GMCH STORIES

अन्र्तराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

( Read 5107 Times)

17 Apr 21
Share |
Print This Page
अन्र्तराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संघटक राजस्थान कृषि महाविद्यालय में सस्य विज्ञान विभाग में आज एक अन्र्तराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें 1473 प्रतिभागीयों ने भाग लिया। मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. नरेन्द्र सिंह राठौड़ ने जलवायु परिवर्तन आधारित खेती की आवश्यकता पर विस्तृत जानकारी दी डाॅ. राठौड़ ने कहा कि बदलते मौसम के परिपेक्ष्य में खेती में नवाचार के द्वारा अधिक उत्पादन एवं किसानों की आय बढायी जा सकती है। उन्होनें अपने उद्बोधन में कहा कि उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाने के लिए जलवायु परिवर्तित खेती की सम्भावनाओं को तलाशना होगा। नई तकनीकी को एग्रो-एड़वाइजरी के जरिए किसानों तक सही समय पर पहुँचाना होगा तथा सही समय पर फसल की कटाई से उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। तापमान की अनुकूलता को देखते हुए एंव ग्रीन हाऊस तकनीक को अधिक से अधिक काम में लेते हुए फसल उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। अधिष्ठाता, डाॅ. दिलीप सिंह ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागीयों का स्वागत करते हुए बदलते मौसम में कृषि की आवश्यकता के बारे में बताया।

विश्व संसाधन संस्थान के निदेशक डाॅ. अरिवुदाई नाम्बी अप्पादुराई ने कहा कि ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए जलवायु आधारित खेती का योगदान महत्वपूर्ण है। उन्होंने फसल विविधिकरण प्रणाली, मृदा नमी, मृदा कटाव रोकने की तकनीक, मृदा में पोषक तत्वों की क्षमता बढ़ाना, जल उत्पादकता बढ़ाना, कृषि वानिकी एवं शहरी कृषि महत्वपूर्ण उपाय है साथ ही तकनीको के विकास और उनके क्रियान्वन के लिए नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं और गैर सहकारी संस्थानों के मध्य संबंध इस दिशा में सकारात्मक भूमिका निभा सकते है। कृषि अनुसंधान संस्थान एशिया-पेसिफिक संघठन के विशेष सचिव डाॅ. रवि क्षैत्रपाल ने कहा कि एशिया पेसिफिक भू-भाग में लगभग 94 प्रतिशत छोटे किसान है जो जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि में विविधिकरण लाकर कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ा सकते है। उन्होंने बढते तापमान के लिए पशुपालन जैसे व्यवसाय को भी जिम्मेदार माना है जलवायु परिवर्तन के कारण संभावित कारणों की पहचान करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता पर बल दिया। अपने उद्बोधन में डाॅ. श्रेत्रपाल ने पेरिस समझौते पर अमल करने की बात भी कही। अनुसंधान निदेशक, डाॅ. एस के शर्मा ने मौसम परिवर्तन आधारित खेती में मानव स्वास्थ्य एवं खाद्य सुरक्षा पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी आयोजन सचिव एवं सस्य विज्ञान विभागाध्यक्ष डाॅ. मनोज कुमार कौशिक ने सभी का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. विरेन्द्र नेपालिया ने किया।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Education News
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like