नई दिल्ली । फिल्मकार अपर्णा सेन का कहना है कि ‘‘घरे बाइरे आज’ अभी तक की उनकी सर्वाधिक राजनीतिक और मुखर फिल्म है जो ‘‘उदार आवाजों’ को कुचलने के विषय पर है। यह फिल्म रविन्द्रनाथ टैगोर के उपन्यास ‘‘घरे बाइरे’ पर आधारित है। 36 चौरंगी लेन, मिस्टर एंड मिसेज अय्यर, द जैपनीज वाइफ और इति मृणालिनी जैसी फिल्मों के लिए समालोचकों से प्रशंसा बटोर चुकीं सेन ने कहा कि वह फिल्मों के जरिए एक सार्थक र्चचा शुरू करना चाहती हैं। इसी कहानी पर सत्यजीत रे 1984 में एक फिल्म बना चुके हैं। मौजूदा फिल्म की कहानी तीन मुख्य पात्रों के इर्दगिर्द घूमती है। इनमें से एक किरदार पत्रकार गौरी लंकेश से प्रभावित है जिनकी हाल ही में हत्या कर दी गई। सेन ने कहा कि इनमें से कोई भी किरदार किसी भी वास्तविक पात्र पर आधारित नहीं है, सिवाय निखिलेश के जो गौरी लंकेश से थोड़ा प्रभावित है। सेन ने कहा, मेरे लिए मजबूत विपक्ष होना बेहद जरूरी है।