उदयपुर, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संघटक मात्स्यकी महाविद्यालय में तीसरे दिन प्रशिक्षण समारोह का समापन हुआ। जिसकी अध्यक्षता मात्स्यकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता एवं प्रसार शिक्षा निदेशालय महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के निदेशक डाॅ. आर. ऐ. कौशिक एंव विशेष अतिथि महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता डाॅ. बी. के. शर्मा एवं डाॅ. आशिष झा, प्रमुख वैज्ञानिक आई.सी.ए.आर.-सी.आई.एफ.टी. वेरावल की उपस्थिती में सम्पन्न हुआ। डाॅ. आर. ऐ. कौशिक ने बताया की इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण के अन्तर्गत आई.सी.ए.आर.-सी.आई.एफ.टी. के द्वारा महाविद्यालय में एक मत्स्य प्रसंस्करण इकाई की स्थापना भी की गयी। जिससे राजस्थान के आदिवासी बाहुल्य क्षैत्र के किसानों एवं यहाॅ पर अध्ययनरत छात्र छात्राओं की इस इकाई से आने वाले समय में मछली के मुल्य संवर्धित उत्पाद बनाने में आसानी रहेगी। मात्स्यकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डाॅ. आर. ऐ. कौशिक ने आई.सी.ए.आर.-सी.आई.एफ.टी. वेरावल के निदेशक एवं उनके वैज्ञानिको का दिल से आभार व्यक्त किया। प्रशिक्षण के दौरान कृषकों ने मछली एवं झींगा मछली के विभिन्न प्रकार के मुल्य संवर्धित उत्पाद बनाये एवं प्रशिक्षण पाकर सभी किसानों के चेहरे खिले हुए थे।
तीन दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान आई.सी.ए.आर.-सी.आई.एफ.टी. के द्वारा 60 प्रशिक्षणार्थियों को आदान-प्रदान किये गए जिनमें मुख्य रूप से 50 किलो क्षमता के आइस बोक्स, 3 हजार फीट फसलाजाल, 5 घाघरा जाल, मछली की साफ सफाई के लिए 60 कटिंग बोर्ड एवं अन्य सामग्री अध्यक्ष एवं अतिथियों की उपस्थिती में वितरीत की गयी। इस अवसर पर बोलते हुए महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता डाॅ. बी. के. शर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि हमारे आदिवासी कृषक इस प्रशिक्षण के दौरान सीखी हुई विधा को ना सिर्फ अपने तक ही समिति रखेगें अपितु अन्य कृषक साथियों को भी इस ज्ञान से लाभान्वित करेगें। डाॅ. शर्मा ने कृषकों का आह्वान किया की वे मछली पकड़ने के साथ साथ कम मुल्य की मछलियों के मुल्य संवर्धित उत्पाद तैयार कर अपनी कमाई को 3 से 4 गुना बढ़ा सकते है जिसके लिए उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों ने अपने हाथ उठाकर सहमती प्रदान की सी.आई.एफ.टी. के प्रमुख वैज्ञानिक डाॅ. आशिष झा ने किसानों का आह्वान किया की ये आदान जो की आपको आज वितरीत किये गए है यह एक मात्र शुरूआत है अगर आपने प्रशिक्षण के दौरान सीखे एवं बनाये गए उत्पादो को बनाकर बेचने में अपनी रूची दिखाई तो आई.सी.ए.आर. के सी.आई.एफ.टी. द्वारा आपके यहाॅ पर भी मात्स्यकी महाविद्यालय की तरह एक छोटी इकाई की स्थापना की जा सकती है।
समापन समारोह क अवसर पर उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों मे से प्रवीण जी मीणा, अम्बालाल, सुश्री प्रियका एवं चमका देवी ने भी प्रशिक्षण के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। समापन कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय की सहायक आचार्य डाॅ. सुमन ताकर ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के सह आचार्य डाॅ. एम. एल. औझा ने दिया।