महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा कोटडा तहसील ’’मेरा गांव मेरा गौरव’’ कार्यक्रम के अन्तर्गत गोद लिये गये पांच गाँवों के जनजातीय किसान एवं किसान महिलाओं के लिए एक दिवसीय मुर्गीपालन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन प्रसार शिक्षा निदेशालय, उदयपुर एवं अखिल भारतीय समन्वित कुक्कुट प्रजनन अनुसंधान परियोजना के जनजातीय उपयोजना घटक के संयुक्त तत्वाधान में सम्पन्न किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के अध्यक्ष डाॅ. आर.ए. कौशिक, निदेशक, प्रसार शिक्षा निदेशालय, उदयपुर ने ग्रामीण क्षेत्र में पोषण सुरक्षा एवं उद्यमिता निर्माण हेतु मुर्गी पालन के महत्व पर जानकारी दी। उक्त कार्यक्रम में डाॅ. सिद्धार्थ मिश्रा, परियोजना प्रभारी ने विश्वविद्यालय द्वारा विकसित प्रतापधन नस्ल जो कि मेवाड़ी, ब्राॅयलर एवं आर.आई.आर. नस्ल से विकसित की गई है। प्रतापधन मुर्गी एक द्विप्रयोजनी रंगीन मुर्गी नस्ल है, जिसे ग्रामीण क्षेत्र में आसानी से पाली जा सकती है। प्रतापधन मुर्गी प्रति वर्ष लगभग 150 से 160 अण्डे देती है, जो कि देशी नस्ल की तुलना में अधिक लाभकारी है। इसके साथ ही डाॅ. मिश्रा ने मुर्गीपालन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुये जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम में डाॅ. लतिका व्यास, आचार्य, प्रसार शिक्षा निदेशालय, उदयपुर ने जनजातीय कृषकों एवं कृषक महिलाओं को विश्वविद्यालय की विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। प्रशिक्षण कार्यक्रम के अन्त में 50 जनजातीय परिवारों को ’’मेरा गाँव मेरा गौरव’’ कार्यक्रम में अखिल भारतीय समन्वित कुक्कुट प्रजनन परियोजना के अन्तर्गत प्रतापधन के चुजे, दाना व पानी के बर्तन वितरीत किये गये।