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राजस्थान की सियासी राजनीति में मुख्यमंत्री  गहलोत का जादू बरकरार

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10 Oct 21
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राजस्थान की सियासी राजनीति में मुख्यमंत्री   गहलोत का जादू बरकरार

-गोपेंद्र नाथ भट्ट-

नई दिल्ली।राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को यूँ हीराजनीति का जादूगर एवं किस्मत का धनी नहीं कहा जाता।

शुक्रवार को उदयपुर  संभाग के वल्लभ नगर और धरियावदविधानसभा सीटों पर हों रहें उप चुनावों के लिए कांग्रेसउम्मीदवारों के नामांकन भरने के बाद आयोजित रेली  में गहलोतका जादू देखने मिला। रेली में मंच पर प्रदेश प्रभारी अजयमाकन और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा के साथपूर्व उप मुख्यमन्त्री सचिन पायलट डॉ गिरिजा व्यास और  अन्यवरिष्ठ नेता भी थे। दोनों रेलियों में मंच पर कांग्रेस की एकजुटता दिखाने में गहलोत कामयाब दिखें। हज़ारों लोगों की भीड़और मानसून के बाद चारों ओर बिछी हरियाली से उनका मनप्रफुल्लित दिखा। गहलोत अपने शागिर्द डॉ रघु शर्मा को 

प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री के गृह जिले गुजरात का पार्टीप्रभारी मनोनीत कराने में भी सफल रहें है। प्रदेश और देश कीराजनीति में एक नए शक्ति पुंज का उद्भव करा उन्होंने अपनेविरोधियों को कई नए सन्देश दिए हैं। रेली के मंच पर डॉ रघुशर्मा की सक्रियता और आत्म विश्वास भी देखते बन रहा था।

पंजाब की सियासी हलचल और मुख्यमंत्री के बदलाव के बादकुछ लोग यह क़यास लगा रहें थे कि पंजाब के बाद राजस्थानऔर छत्तीसगढ़ में भी बड़े बदलाव होंगे लेकिन अपने आदर्शराष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जयन्ती पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुएउन्होंने उन सभी क़यासों पर पानी फेर दिया जिसके ज़रियेकतिपय नेता दिन में ही सत्ता के सपने देखने लगे थे।पंजाब मेंनवजोत सिंह सिद्दू के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने औरनिर्वाचन आयोग द्वारा उप चुनावों की घोषणा ने प्रदेश में किसीभी सम्भावित फेरबदल को नवम्बर-दिसंबर महीनों तक आगेखिसका दिया है। 

इस बीच मुख्यमंत्री गहलोत ने हृदय के ऑपरेशन के बाद अपनेकार्यालय और आम कार्यक्रमों में शिरकत करने के साथ हीपार्टी हाई कमान से भी अप्रत्यक्ष संवाद होने के बाद ऐसा जादूऐसा चला कि बदलाव का सपना देख रहें नेता बगले झांकनेलगें।

 

गहलोत की रणनीति उदयपुर संभाग के वल्लभ नगर औरधरियावद विधानसभा सीटों पर हों रहें उप चुनावों में भी कांग्रेसको विजयी बना अपने शासन के कार्यों और कोरोना प्रबंधन केअच्छे कार्यों पर जनता की मोहर लगवाना है। प्रदेश में पिछलेमहीनों हुए तीन विधानसभा उप चुनावों में से दो में पार्टी कोविजयश्री दिलवा कर वे पहलें भी ऐसा साबित कर चुके है।जिसमें उदयपुर संभाग की सहाड़ा सीट भी शामिल थी जहांउनके रणनीतिकारों डॉ रघु शर्मा और साथियों ने ज़बर्दस्तप्रदर्शन कर दिखाया था। 

इधर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने भी शुक्रवारको वल्लभ नगर और धरियावद में चुनावी रैलियों को सम्बोधितकिया लेकिन मंच पर कांग्रेस जैसी एक जुटता का सन्देश नहीं देपायें।हालाँकि उनके  साथ केन्द्रीय राज्य मंत्री अर्जुन राममेघवाल और विधान सभा में प्रतिपक्ष के उप नेता राजेन्द्र राठौड़ने भी सभा को सम्बोधित किया लेकिन और कोई बड़े नेता इनरैलियों में नहीं दिखें। मूल रूप से उदयपुर संभाग भाजपा के  क़द्दावर नेता और विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चन्दकटारियाँ का गृह संभाग है। वल्लभ नगर में कटारियाँ केसमर्थक को इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया। पूर्व मुख्य मंत्रीवसुन्धरा राजे के समर्थक रणधीर सिंह भिंडर भी उनके कट्टरविरोधी है और कटारिया से टकराव के कारण उन्होंने बीजेपी सेअलग होकर अपना दल जनता सेना बना एक बार विधायक काचुनाव भी जीता है और दूसरी बार भाजपा का खेल बिगाड़ दियाथा। इस बार भी वे चुनाव मैदान में रहेंगे और इसका नुक़सानपार्टी को होगा। वसुन्धरा राजे ने प्रयास किया था कि भिंडर कीपत्नी दीपेन्द्र कंवर को पार्टी टिकट देकर इस झगड़े को पार्टीहित में निपटा दिया जाए लेकिन बताते है कटारियाँ नही मानेलेकिन उनके समर्थक को भी वल्लभ नगर से टिकट नहीं मिला।धरियावाद में भी पार्टी के दिवंगत विधायक के पुत्र जन को  टिकट नहीं देने से उन्होंने पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के विरुद्धनामांकन भर दिया है।पार्टी का यह भीतरघात कहीं कटारिया कोभारी न पड़ जायें। वल्लभ नगर में कांग्रेस को भी अपनेउम्मीदवार दिवंगत विधायक गजेन्द्र सिंह शक्तावत की पत्नीप्रीति शक्तावत के ख़िलाफ़ उनके ही सगे जेठ के विरोध कासामना करना पड़ रहा 


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