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वाद्य यंत्रों और सुरो की जुगलबंदी के साथ गज़ल एवं भजन की प्रस्तुति से श्रोता हुए रस विभोर

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05 Mar 23
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वाद्य यंत्रों और सुरो की जुगलबंदी के साथ गज़ल एवं भजन की प्रस्तुति से श्रोता हुए रस विभोर


ख्यातनाम तबलावादक पंडित चतुरलाल की याद में यहां सजी सुर-ताल की महफिल यादगार बन गई, जब सुरों की ऊष्मा ने हल्की ठण्डी रात को भी ऊर्जा से भर दिया। अपने-अपने वाद्यों में पारंगत ख्यातनाम हस्तियों ने सुरों के ऐसे बेशकीमती मोती बिखेरे कि श्रोता रस विभोर हो उठे।

  पंडित चतुरलाल की स्मृति में शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच पर सजी इस महफिल ‘स्मृतियां’ के 22वें संस्करण में तबला के जादूगर पंडित चतुर लाल मेमोरियल सोसाइटी और हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के संयुक्त तत्वावधान में वार्षिक संगीत कार्यक्रम श्रृंखला का विशेष आकर्षण भारत के प्राचीन, विस्मृत और लुप्तप्राय संगीत परंपराओं को सहेजने वाले पारंपरिक वाद्य यंत्र रावणहत्था की विशेष प्रस्तुति ने राजस्थान की रग रग में रची बसी संस्कृति को जीवंत कर दिया।



युवा तबलावादक प्रांशु चतुर लाल, फनकार क्लेरेनेट पर मिठ्ठालाल , रावणहत्था पर हरफूलराम नायक, सारंगी वादक आमीर खां एकसाथ मंच पर क्या बैठे, शिव ख्वाद से सुरों का सारा संसार कुछ देर के लिए मानो वहीं रच-बस गया। इन वादकों की जुगलबंदी की शुरुआत म्हारा बाईसा राज राजस्थानी सुप्रसिद्ध धुन से हुई। कलाकारों ने सुरो और साज को पिरोते हुए लगभग पौन घंटे तक श्रोताओं को खुद में डुबोए रखा। प्रस्तुति के अंत में ‘रिदम मूड’ में आए इन कलाकारों ने केसरिया बालम की धुन छेड़ी, जिसे वादन के मीठे ताल में पिरोते हुए बालम जी म्हारा से प्रस्तुती को विराम दिया।

इसके बाद महोत्सव में कथक किवदंति पंडित बिरजू महाराज जी के पुत्र, कुशल नृतक व कथक के उस्ताद, दीपक महाराज, ने कत्थ्क की प्रस्तुती दी। भजन सम्राट अनूप जलोटा द्वारा ऐसी लागी लगन ...श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया........ जग में सुुंदर है दो नाम भजनों के बाद गज़लो लज्ज्ते गम बढ़ा दीजिये...और तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो की प्रस्तुती दी जिस पर श्रोताओं ने खूब दाद दी। दीपक महाराज एवं अनूप जलोटा द्वारा रंग दे चुनरिया पर एक भव्य जुगलबंदी प्रस्तुत की गयी ।

दो शिखरों के मिलन से निकलने वाले अनुपम संगीत को सुनने श्रोता निर्धारित समय से पूर्व ही शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच की दीर्घाओं पर अपना स्थान ले चुके थे। मधुर एवं सौम्य राग से शुरूआत करते हुए दोनो कलाकरों के संगत के आलाप में श्रोताओं को ऐसा डुबोया कि श्रोता रसविभोर हो गए।

देश में छिपी प्रतिभा को सामने लाने और प्रदर्शित करने के लिए जिंक प्रतिभा टैलेंट हंट का आयोजन के विजेता जयपुर के एश्वर्य आर्य ने पखावज पर उस्ताद अमुरूद्दीन के साथ सारंगी पर संगत कर  श्रोताओं को अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। जिं़क प्रतिभा टैलंेट हंट का आयोजन हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की सीएसआर पहल के रूप में संचालित किया गया। कार्यक्रम में निवृति कुमारी मेवाड़, हिन्दुस्तान जिं़क के सीएफओ संदीप मोदी, सीएसआर हेड अनुपम निधि, अखिलेश जोशी, प्रवीण शर्मा सहित प्रमुख गणमान्य एवं श्रोता उपस्थित थे।

गौरतलब है कि अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त उदयपुर के तबला वादक पण्डित चतुरलाल की स्मृति में पंडित चतुरलाल मेमोरियल सोसायटी-नई दिल्ली एवं वेदान्ता, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के संयुक्त तत्वावधान में शास्त्रीय संगीत संध्या ‘स्मृतियां’ प्रतिवर्ष आयोजित की जाती है। इसमें हर साल संगीत जगत की आला हस्तियों से उदयपुरवासी रू-ब-रू होते हैं। आयोजन में राजस्थान पर्यटन, सह-प्रायोजक राजस्थान स्टेट माइन्स एंड मिनरल्स लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन ,मिराज ग्रुप, यूफोनिक योगा, वेन्यू पार्टनर वेस्ट जोन कल्चरल सेंटर, उदयपुर और हॉस्पिटैलिटी पार्टनर प्राइड होटल, ने भी सहयोग दिया। कार्यक्रम का संचालन श्रुति चतुर लाल ने किया।


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