GMCH STORIES

कृषि संरचना और पर्यावरण प्रबंधन में प्लास्टिक अभियांत्रिकी पर दो दिवसीय वार्षिक कार्यशाला का शुभारंभ

( Read 2037 Times)

22 Feb 24
Share |
Print This Page

कृषि संरचना और पर्यावरण प्रबंधन में प्लास्टिक अभियांत्रिकी पर दो दिवसीय वार्षिक कार्यशाला का शुभारंभ

एम पी यू ए टी उदयपुर में आज दिनांक 22 फरवरी 2024 को कृषि संरचना और पर्यावरण प्रबंधन में प्लास्टिक अभियांत्रिकी पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की 19 वीं दो दिवसीय वार्षिक कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। कार्यशाला का आयोजन एमपीयूएटी उदयपुर एवं सीफेट, लुधियाना के संयुक्त तत्वाधान में किया जा रहा है कार्यशाला में परियोजना के राष्ट्र भर में 14 केंद्र अपनी वर्ष भर का प्रतिवेदन प्रस्तुत करेंगे।

कार्यशाला के मुख्य अतिथि डॉ अजीत कुमार कर्नाटक कुलपति महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर ने बताया कि प्लास्टिक का विवेकपूर्ण उपयोग कृषि के क्षेत्र में वरदान सिद्ध हो रहा है निश्चित ही प्लास्टिक का पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव रहता है परंतु इसका विवेक पूर्ण उपयोग अन्य पदार्थों का एक सस्ते विकल्प के रूप में अपनी पहचान पूरे विश्व में बन चुका है। डॉ कर्नाटक ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं राज्य कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक संयुक्त रूप से उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। जिसके परिणाम स्वरूप भारत आज खाद्य पदार्थों के उत्पादन में आत्मनिर्भर तो हो ही चुका है तथा निर्यात में भी कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। कार्यशाला के अध्यक्ष डॉ एस एन झा उप महानिदेशक अभियांत्रिकी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ने वैज्ञानिकों को अपने अनुसंधान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं इंटरनेट आफ थिंग का समावेश करने के लिए प्रेरित किया डॉक्टर झा ने बताया कि वैज्ञानिकों को वर्तमान समस्याओं पर आधारित अनुसंधान करना चाहिए एवं नित्य नए नवाचारों को अपने के लिए सक्षम बनना चाहिए। डॉ के नरसिया अतिरिक्त निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली ने वैज्ञानिकों से तकनीकी नवाचार करने एवं उसके आर्थिक पक्ष को संज्ञान में रखते हुए लागत कम करने आह्वान किया।

डॉक्टर नचिकेत कोतवालीवाले, निर्देशक सीफेट, लुधियाना ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि जन मानस में प्लास्टिक को लेकर काफी भ्रांतियां हैं जबकि विवेकपूर्ण व जिम्मेदारी पूर्वक उपयोग प्लास्टिक की उपयोगिता बढ़ता है । डॉ नचिकेत ने वैज्ञानिकों को बहुआयामी अनुसंधान कार्यों को एक छत के नीचे लाकर सामूहिक प्रयास करने के लिए प्रेरित किया। कार्यालय में डॉ राकेश शारदा, परियोजना समन्वयक सीफैट, लुधियाना ने परियोजना का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने नई तकनीकियों की जानकारी दी। कार्यशाला में टी . बी.एस राजपूत पूर्व परियोजना निदेशक, भारतीय जल प्रबंधन संस्थान, न्यू दिल्ली एवं इंजीनियर आनंद झांबरे, कार्यकारी निदेशक, एनसीपीएएच, नई दिल्ली विशेषज्ञ के रूप में भाग ले रहे हैं जो की नई परियोजनाओं एवं वार्षिक प्रतिवेदन की समीक्षा करेंगे।

डॉ अरविंद वर्मा अनुसंधान निदेशक महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर ने अतिथियों का स्वागत किया एवं उदयपुर केंद्र की वर्षभर की उपलब्धियां का संक्षिप्त विवरण दिया साथ ही डॉक्टर वर्मा ने प्लास्टिक का कृषि में संभावित उपयोगो पर चर्चा करी। डॉ पीके सिंह अधिष्ठाता, प्रौद्योगिकी एवम अभियांत्रिकी महाविद्यालय उदयपुर ने विश्व भर में जल संरक्षण में प्लास्टिक लाइनिंग व अन्य प्लास्टिक उपकरणों का महत्व बताया एवं पधारे हुए अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Education News
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like