर चतुर्वेदी अपना अपना इस्तीफा लेकर भरतपुर कॉलेज के प्रिंसिपल श्री महर्षि जी के पास गए। श्री महर्षि जी ने प्रोफेसर चतुर्वेदी का त्याग पत्र देखकर स्तब्ध रह गए।
उन्होंने कहा प्रोफेसर चतुर्वेदी
are you fool,
pls don't mind my words,
you are a young man,
you don't know ins and outs, pull and pressures of the politics in rajasthan
जनसंघ का कोई भविष्य नही है।सिर्फ 7 या 8 विधायक आते है राजस्थान में, तुम गलत कर रहे हो।
वो प्रो चतुर्वेदी को समझाना चाहते थे कि तुम जवान हो आगे चल कर शिक्षा विभाग के निदेशक बन सकते हो। क्यो तुम त्यागपत्र देकर अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हो।
प्रो चतुर्वेदी ने महर्षि जी को कहा कि मेरे गुरु सुंदर सिंह जी भंडारी का आदेश है कि मैं नौकरी छोड़ कर जनसंघ का काम करूं।
मैं राजनीति में राष्ट्र सेवा का मिशन लेकर जा रहा हूं और त्यागपत्र देकर वहां से चले आये।
प्रो चतुर्वेदी 1996 में जब उच्च शिक्षा मंत्री बने तब वही प्रिंसिपल श्री महर्षि जी अपनी पुत्री के ट्रांसफर के लिए ललित किशोर चतुर्वेदी के पास आए।
जब उन्होंने मिलने के लिए पर्ची भेजी तब ललित किशोर चतुर्वेदी बैठक में से तुरंत उठकर आए और उन्होंने महर्षि जी के चरण छुए।
श्री महर्षि जी की आंखों में आंसू थे। उन्होंने कहा प्रो चतुर्वेदी I was wrong तुम अपने मिशन के लिए जिस तत्परता से जिस समर्पण से कार्य कर रहे हो। मैं उसके लिए तुम्हारे आगे नतमस्तक हूं।
और प्रो चतुर्वेदी ने महर्षि जी की बेटी का ट्रांसफर उनकी इच्छानुसार स्थान पर किया।
प्रो चतुर्वेदी अपनी भाषा से ही नही अपने कार्य के समर्पण से सामने वाले को अपने उत्तर से अवगत कराते थे जो कार्यकर्ताओ के लिए आदर्श है।
नंद चतुर्वेदी कोटा
बाल सखा
*#1967 से 1975*
तक संगठन मंत्री के रूप में मोटर साइकिल व स्कूटर पर बैठकर जनसंघ को राजस्थान में ढाणी ढाणी तक पहुचाया व लाखो लाखो कार्यकर्ताओ का निर्माण किया।
*#जीवन_प्रसंग 1967*
प्रेरणास्रोत घटना 1967
प्रो ललित किशोर चतुर्वेदी ने 1966 में फिजिक्स के प्रोफेसर पद से त्यागपत्र देकर जनसंघ राजस्थान के संगठन मंत्री के रूप में कार्य सम्हाला।
1967 में विधानसभा चुनाव थे और कोटा विधानसभा से श्री कृष्ण कुमार जी गोयल जनसंघ से चुनाव लड़ रहे थे।
उस समय जनसंघ के उमीदवारों के पास चुनाव लड़ने के लिए धन नही होता था।
चुनाव चल रहा था पीक समय था 3 दिन शेष बचे थे अचानक धन समाप्त हो गया, अब 3 दिन क्या किया जाए चुनाव प्रचार कैसे चालू रहे इसके लिए सभी चिंताग्रस्त थे।
प्रो चतुर्वेदी कोटा का चुनाव सम्हाल रहें थे तो जिम्मेदारी उन पर आ पड़ी। करें तो क्या करें ऐसी स्थिति आ गई।
पीक सर्दियों के दिन थे वर्तमान समय में हाड़ौती क्षेत्र में हाड़ कपाने वाली सर्दी पड़ती तो अनुमान लगाए की 1967 में क्या हाल होता होगा क्योकि पूरा हाड़ौती जंगलों से भरपूर है।
रावतभाटा जो कोटा से 70 km दूर है और पूरा जंगल का क्षेत्र है। उस समय जंगली जानवरों का भी खतरा रहता था, और सड़क भी ठीक नही थी। शाम 6 बजे बाद कोई उस सड़क नही जाता था।
प्रो चतुर्वेदी ने सभी से चर्चा कर के रावतभाटा में प्रो चतुर्वेदी के मित्र थे जो संघ के कार्यकर्ता थे और ठेकेदारी करते थे और आर्थिक रूप से सक्षम भी थे।
तय हुआ वहां जाकर पैसे लाने होंगे। और ये भी पता नही की वो सज्जन वहां मिलेंगे या नही क्योकि उस समय मोबाइल नही होते थे और फ़ोन तो कई दिनों में लगता था।
पीक सर्दियों की रात को करीब 10 प्रो चतुर्वेदी अपने साथी के साथ जावा मोटर साइकिल पर बैठकर कई कपड़े, स्वेटर व 2- 2 रजाइयों दोनों ने ओढ़ कर रावतभाटा की तरफ रवाना हो गए।
वीयावान जंगल, साय साय करती हवा और हाड़ कपाने वाली ठंड। कुछ किलोमीटर चलने के बाद उनकी जावा मोटरसाइकिल पंचर हो गई। करीब 3 किलोमीटर उस पंचर मोटर साइकिल को घसीट कर एक बस्ती में पहुचे और पंचर वाले को रात को बड़ी मुश्किलों से उठाया तो वो पंचर बनाने की लिए तैयार नही हुआ। प्रो चतुर्वेदी ने बड़ी शालीनता से उसे समझाया और जिससे मिलने जा रहे है उन सज्जन के बारे में बताया तो वह पंचर वाला उस सज्जन को जनता था इसलिए पंचर ठीक करने को तैयार हुआ।
पंचर ठीक हुआ रवाना हुए और रात्रि को 3 बजे रावतभाटा उस सज्जन के घर पहुचे।
दरवाजा खटखटाया बहुत देर बाद उनका सुपुत्र गेट पर आया प्रो ललित को प्रणाम किया। और कहा कि पापा तो चितौड़ गए है।
प्रो चतुर्वेदी नें उनके पुत्र को कहा कि उनको सूचना पहुचा दे कि कोटा से प्रो चतुर्वेदी आये थे।
और दोना वापस कोटा आ गए।
सुबह हुई, दोपहर हुई, शाम को करीब 4 बजे प्रो चतुर्वेदी के नाम 5000 रु का मनीऑर्डर आया जो उन सज्जन नें भेजा था। माहौल गम से खुशी में बदल गया चुनाव के लिए धन की व्यवस्था हो गई और कृष्ण कुमार जी गोयल जनसंघ से चुनाव जीत गए।
चुनाव जीतने के कई दिन बाद वो सज्जन प्रो चतुर्वेदी से मिलने कोटा आये तो बातों बातों में प्रो चतुर्वेदी ने पूछा कि हम रावतभाटा आये थे और आपके पुत्र को सिर्फ इतना कहा था कि उनको सूचित कर देना की प्रो चतुर्वेदी आये थे, आपको ये कैसे आभास हुआ कि धन की आवश्यकता से आये थे।
तो उन सज्जन नें कहा कि अगले दिन प्रातः 9 बजे मुझे पता चला की इतनी सर्दी में रात्रि को 3 बजे चतुर्वेदी जी कोटा से रावतभाटा मोटर साइकिल पर बैठ कर आये।
चुनाव चल रहा है और निश्चित ही चुनाव धन की आवश्यकता होगी तो मैने तुरंत ही चितौड़ से 5000 का अर्जेंट मनीऑर्डर किया। में आभारी डाक विभाग को जो आपको समय पर मिल गया और काम आ गया।
ये है समर्पण
स्वयं के लिए नही, दूसरों के लिए अपना सबकुछ लगा कर, संगठन जीते ऐसा समर्पण आदर्श और प्रेरणास्रोत है सभी कार्यकर्ताओ के लिए।
कार्यकर्ताओं के इसी समर्पण और त्याग की भावना से पहले जनसंघ व बाद में भाजपा का निर्माण हुआ है।
*#1975* (उम्र 44)
में 19 महीने आपातकाल में कोटा जेल में रहे।
*#जीवन_प्रसंग*
बात 1976 की है।
प्रो ललित किशोर चतुर्वेदी
आपातकाल में जनसंघ के कार्यकर्ता के रूप में कोटा जेल में थे।
मैं फरीदुल्ला खान सोशलिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में, मैं भी कोटा जेल में था।
हम सब एक ही बैरक में रहते थे और मेरा बिस्तर एकदम प्रो चतुर्वेदी के बगल में था।
जेल में प्रोफेसर ललित किशोर चतुर्वेदी ने पढ़ने के लिए धार्मिक किताबें और शाखा लगाने की अनुमति के लिए कई दिनों तक जेल में उपवास रखा था।
उनके राष्ट्रवादी विचार से मैं उनसे बहुत घृणा करता था।
कुछ ही दिनों बाद जेलर द्वारा उनकी मांगों को मान लिया गया और उनको जेल में ही शाखा लगाने की इजाजत दे दी गई जिससे मैं और नाराज हो गया।
प्रो चतुर्वेदी अलग-अलग विषयों पर अपने कार्यकर्ताओं से नियमित देर रात तक चर्चा करते थे और सुबह अतिशीघ्र उठकर शाखा लगाने के लिए सभी को जल्दी उठा देते थे ,उस शोर में मेरी भी नींद खुल जाती जिस कारण में उनसे नफरत करता था और ये बात प्रो चतुर्वेदी भी जानते थे पर वे हमेशा मेरी तरफ मुस्करा कर देखते थे।
प्रतिदिन जब हम उठते तो मैं उठ कर दैनिक क्रिया से निवृत होने के लिए चला जाता और जब वापस आता तो मेरा व सभी का बिस्तर एकदम सिमटा हुआ होता था, मैने कभी ध्यान नही दिया और यही सोचता था कि जेल का कोई कर्मचारी हमारे बिस्तर को सिमटा कर व्यवस्थित कर देता है क्योंकि सभी का बिस्तर एक सा सिमट हुआ होता था।
एक दिन में बाथरूम से जल्दी आ गया तो क्या देखता हूँ कि प्रो चतुर्वेदी मेरा बिस्तर ठीक कर रहे है और कुछ कार्यकर्ता सभी का बिस्तर ठीक कर रहे है। मैने प्रो चतुर्वेदी से पूछा कि रोज क्या आप ही मेरा बिस्तर ठीक करते है। तो उन्होंने कहा कि हां मैं ही तुम्हारा बिस्तर ठीक करता हूँ और उन्होंने कहा कि अगर बिस्तर में सिलवटे है या बिस्तर अव्यवस्थित है तो हमारे जीवन में भी सिलवटे रहेंगी और जीवन अव्यवस्थित रहेगा। यह देख कर मुझे बहुत ग्लानि हुई।
फिर कुछ दिन बाद एक और घटना हुई जेल में मेरी चप्पलें सबसे गंदी रहती थी। जिसके लिए प्रो चतुर्वेदी समय समय पर मुझे टोकते थे।
एक दिन मैं और प्रो चतुर्वेदी एक साथ नहाने गए। मैं कपड़े, चप्पल सब उतार कर टॉवल बांध कर किसी से बात कर रहा था तो मैंने देखा कि प्रो चतुर्वेदी नहाते समय अपनी चप्पल के साथ मेरी भी चप्पल साफ कर रहे है।
मुझे कांटो तो खून नही, मैं बहुत शर्मिंदा हुआ कि जिससे में नफरत करता हूँ वो मेरी चप्पल साफ कर रहा है मैने उनसे माफी मांगी और उस दिन मैंने प्रो चतुर्वेदी की इजाजत लेकर सभी की चप्पलें साफ की।
उस दिन के बाद मैने अपने बिस्तर को भी ठीक करना प्रारम्भ कर दिया और सुबह जल्दी उठकर व्यायाम करने लगा।
उस दिन के बाद प्रो चतुर्वेदी के प्रति मेरे मन की सारी दुर्भावना समाप्त हो गई और हम देर रात तक धार्मिक विषयों पर चर्चा करते थे।
प्रो चतुर्वेदी कई बार मुझे गीता और रामायण के श्लोक सुना कर उनका अर्थ बताते थे।
मै धीरे धीरे सोशलिस्ट से राष्ट्रवादी हो गया और जेल से छूटने के बाद जब में जयपुर प्रो चतुर्वेदी से मिलने गया तब वे मंत्री थे।
मैने रामचरितमानस की प्रति उनको भेंट की और मेरे जीवन की जेल वाली घटना के बाद में, मैं प्रो चतुर्वेदी की प्रेरणा से राष्ट्रवादी हो गया और आज तक हूं।
नमन है ऐसे समर्पित राष्ट्रवादी को।
फरीदुल्ला खान (कोटा)
जेल का साथी
*#1977* (उम्र 46)
में कोटा विधानसभा से विधायक का चुनाव लड़ा व विजयी हुए
*#1977* में जनतादल की संयुक्त सरकार में कैबिनेट मंत्री बने व कई प्रमुख विभागों को सम्हाल
और पूरे राजस्थान में करीब 10000 से ज्यादा संघ, जनसंघ के कार्यकर्ताओं को सरकारी नौकरियों में लगाया।
*#जीवन_प्रसंग 1978*
ये प्रसंग पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्व श्री मदन लाल जी सैनी ने भाजपा कार्यालय में प्रो चतुर्वेदी जी की पुण्यतिथि पर सुनाया।
1978 में ललित जी बिजली मंत्री थे और राजस्थान में मजदूर संघ का कार्य व संगठन को खड़ा करने की जिम्मेदारी मदनलाल जी को संघ ने दी पर उस समय जनसंघ व संघ विचारधारा के कर्मचारी नही थे तो संगठन खड़ा नही हो रहा था।
4 कार्यकर्ता ललित जी के पास गए और संगठन को खड़ा करने की बात कही पर कर्मचारी न होने के कारण संगठन खड़ा नही हो रहा है ये व्यथा बताई तो ललित जी ने उसी समय बिजली विभाग के चीफ इंजीनियर का बुला कर सैनी जी के सामने पूरे प्रदेश में बिजली विभाग ने करीब 400 संघ व जनसंघ के कार्यकर्ताओ को नौकरियों पर लगाया तब जाकर भारतीय मकदूर संघ खड़ा हुआ और उनकी टीम बानी और कार्य प्रारंभ हुआ।
*#1980* (उम्र 49)
में कोटा राजस्थान से विधानसभा चुनाव में विजयी हुए
*#जीवन_प्रसंग 1982*
राजस्थान में दलित वर्ग को भाजपा से जोड़ने का श्रेय प्रो चतुर्वेदी को जाता है।
1982 में कोटा प्रदेश की राजनीति का गढ़ हुआ करता था पर प्रदेश का दलित वर्ग भाजपा से नही जुड़ा था।
1982 में प्रो चतुर्वेदी ने दलित समाज के कुछ नेता जो उस समय वामपंथी हुआ करते थे। उनसे दलित बस्ती में जाकर मुलाकात की और भाजपा से जुड़ने के लिए आव्हान किया। उन दलित नेताओं ने ललित जी से कहा कि हम भाजपा से क्यों जुड़े आप लोग तो हमारे साथ चाय तक नही पीते।
इस घटना के कुछ दिन बाद ललित जी कोटा भाजपा के करीब 300 कार्यकर्ताओ के साथ दलित बस्ती में गए। वही भाजपा कार्यकर्ताओ नें चाय बनाई और स्टील के कपों में उनके साथ चाय पी और उन कपो को ललित के आग्रह पर स्वयं व सभी कार्यकर्ताओ नें उन कपो को धोया। पूरा 1 दिन उन्ही के घरों में रहे साथ भोजन किया तब जाकर वे सभी दलित नेता और हजारों कार्यकर्ताओ नें भाजपा जॉइन की और उन्ही दलित नेताओं को लेकर प्रो चतुर्वेदी जी ने प्रदेश भर में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित कर दलित समाज को भाजपा से जोड़ा।
आज भी पुराने दलित नेता इस घटना की चर्चा बड़े गर्व से करते है।
बाद में प्रो चतुर्वेदी ने दलित समाज का सामूहिक विवाह सम्मेलन प्रारम्भ कराए और हजारों हजारों लीगो को पार्टी से जोड़ा।
चंद्रभान अरविंद
दलित नेता, कोटा
*#1985* (उम्र 54)
में पुनः कोटा से विधायक बने
*#1988* (उम्र 57)
भाजपा राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष रहें और पूरे प्रदेश का दौरा किया।
*#1990* (उम्र 59)
में एकबार फिर कोटा विधानसभा से विजयी हुए और पुनः केबिनेट मंत्री बने
*#1992* (उम्र 61)
में राम मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान के मंत्री पद से त्यागपत्र देकर राम मंदिर निर्माण के लिए 10000 से भी ज्यादा कार्यकर्ताओ को लेकर अयोध्या गए
*#1993* (उम्र 62)
में एक बार पुनः कोटा से विधानसभा का चुनाव लड़ा व जीतकर केबिनेट मंत्री बने और अपने मंत्री काल में प्रो चतुर्वेदी जी की कोटा के लिए उपलब्धियां रही
01 कोटा थर्मल पावर प्लांट
02 कोटा मेडिकल कॉलेज
03 कोटा RTU
04 भामाशाह मंडी
05 कुन्हाड़ी पुल
06 कालीसिंध, पार्वती, चंबल पर 25 बड़े पुल
07 कोटा कॉमर्स कॉलेज
08 कोटा पॉलिटेक्निक कॉलेज
09 कोटा आई टी आई
10 कोटा आई टी आई रसायन (भारत में सिर्फ 2)
11 MBS हॉस्पिटल में 15 विभाग
12 आलनिया डेम
13 कोटा यूनिवर्सटी
14 हाड़ौती में 25 ग्रिड स्टेशन
15 कोटा शिक्षा नगरी का श्रेय
16 कोटा के 25000 लोगो को नौकरियां
17 कोटा की पेयजल व्यवस्था व हजारों सड़को का निर्माण।
*#1999* (उम्र 68)
में केशोराय पाटन शुगर मिल को पुनः प्रारम्भ कराने के लिए प्रदेश भर में आंदोलन किया और हाइवे पर जकका जाम करते हुए गिरफ्तार हुए और केस चला जिससे अपने देहांत से कुछ महीने पहले बारी हुए।
*#जीवन_प्रसंग 2000*
बीकानेर के लूणकरणसर में जनसंघ के कार्यकर्ता थे रारमनलाल जी दर्जी सन 2000 में लूणकरणसर में बादल फटा और बाढ़ आई जिसने रमनलाल जी कच्चा घर था जो बाढ़ में बह गया। छोटे छोटे बच्चे, खाने को कुछ नही बचा। परेशान होकर उन्होंने ललित जी को फ़ोन किया और सारी बात बताई। अगले ही दिन ललित जी बीकानेर के श्याम जी आचार्य और गोपाल जी गहलोत को लेकर लूणकरणसर पहुचे। रमनलाल जी रहने और खाने पीने की व्यवस्था की और नया पक्का घर बनाने के लिए गोपाल जी गहलोत को 50000 रु देकर पाबंद किया कि 1 महीने में नया घर बने। और अधिक धन की आवश्यकता हो तो मुझे बताना और एक महीने बाद चतुर्वेदीजी हमारे गृहप्रवेश पर आये।
पुखराज दर्जी
पुत्र रमनलाल दर्जी
भाजपा कार्यकर्ता, लूणकरणसर
*#2002* (उम्र 71)
में निर्धन रोगी उपचार प्रकल्प की शुरुवात की जिसमें BPL श्रेणी से ऊपर और आर्थिक रूप से गरीब कमजोर लोगो की 1 वाल्व, 2 वॉल्व, एंजोप्लास्टि, बाईपास, केंसर, किडनी, हिप रिप्लेसमेंट जैसी गंभीर बीमारियां का इलाज करवाया और मरते दम तक करीब 5000 से ज्यादा मरीजों का मुफ्त इलाज कर करीब 7.5 करोड़ रु स्वयं व मित्र मंडली द्वारा वहन किये।
*#2004* (उम्र 73)
में राज्यसभा के लिए चुने गए।
*#2004* (उम्र 73)
में एकबार पुनः भाजपा राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष बने। और अपनी कार में पीछे की सीट हटा कर बिस्तर लगवाया और 2 महीने लगातार प्रदेश के हर मंडल का दौरा कर कार्यकत्ताओं से संवाद किया।
*#2007* (उम्र 76)
में जयपुर में साध्वी ऋतम्भरा जी की जयपुर में विशाल भागवत कथा का आयोजन कराया।
*#2010* (उम्र 79)
में राज्यसभा का टर्म समाप्त होने के बाद जयपुर के टैगोर विद्यालय के सभागार में निर्धन रोगी उपचार प्रकल्प का कार्यक्रम करा कर करीब 1500 डॉक्टर्स व हजारों मरीजो उनका सहयोग करने वाले 500 भामाशाहों का ऐतिहासिक सम्मान कार्यक्रम किया जिसमें मुख्य अतिथि तत्कालीन भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नितिन गटकरी जी रहे।
*#जीवन_प्रसंग 2012*
प्रो चतुर्वेदी राज्यसभा के टर्म समाप्त होने के बाद एक दिन अपने घर पर कार्यकर्ताओ के साथ बैठे थे। तभी एक युवा कार्यकर्ता आया और उसने कहा कि में पाली जिले का कार्यकर्ता हूं। पिछले कई दिनों से मेरा एक कार्य नही हो रहा है में सभी के पास जा आया मेरा काम नही हो रहा है तो मुझे किसी नें कहा कि आप ललित जी के पास जाओ वो सबकी सुनते है और काम करवाते है। इसलिए में आपके पास आया हूँ।
ललित जी ने उस कार्यकर्ता से कहा कि भाई हम तो तुम्हे जानते नही है और ये भी नही पता कि तुम भाजपा के कार्यकर्ता हो या नही।
ललित जी ने उससे पाली के 10 वरिष्ठ कार्यकर्ताओ के नाम बताने को कहा। ललित जी के पास बैठे कार्यकर्ताओं में से एक उसे पहचानता था। उस कार्यकर्ता नें 10 नाम बता दिए ललित जी को विश्वास हो गया कि भाजपा का कार्यकर्ता है उसके काम को अच्छी तरह समझ कर, संबंधित अधिकारी को फ़ोन लगा कर कहा कि ललित चतुर्वेदी बोल रहा हूँ में अपने कार्यकर्ता को आपके पास भेज रहा हूँ और ये समझना कि ये मेरा ही व्यक्तिगत कार्य है उसे तुरंत करके मुझे वापस बताओ और कहीं अड़चन आये तो मुझे उस व्यक्ति का नंबर भेजना में बात करूंगा। और ये मेरे बेटे जैसा ही है।
उस कार्यकर्ता को कहा कि तुम वहां जाओ और फिर भी काम न हो तो मुझे बताना। वो कार्यकर्ता धन्यवाद करके चला गया।
तभी वो कार्यकर्ता जो ललित जी के पास बैठा था और उस कार्यकर्ता को पहचानता था वो ललित जी से बोला भाईसाहब अपने ये क्या कर दिया। ललित जी बोले क्यो क्या हुआ तो वो कार्यकर्ता बोला में इसे जानता हूँ, ये तो फलाने अदनी का कार्यकर्ता है।
तो ललित जी ने कहा कि भाई हमने औरत का आदमी तो सुना है ये आदमी का आदमी क्या होता है ये हमे नही पता।
उसका आदर्श कोई भी हो सकता है। वो भाजपा का कार्यकर्ता है और उसका काम करवाना मेरा दायित्व है। और मैने किया।
ऐसी विस्तृत्व सोच वाले नेता अब नही है। ललित जी को प्रणाम
रमाकांत झा
कार्यकर्ता जोधपुर
ऐसे अनेक अनगिनत जीवन के प्रसंग है कुछ यहाँ दिए है बाकी प्रदेश भर के कार्यकर्ताओं के मन में अंकित है।
*#2015* (उम्र 84 )
जीवन का अंतिम प्रसंग 2015*
चरैवेति चरैवेति के मंत्र पर कार्यकर्ताओं व भारतीय समाजों के लिए हमेशा समर्पित भाव से कार्य करने वाले प्रो चतुर्वेदी जी के जीवन का अंतिम घटना
4 अप्रैल प्रातः 2 बजे उन्हें सांस की तकलीफ के कारण फोर्टिस हॉस्पिटल के ICU में भर्ती कराया
तुरंत ही डॉ नें वेंटिलेटर और ऑक्सीजन लगा दिया।
प्रातः 10 बजते बजते उनका वेंटिलेटर हटा दिया गया और कुछ ही देर में ऑक्सीजन भी हटा दी।
और उन्हें ICU के पास ऑब्जर्वेशन में शिफ्ट कर दिया।
वहां उन्होंने दोपहर का भोजन किया और शाम को 4 बजे चाय पीकर पलंग से नीचे उतरे और मझे कहा में यहां मरीजो से मिलूँगा। उस ऑब्जर्वेशन वार्ड में करीब 14 मरीज थे।
मैने उनसे कहा क्या जरूरत है मरीजों से मिलने की पहले अपनी सेहत तो सुधार जाय इसलिए आराम करना है।
वे बोले में बिल्कुल ठीक हूं और जब प्रभु लेने आएंगे दौड़ के उनके साथ चला जाऊंगा उन्हें इंतज़ार नही करूँगा।
मैने मन में सोचा ये यहां भी मरीजों की सुध लेकर ही मानेगे।
और वो उस वार्ड के सभी मरीजो से मिले और बड़े प्यार से सभी से विस्तार से बात की।
एक मरीज सज्जन जो झुंझुनू के रहने वाले थे वे बोले की आप जब मंत्री थे तब हमारे यहां कई विकास के काम कराए और मेरे बेटे का स्थानान्तरण भरतपुर से झुंझुनू भी आपके ही प्रयासों से हुआ था।
वो पशु चिकित्सक है।
उन्होंने हँसते हुए पूछा यहां आपकी देख रेख के लिए कौन है। उनके रहने खाने पीने की कोई व्यवस्था करनी हो तो मझे बताना और आप किसी भी बात की चिंता मत करना में यहां हूँ और ये मेरा सबसे छोटा बेटा है आप कोई भी तकलीफ हो तो इसे बता देना और संकोच मत करना।
मैने मन में सोचा खुद तो जिंदगी और मौत से लड़ रहे है और ऐसे मौके पर भी लोगो के सुध लेते हुए उनका हौसला बढ़ा रहे है।
सभी से मिलकर वे वापस आकर अपने बेड पर विश्राम करने लगे।
रात को करीब 9 बजे उनकी साँस में तकलीफ होने लगी तुरंत ICU में शिफ्ट किया वेंटिलेटर लगाया ऑक्सीजन लगाई और न जाने कितने इंजेक्शन लगाए गए।
अचेत अवस्था में रहते हुए 5 अप्रैल 2015 को प्रातः 5 बजे उनका देहांत हो गया।
राजस्थान की फिजाओं में गूंज रहा शोर ललित किशोर, ललित किशोर थम गया।
हाड़ौती का शेर हमेशा हमेशा के लिए शांत हो गया।
जीवन के अंतिम समय तक समाज की सेवा का बीज जो प्रो चतुर्वेदी ने
भाजपा कार्यकर्ताओं में बोया था आज वो विराट वट वृक्ष के रूप में में विद्यमान है और समाज में सेवा के रूप में दिखाई दे रहा है।
#कोटा_के_एक_कार्यकर्ता_नें_उनके_लिए_चंद_लाइने_लिखी_है।
जब तक हम जिंदा है,
उनके कदमो के निशा रहेंगे
हो जाएंगे खाक तो यादों में जिंदा रहेंगे
उड़ जाती है खुशबु एक अंतराल के बाद
पर नही मिटती वह हस्ती
जो कर जाती है जिंदगी, समाज के नाम
जो चले गए अपना सबकुछ दुसरो को देकर
नमन है जननायक प्रो ललित किशोर चतुर्वेदी को 


*#2015*
5 अप्रैल को 84 वर्ष की उम्र में उनका देहांत हुआ।
विपरीत परिस्थितियों में संगठन के गठन व कार्य की शुरुवात की और लाखो लाखो समर्पित कार्यकर्ताओं का निर्माण किया।
49 वर्ष का बेदाग राजनीतिक जीवन प्रेरणा ज्योति है भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए।
पिता प्रो ललित किशोर चतुर्वेदी मेरे लाइफ टाइम आदर्श है।
पुत्र होने के नाते प्रयास करता हूँ कि मेरे जीते जी उनका नाम वातावरण में गूंजता रहे। उनके किये कार्यों से समाज को अवगत कराता रहूं।
2 अगस्त उनके जन्मदिवस पर शत शत नमन व सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
*#डॉ_लोकेश_चतुर्वेदी*