GMCH STORIES

अश्व पूजन की परम्परा का निर्वहन किया भंवर बाईसा मोहलक्षिका कुमारी मेवाड ने

( Read 5547 Times)

25 Oct 20
Share |
Print This Page
अश्व पूजन की परम्परा का निर्वहन किया भंवर बाईसा मोहलक्षिका कुमारी मेवाड ने

उदयपुर, अश्विन शुक्ल नवरात्रि की नवमीं पर मेवाड वंश परम्परा के अनुरूप सम्पन्न हुई ’अश्व पूजन‘ की अनवरत परम्परा। इस वर्ष भंवर बाईसा मोहलक्षिका कुमारी जी मेवाड द्वारा पुरोहितजी व पण्डितों के मंत्रोच्चारण के साथ ’लीला की पायगा‘ में अश्व पूजन किया गया।

महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया कि इस उत्सव पर कोरोना महामारी के कारण सामाजिक दूरी आदि का विशेष ध्यान रखते हुए अश्व पूजन की परम्परा को पूर्ण किया। अश्वों को पारम्परिक तरीकें से नखशिख आभूषण, कंठी, सुनहरे छोगें, मुखभूषण, लगाम, चवर आदि से श्ाृंगारित कर पूजन में लाया गया।

मंत्रोंच्चारण के साथ भंवर बाईसा मोहलक्षिका कुमारी जी मेवाड ने पूजन में सुसज्जित नागराज, अश्वराज व राजमुकुट अश्वों पर अक्षत, कुंकुम, पुष्पादि चढाकर आरती की गई। पूजन के साथ अश्वों को भेंट में आहार एवं वस्त्रादि के साथ ही ज्वारें धारण करवाई गई।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Headlines
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like