उदयपुर,मोहन लाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के कला महाविद्यालय के अधिष्ठाता रहे प्रो रवीन्द्र नाथ व्यास की स्मृति में 10 मई को एक व्याख्यान एवं फिल्म प्रदर्शन का आयोजन किया गया| प्रो व्यास की स्मृति में यह चतुर्थ व्याख्यान था| इसमें जाने माने पत्रकार और फ़िल्मकार अविनाश दास मुख्य अतिथि थे| अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट और बाज़ार के दबाव के बावजूद सिनेमा को अपने समय के गंभीर सवालों को अभिव्यक्ति देनी होगी वर्ना वह सिनेमा मर जायेगा | उन्होंने कहा कि तमाम खतरों के बावजूद हमें कुछ चीज़ों पर बात करनी चाहिए | उन्होंने कहा कि यह समय असामान्य किस्म का समय है | दूरियां ज्यादा हैं , जंग भी चल रहा है , विश्वास की कमी है | ऐसे समय में कला , विचार और व्यवसाय में सामंजस्य बैठा कर अपनी बात कहने का तरीका ढूँढना पड़ता है | अपने समय के मुख्यधारा के सिनेमा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदी सिनेमा भारतीय समाज की विविधता को ठीक तरह से प्रतिबिंबित नहीं करता | दलित अब भी हिंदी सिनेमा में निर्णायक स्थिति में नहीं हैं | एक दलित विमर्श जैसा साहित्य में है वैसा दलित सिनेमा का आना अभी शेष है |विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ रंगकर्मी और भारतीय लोक कला मंडल के निदेशक डॉ लईक हुसैन ने कहा कि रंगकर्म और सिनेमा हमें मानवीय और रचनात्मक तरीके से जीवन की चुनौतियों का सामना करना सिखाता है | उन्होंने कहा कि रचनाकार को स्वयं बोलने की ज़रुरत नहीं होती उसका काम बोलता है | कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता एवं लेखक डॉ आर एम् लोढ़ा ने की | उन्होंने कहा कि प्रो.रविन्द्र नाथ व्यास कई दशकों तक सुखाडिया विश्वविद्यालय में सेवारत रहे और अपनी शिक्षण शैली , विद्यार्थियों के प्रति प्रेम एवं शोध दृष्टि के चलते अत्यंत लोकप्रिय शिक्षक रहे | सेवा निवृति के पश्चात वे कुछ समय तक जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ में शोध अधिष्ठाता के पद पर रहने के बाद मलेशिया चले गए जहाँ छः वर्ष तक वे प्रोफेसर रहे | प्रो रविन्द्र नाथ व्यास मेमोरियल समिति के अध्यक्ष शंकर लाल चौधरी ने कहा कि एक आदर्श शिक्षक के साथ ही नगर के सामाजिक , सांस्कृतिक और राजनैतिक जीवन में आम लोगों के हितों के रक्षक के रूप में उन्हें याद किया जाता है | जनतान्त्रिक विचार मंच के संयोजक के रूप में उन्होंने जनवादी और वाम ताकतों को एकजुट करने में बड़ी भूमिका निभाई | प्रो व्यास की पुत्री डॉ इति व्यास ने अपने पिता के व्यक्तित्व के अनछुए पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किये | इस अवसर पर महावीर समता सन्देश के प्रधान संपादक हिम्मत सेठ की पुस्तक “समाजवाद के सारथी” का लोकार्पण किया गया | कार्यक्रम का सञ्चालन प्रो हेमेन्द्र चण्डालिया ने किया | प्रारंभ में अशोक जैन मंथन ने काव्य पाठ किया और फिल्म “ इन गलियों में” का प्रदर्शन किया गया | धन्यवाद ज्ञापन डॉ चन्द्र देव ओला ने किया |
कार्यक्रम अशोक नगर स्थित विज्ञान समिति भवन सभागार में संपन्न हुआ |