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मान्यताओं के उपहास से पहले उसके पीछे का विज्ञान जानें - डॉ. योगानन्द शास्त्री

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09 Sep 23
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मान्यताओं के उपहास से पहले उसके पीछे का विज्ञान जानें - डॉ. योगानन्द शास्त्री

उदयपुर  जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ और गुरु विद्यापीठ, रोहतक के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित आज के परिप्रेक्ष्य में विविध विमर्श विषयक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रथम दिवस मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. योगानन्द शास्त्री ने कहा कि मान्यताओं के उपहास से पहले उसके पीछे का विज्ञान जानना चाहिए। उन्होंने अपनी बात देवी-देवताओं के वाहनों के उदाहरण से बताते हुए कहा कि गणेश जी का वाहन मूषक इसलिए माना जाता है क्योंकि वह उनके ध्वज में स्थित है। उसका भी यह कारण है कि वे शत्रु को उनकी भोज्य सामग्री ख़त्म कर कमज़ोर कर देते थे। ये प्रतीक गूढ़ और समझने योग्य हैं।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. कर्नल एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय पुरातन ज्ञान को स्थापित कर आधुनिक शिक्षा के दोषों को दूर करने पर बल दिया गया है। हमें युवाओं को वेदों के अध्ययन को प्रोत्साहित करना चाहिए। जीवन में सफलता के लिए शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक विकास ज़रूरी है।  हम कितना भी तकनीक का उपयोग कर लें, सनातन मूल्यों के सरंक्षण व संवर्धन के लिए साहित्य एक कारगर युक्ति है।
प्रारम्भ में स्वागत करते हुए समन्वयक डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी ने कहा तेजी से विकसित हो रही दुनिया में, समकालीन चुनौतियों को समझने और उनसे निपटने की प्रगति के पीछे अनुसंधान एक प्रेरक शक्ति है। उन्होंने शोध के संदर्भ में विभिन्न विमर्शों पर जानकारी प्रदान की।
मुख्य वक्ता काशी विद्यापीठ के डॉ. चंद्रशेखर सिंह थे, उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर अपने विचार प्रस्तुत किये और उसमें निहित विभिन्न विमर्शों पर प्रकाश डाला।
डॉ. नरेश सिहाग ने कहा कि हालिया शोध निष्कर्ष हमारे समय की चुनौतियों के लिए अंतर्दृष्टि और समाधान प्रदान करते हैं। इन दिनों शोधकर्ता हाशिए पर रहने वाले समुदायों पर भेदभाव, पूर्वाग्रह और प्रणालीगत असमानताओं के प्रभाव की भी जांच कर रहे हैं और इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए रणनीतियों का प्रस्ताव कर रहे हैं।
डॉ. सुलक्षणा अहलावत ने सामजिक मुद्दों और समस्याओं पर चर्चा करते हुए कहा कि, लैंगिक भेदभाव, जातिवाद, और सामाजिक न्याय के प्रति जागरूकता आवश्यक है।
हिमाचल प्रदेश से वक्ता डॉ. उषा रानी ने नारी विमर्श पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि ऑनलाइन मुद्दे अतिसंवेदनशील होते हैं। महिलाओं को सोशल मीडिया के प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिए और अतिआकर्षण के प्रति जागरूक रहना चाहिए।
संगोष्ठी के संयोजक गुरु विद्यापीठ के संस्थापक डॉ. विकास शर्मा ने बताया कि प्रथम दिवस पर 40 से अधिक शोध पत्रों का वाचन किया गया, जो हमारे सामयिक चुनौतियों की समझ और उनके समाधान प्रस्तुत कर समाज के जटिल परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव में योगदान दे सकते हैं।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. नरेश सिहाग ने किया जबकि आभार डॉ. सुलक्षणा अहलावत ने जताया। तकनीकी संचालन डॉ. दिलीप चौधरी, विकास डांगी ने किया।
कार्यक्रम में  डॉ. हेमंत साहू, डॉ. ललित सालवी, निजी सचिव कृष्णकान्त नाहर, जितेन्द्र सिंह चौहान,  सहित शोधकर्ता व विद्यार्थी उपस्थित थे।

 


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