नई दिल्ली, केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज टीबी के खिलाफ जन-आंदोलन चलाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य विकास भागीदारों की उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।
बैठक के प्रारंभ में डॉ. हर्ष वर्धन ने संकल्प के लिए कार्रवाई और संसाधन दोनों के प्रति साहसिक प्रतिबद्धता से टीबी की बीमारी पर काबू पाने में भारत सरकार के अंतर्गत राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के लिए किए गए विभिन्न उपायों का उल्लेख किया। सभी रोगियों के लिए सकारात्मक प्रगति सुनिश्चित करने, भले ही वे देखभाल प्राप्त करते हैं, उन्हें यह निशुल्क मिलती है, पिछले कुछ वर्षों में उच्च गुणवत्ता टीबी देखभाल मिली है, इसका उल्लेख करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा, “हम 2021 को टीबी का वर्ष बनाना चाहते हैं”। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इन फायदों से सेवाओं, टीबी के अपमान को दूर करने और 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में सहायता मिलेगी।
बीमारी पर पूरी तरह काबू पाने के नये दृष्टिकोण के महत्व का उल्लेख करते हुए और टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए तीव्र और सतत् ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा, “यद्यपि राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम टीबी के प्रबंधन और संबंधित सेवा प्रदान करने को और मजबूत करने के लिए प्रयासों को बढ़ाने का काम कर रहा है, जब अधिक जनसंख्या लोकतंत्र की भावना का उपयोग करेगी और पीढ़ियों की जागरूकता के जरिए जन-आंदोलन को समर्थन देगी, अपने समुदायों के बीच स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने के व्यवहार को प्रोत्साहन देगी और टीबी के अपमान से मुक्ति दिलाएगी, तभी इस रोग के खिलाफ आंदोलन सफल होगा।” उन्होंने अधिकतम जनसंख्या तक तेजी से पहुंचने, पूर्ण भागीदारी और समुदायों के सहयोग तथा आंदोलन के मूल स्तम्भों के रूप में विभिन्न चरणों में टीबी की कार्रवाई में समुदाय आधारित समूहों के महत्व को उजागर किया।
कोविड-19 के प्रबंधन में मिली सीख से प्रेरणा लेते हुए भारत ने न केवल महामारी पर सफलतापूर्वक काबू किया है, परंतु वह आशा की किरण के रूप में उभरा है, जबकि विश्व समाधान नैदानिक और वैक्सीन के लिए भारत की ओर देख रहा है। डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, “महामारी ने एक बार फिर केन्द्रित और मजबूत संदेश की भूमिका पर ध्यान केन्द्रित किया है, जिससे सही सूचना और समुचित व्यवहार तथा स्वच्छता की प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी की ललक उत्पन्न की जा सकती है। इसी प्रकार टीबी लक्षणों पर राष्ट्रव्यापी संदेश रोग की सूचना के स्तर में वृद्धि कर सकते हैं और देश में टीबी के संक्रमण पर नियंत्रण से संबंधित ऐहतियाती व्यवहार पर जागरूकता विकसित कर सकते हैं।” उन्होंने स्मरण कराया कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के नाते पोलियो के खिलाफ जागरूकता विकसित करने के लिए उठाए गए कदमों के तहत नजदीकी कैमिस्ट दुकानों की भागीदारी रही थी।
उन्होंने विकास भागीदारों के साथ मिलकर स्थापित किए जाने वाले नेशनल टेक्नीकल सपोर्ट यूनिट के विचार-विमर्श की अध्यक्षता की। इससे भारत सरकार के प्रयासों में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सहायता की जा सकेगी, ताकि टीबी कार्यक्रम के अंतर्गत उपलब्ध सेवाओं पर जागरूकता और मांग विकसित करने के संचार दृष्टिकोण के माध्यम से जमीनी कार्यक्रम को मजबूत बनाने में मदद दी जा सके।
टीबी कार्यक्रम के साथ कार्य कर रहे और कार्यक्रम में भाग ले रहे विकास भागीदारों ने पिछले कुछ वर्षों में किए गए कार्य के प्रभाव की सूचना दी और प्रस्तावित जन-आंदोलन को सहयोग देने की अपनी योजनाओं को साझा किया।
बैठक में केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण, विश्व स्वास्थ्य संगठन के भारत में प्रतिनिधि डॉ. रोडरिको ऑरफिन, मंत्रालय की अपर सचिव सुश्री आरती आहूजा, महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. सुनील कुमार और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों तथा बीएमजीएफ और यूएसएआईडी जैसे विकास भागीदारों के प्रतिनिधि शामिल हुए।