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अपने घर ‘बूंदी‘ में ही पहचान को मोहताज ‘हाडी रानी‘

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31 Jan 20
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अपने घर ‘बूंदी‘ में ही पहचान को मोहताज ‘हाडी रानी‘

कोटा  (डॉ. प्रभात कुमार सिंघल) |  ‘‘चुण्डावत मांगी सेनाणी, सिर काट दे दियो क्षत्राणी... इतिहास में उत्कृष्ट बलिदान की साक्षी बूंदी की बेटी एवं मेवाड़ की बहू वीरांगना हाडी रानी का नाम राजस्थान ही नहीं अपितु पूरे विश्व में विशेष पहचान रखता है। राजस्थान की आन, बान व शान की प्रतीक हाडी रानी की शादी मेवाड़ रियासत के सलूम्बर ठिकाने के रतन सिंह चुण्डावत से हुई थी। शादी के महज सात दिन बाद ही युद्ध भूमि में जाते अपने पति को मोह से मुक्त करने के लिए निशानी के तौर पर अपना सिर काटकर भेजने वाली यह वीरांगना इतिहास में हाडी रानी के रूप में प्रसिद्ध है। करीब 400 साल पहले घटी इस विलक्षण घटना की वीरांगना क्षत्राणी के मायके बूंदी में इस महान बलिदानी बेटी का इतिहास अभी तक गुमनामी में ही है।‘‘ यह विचार गुरूवार को बूंदी में आयेजित हाडी रानी की जयंति के अवसर पर आयोजित संगोष्टी में राजपूत छात्रावास के पूर्व वार्डन बाबोसा हेमचंद्र सिंह हाडा ने व्यक्त किए। उन्होने इस बात पर दुख जताया कि बूंदी की हाडी रानी का इतिहास में सलूम्बर की बहूरानी के रूप में वर्णन है लेकिन बूंदी में किस ठिकाने की वे बेटी थी यह अभी भी स्पष्ट नहीं हो पाया है। संगोष्ठी का आयोजन राजपूत सोशल वारियर्स संस्थान महिला मोर्चा के द्वारा किया गया जिसकी अध्यक्षता जिलाध्यक्ष चंद्रावती कंवर ने की। संगोष्ठी को डाबेटा सरपंच राज कंवर, उपाध्यक्ष मधू कंवर, हितेंद्र कंवर व अर्चना कंवर ने भी सम्बोंधित किया। 


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