जो जनजाति समाज का व्यक्ति धर्म परिवर्तन करते समय यह शपथ ले रहा है कि वह अपने पूर्वजों का सबकुछ छोड़कर अन्य आस्था की शरण में जा रहा है, तब उसे एसटी होने का स्टेटस भी छोड़ना ही चाहिए।
यह बात जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सूर्यनारायण सूरी ने शुक्रवार को यहां पत्रकार वार्ता में कही। उदयपुर में जनजाति सुरक्षा मंच राजस्थान की ओर से 18 जून को आहूत हुंकार डीलिस्टिंग महारैली की तैयारियों के अंतर्गत उदयपुर आए सूरी ने पत्रकारों से डीलिस्टिंग की आवश्यकता पर चर्चा करते हुए कहा कि जब व्यक्ति अपने पूर्वजों का सबकुछ छोड़कर जा रहा है, इसका अर्थ है कि वह संस्कृति, आस्था, परम्पराओं, परिवार, भाषा, व्यवहार आदि सबको छोड़ रहा है जो उसे अपने पूर्वजों से मिली है, और इस आधार पर ही उसे एसटी का स्टेटस भी छोड़ना ही चाहिए क्योंकि वह भी तो उसे अपने पूर्वजों से ही मिला है।
उन्होंने कहा कि विघटनकारी ताकतें जनजाति समाज के हिन्दू होने पर भी भ्रम खड़ा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि जनजाति समाज के जन्म से लेकर मृत्यु तक के संस्कार सनातन संस्कृति पर आधारित हैं। कुलदेवता, कुलगौत्र, पूजा पद्धति आदि की व्यवस्था वे सनातन संस्कृति की परम्पराओं के अनुरूप ही पालन करते हैं। उन्होंने भ्रम फैलाकर विवाद खड़ा करने वाली ताकतों पर सवाल खड़ा किया कि फॉरेन रिलीजियस वाले होते कौन हैं यह तय करने वाले कि कौन हिन्दू है और कौन नहीं।
सूरी ने धर्मान्तरण को एक बड़ा षड़यंत्र करार देते हुए कहा कि जब धर्म और आस्था का क्षरण होता है तो संस्कृति का क्षरण होता है और धीरे-धीरे आगे जाकर व्यक्ति की पहचान का ही क्षरण हो जाता है। जाति के आधार पर अलग से राज्य की मांग भी इसी षड़यंत्र का हिस्सा है। हमारे देश में कभी जाति के आधार पर राज्य नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि 1947 में भारत ने धर्म के आधार पर बंटवारे का दर्द झेला है, अब हो रहा धर्मान्तरण देश को धर्म के आधार पर फिर तोड़ने का षड़यंत्र कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। उत्तर-पूर्व के जिन राज्यों में धर्मान्तरण बड़ी संख्या में हो चुका है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वहां रविवार को सड़कें सूनी हो जाती हैं क्योंकि सभी चर्च में जाते हैं।
सूरी ने कहा कि डॉ. कार्तिक उरांव ने इन स्थितियों को भांप लिया था तभी उन्होंने डीलिस्टिंग की मांग उठाई थी और संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट भी उनकी बात पर सहमत थी, लेकिन 1970 से यह फाइल लम्बित है जिसे जनजाति सुरक्षा मंच फिर से संसद के पटल पर लाने और संविधान में संशोधन कर धर्मान्तरित जनजाति व्यक्तियों को एसटी के स्टेटस से बाहर करने का प्रावधान जुड़वाने के लिए आंदोलन कर रहा है। सूरी ने बताया कि सात राज्यों में ऐसी रैलियां हो चुकी हैं, राजस्थान आठवां राज्य है। अक्टूबर तक करीब 22 राज्यों में ऐसी रैलियां होंगी। 24-25-26 अक्टूबर को छह राज्यों में तथा 29 अक्टूबर के दिन चार राज्यों में एक साथ महारैली होगी।
उन्होंने कहा कि यह विषय सिर्फ एक जनजाति समाज का नहीं, बल्कि देश की संस्कृति और सुरक्षा से जुड़ा है। इस विषय को समझकर हर समाज आंदोलन में सहयोगी बना है। इसी का उदाहरण है कि उदयपुर में घर-घर से जनजाति बंधुओं के लिए भोजन पैकेट तैयार हो रहे हैं। उनके आंदोलन में हर कोई सहयोग कर रहा है। इस विषय पर जनजाति समाज में भी जागरूकता आई है और अब वह आपस में मिलने के दौरान ‘राम-राम’ अभिवादन के साथ ‘डीलिस्टिंग-डीलिस्टिंग’ कहकर भी अभिवादन करने लगे हैं।
बिपरजॉय तूफान के चलते आयोजन के बाधित होने की आशंका के सवाल पर सूरी ने कहा कि 44 डिग्री तापमान में गौंड जनजाति के लोग डीलिस्टिंग की मांग को लेकर हुई रैली में बिना चप्पल आए थे, तो बारिश की स्थिति जनजाति युवाओं को कहां रोक सकती है, वे इस मौसम में नाचते-गाते-ढोल बजाते आएंगे।
प्रेसवार्ता में जनजाति सुरक्षा मंच के मार्गदर्शक व सामाजिक कार्यकर्ता भगवान सहाय तथा महारैली के संयोजक नारायण गमेती ने 18 जून की विभिन्न व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि इस हुंकार महारैली में एक लाख से अधिक जनजाति बंधुओं के आने की संभावना है।
हुुंकार डीलिस्टिंग महारैली - 18 जून की व्यवस्थाओं पर एक नजर
पांच दिशाएं, उनके चैकपोस्ट और पार्किंग व्यवस्थाएं
-बांसवाड़ा, कुशलगढ़, सलूम्बर, सागवाड़ा से आने वालों की चैकपोस्ट सवीना पेट्रोल पम्प पर रहेगी और इनके वाहनों की पार्किंग सबसिटी सेंटर एवं आसपास के 100 फीट रोड पर रहेगी।
-सिरोही, पाली, गोगुन्दा, राजसमंद व नाथद्वारा मार्ग से आने वाले बंधुओं के लिए सुखेर में चैकपोस्ट रहेगी और इनकी पार्किंग विद्या भवन स्कूल ग्राउण्ड में रहेगी।
-खेरवाड़ा व डूंगरपुर से आने वालों वाहनों की चैकपोस्ट हर्ष पैलेस होटल के समीप रहेगी तथा पार्किंग फतेह स्कूल व माली कॉलोनी रोड पर रहेगी।
-चित्तौड़-प्रतापगढ़ तथा कोटा-बारां की ओर से आने वाले वाहनों की चैकपोस्ट देबारी फ्लाईओवर के नीचे रहेगी तथा चित्तौड़-प्रतापगढ़ के वाहनों की पार्किंग विद्या निकेतन सेक्टर-4 में तथा कोटा-बारां की पार्किंग बीएन ग्राउण्ड में रहेगी।
-कोटड़ा, झाड़ोल, बाघपुरा की ओर से आने वाले वाहनों की चैकपोस्ट सीसारमा पेट्रोल पम्प के पास रहेगी तथा पार्किंग रानी रोड, राजीव गांधी पार्क तक रहेगी।
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शोभायात्रा प्रारंभ स्थल तथा मार्ग
-बांसवाड़ा, कुशलगढ़, सलूम्बर, सागवाड़ा से आने वालों की शोभायात्रा सबसिटी सेंटर भीलू राणा सर्कल से शुरू होकर आवरी माता, पुलिस लाइन, उदियापोल, अमृत नमकीन, बापू बाजार, देहलीगेट, अश्विनी बाजार, हाथीपोल, चेतक, पहाड़ी बस स्टैंड गेट नंबर 2 से गांधी ग्राउण्ड पहुंचेगी।
-सिरोही, पाली, गोगुन्दा, राजसमंद व नाथद्वारा मार्ग से आने वाले बंधुओं की शोभायात्रा फील्ड क्लब से शुरू होकर सहेलियों की बाड़ी, यूआईटी पुलिया, लवकुश स्टेडियम गेट नंबर 3 से मैदान में प्रवेश करेगी।
-खेरवाड़ा व डूंगरपुर से आने वालों की शोभायात्रा निम्बार्क कॉलेज से शुरू होकर सूरजपोल, टाउन हॉल रोड, देहलीगेट, कोर्ट चौराहा, चेतक, पहाड़ी बस स्टैंड गेट नंबर 2 से गांधी ग्राउंड में प्रवेश करेगी।
-चित्तौड़-कोटा की ओर से आने वाले बंधुओं की शोभायात्रा बीएन ग्राउण्ड ग्राउण्ड से शुरू होकर कुम्हारों का भट्टा, दुर्गा नर्सरी, शास्त्री सर्कल, कोर्ट चौराहा, चेतक, पहाड़ी बस स्टैंड गेट नंबर 2 से गांधी गाउंड में प्रवेश करेगी।
-कोटड़ा, झाड़ोल, बाघपुरा की ओर से आने वाले बंधुओं की शोभायात्रा महाकाल से शुरू होकर आयुर्वेद कॉलेज, शिक्षा भवन होते हुए गुरु गोविन्द सिंह स्कूल वाले द्वार गेट नंबर 1 से गांधी ग्राउंड में प्रवेश करेगी।
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भोजन पैकेट व्यवस्था
-भोजन पैकेट के लिए शहरी क्षेत्र को 73 भागों में बांटा गया है तथा समीपवर्ती 113 गांव भी भोजन पैकेट व्यवस्था में शामिल किए गए हैं। इन सभी क्षेत्रों में थैली वितरण का कार्य अंतिम दौर में है। महारैली के दिन 18 जून को दोपहर से भोजन पैकेट एकत्र करने का क्रम शुरू हो जाएगा। 25-25 पैकेट का एक थैला बनेगा। इनको अलग-अलग चैकपोस्ट पर संख्या के अनुसार दोपहर बाद 3 बजे तक पहुंचाया जाएगा। अलग-अलग पांचों दिशाओं में चैकपोस्ट पर ही भोजन पैकेट एकत्र होंगे और कार्यक्रम के उपरांत वहीं से वितरित किए जाएंगे।
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शोभायात्राओं व सभा का समय
-पहली शोभायात्रा सबसिटी सेंटर से 3.30 बजे भीलू राणा पूंजा को नमन करने के साथ शुरू होगी। इसके बाद शेष चारों शोभायात्राएं शुरू होंगी। सभी शोभायात्राएं संतों के सान्निध्य में होंगी। संत श्रीफल शगुन के साथ शोभायात्रा को शुरू करेंगे। संत बग्घियों में बिराजेंगे। शोभायात्रा में जनजाति बंधु पारम्परिक वाद्यों के साथ नाचते-गाते चलेंगे। शोभायात्रा में झांकियां भी रहेंगी। करीब 5 बजे तक सभी शोभायात्राएं सभा स्थल तक पहुंच जाएंगी। इसके बाद विशाल सभा शुरू होगी।
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तीन मंच बनेंगे
-सभा स्थल पर तीन मंच बनाए जाएंगे। मुख्य मंच पर 20 अतिथि बिराजेंगे। एक मंच जनजाति बंधुओं द्वारा पारम्परिक प्रस्तुतियों के लिए रखा गया है। एक अन्य मंच संतों के लिए रहेगा। मैदान को बेरिकेड्स द्वारा जिलानुसार अलग-अलग 9 ब्लॉक में बांटा गया है। सभा स्थल के अंदर व गांधी ग्राउण्ड के बाहर एलईडी की भी व्यवस्था रखी गई है। सभा जनजाति सुरक्षा मंच के झण्डारोहण के साथ शुरू होगी। मंच के सामने पारम्परिक रंगोली भी बनाई जाएगी। शहर के नागरिक महानुभाव मुख्य मंच के दोनों तरफ बैठ सकेंगे। यहां 5 हजार कुर्सियां लगाई गई हैं। इसके लिए निमंत्रण पत्र बांटे गए हैं। एक निमंत्रण पत्र पर 2 व्यक्तियों का प्रवेश रहेगा। वे गेट नम्बर 1 गुरु गोविंद सिंह स्कूल तथा गेट नम्बर 3 लवकुश स्टेडियम से प्रवेश कर सकेंगे। अन्य के लिए सीढ़ियों पर बैठने की व्यवस्था की गई है।
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हर शोभायात्रा के साथ एक एम्बुलेंस
-पांचों स्थानों से निकलने वाली शोभायात्राओं के साथ एक-एक एम्बुलेंस रहेगी। इसी तरह, गांधी ग्राउण्ड के प्रवेश द्वार पर भी एम्बुलेंस रहेगी।
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स्वच्छता कार्यकर्ता भी रहेंगे साथ
-हर शोभायात्रा के पीछे स्वच्छता वाहन व स्वच्छता कार्यकर्ता रहेंगे जो शोभायात्रा के गुजरने के बाद स्थान व मार्ग की स्वच्छता को सुनिश्चित करेंगे। आयोजकों ने सभी को आह्वान किया है कि जैसा स्थान व मार्ग हमें स्वच्छ मिल रहा है, उसे लौटाना भी पूर्ण स्वच्छता के साथ है।
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चौराहे व मार्ग पर भी सजावट
-चौराहों व शोभायात्रा मार्गाे पर भी सजावट की जाएगी। उन्होंने पारम्परिक माण्डणों, रंगोली आदि से सजाया जाएगा ताकि देखने वाले जनजाति संस्कृति से परिचित हो सकें।
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जल व्यवस्था
-चैकपोस्ट, पार्किंग, शोभायात्रा आरंभ स्थल, सभा स्थल सहित शोभायात्रा मार्गाे में पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था रखी गई है। इन सभी व्यवस्थाओं में विभिन्न सामाजिक व स्वयंसेवी संगठन सहयोग प्रदान कर रहे हैं।
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