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विगत से प्रेरित हो तय करें युवा, भविष्य का मार्ग: डॉ.नरेंद्र सिंह राठौड़

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22 Jan 21
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विगत से प्रेरित हो तय करें युवा, भविष्य का मार्ग: डॉ.नरेंद्र सिंह राठौड़

उपरोक्त विचार महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ,उदयपुर के माननीय कुलपति तथा उदघाटन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ.नरेंद्र सिंह  राठौड़ ने सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय दवरा आयोजित   तथा अखिल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली,राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना द्वारा प्रायोजित “विधार्थियो  की प्रेरणा : सामुदायिक विज्ञानं के सफल व्यक्तित्व के अनुभव”      विषयक  एक दिवसीय वेबिनार में व्यक्त किये.ऑनलाइन  हुए इस वेबिनार को सम्बोधित करते हुए आपने बताया की छात्र-छात्राओं में सामुदायिक विज्ञान विषय के प्रति रुझान बढ़ने ,इसके कार्यक्षेत्रों एवम महत्व पर विस्तृत जागरूकता हेतु राष्ट्रीय स्तर के अनुभवी और ख्यातनाम विषय विशेषज्ञों को एक ही मंच पर लाकर उनके प्रेरणादायी जीवन से छात्रों को प्रेरित करने के इस प्रयास की सराहना की.आयोजकों  के इस प्रयास को पूर्णतया प्रासंगिक बताते हुए छात्र- छात्राओं से आग्रह किया की वे सभी वक्ताओं के कृतित्व व् व्यक्तित्व से शिक्षा लेकर स्वयं के जीवन की दिशा बदले । डॉ राठौड़ ने कहा कि सफलता का कोई शार्ट कट नहीं होता हे । समर्पण व्  सतत प्रयास जीवन के अनमोल सूत्र हैं । हमें चाहिए  कि  बीते कल से प्रेरणा  लेकर वर्तमान में सही योजना बनाये ताकि भविष्य में सफलता का मार्ग प्रशस्त हो सके  ।

महाविद्यालय की अधिष्ठाता डा.मीनू श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए सामुदायिक  विज्ञान विषय के विभिन्न क्षेत्रों के लिए छात्रों में अंतर्दृष्टि विकसित करने एवं समुदाय और समाज के छात्रों के लिये एक व्यापक एवं वृहद स्तर विकसित करने पर जोर दिया।आपने विषय विशेष की महत्ता बताते हुए कहा की ना सिर्फ जीवन में अपितु समुदाय के उत्थान के लिए अपने ज्ञान का उपयोग करे ।  उन्होनें विद्यार्थियों को समुदाय विज्ञान विषय की महत्ता बताते हुये प्रोत्साहित किया। वेबिनार के कनवीनियर डा.एस. के.शर्मा, निदेशक अनुसंधान एवं डा.अजय कुमार शर्मा, डीन, सी.टी.ए.ई., महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्यौगिकी विश्वविधालय, उदयपुर रहे

प्रथम सत्र में विशिष्ट अतिथि डा.नीलम ग्रेवाल,माननीय कुलपति, गुरू काशी विश्वविद्यालय, भटिंडा, पंजाब  ने कहा की विद्यार्थियों के मूल्य स्पष्ट होने चाहिए, वही हमें लक्ष्य तक पहुचाते है। उन्होनें कहा की हमारे रोल मॉडल हमारे माता-पिता और शिक्षक होने चाहिए। जीवन में बाधाए आती है  उनका सामना करते हुये आगे बढे ।

आयोजन सचिव ,डा.प्रकाश पंवार ने वेबिनार के बारे में जानकारी देते हुये बताया की वेबिनार में देश भर के 355 प्रतिभागियों ने भाग लिया। वेबिनार की  समन्वयक डॉ सरला लखावत ने  बताया कि वेबिनार में विभाग आधारित कुल पांच सत्र आयोजित किये गए  यथा संसाधन प्रबंधन और उपभोक्ता विज्ञान,वस्त्र एवं अभिकल्पन  ,खाद्य विज्ञान और पोषण ,मानव विकास और पारिवारिक  अध्ययन, प्रसार शिक्षा और संचार प्रबंधन । जिनके विशेषज्ञो का सत्र पूर्व परिचय विभागाध्यक्षों सीमा द्विवेदी, डॉ सुधा बाबेल, डॉ रेनू मोगरा , डॉ. गायत्री तिवारी , व डॉ प्रकाश पंवार द्वारा दिया गया

 

द्रितीय सत्र में प्रोफेसर  जितेन्द्र किश्तवारीया,इमरायटस वैज्ञानिक, पालनपुर ने अपनी सफलता की कहानी बताते हुये गृहविज्ञान (समुदाय विज्ञान) को अत्यंत उपयोगी एवं सार्थक विषय बताया। उन्होनें वोकल फ़ॉर लोकल पर जोर देते हुये विद्यार्थियों का स्टार्ट अप की ओर ध्यान आकर्षित किया। साथ ही उन्होँने विद्यालय स्तर पर समुदाय विज्ञान को एक विषय के रूप में शामिल करने की बात कही।

तृतीय सत्र में प्रोफेसर पूनम अग्रवाल, विशेषज्ञ(पोषण), एन.सी.आर.टी.,न्यू दिल्ली ने कृषि विश्वविद्यालय में अध्ययन को गर्व की बात बताया एवं गृह विज्ञान महाविद्यालय, उदयपुर को अपनी उपलब्धियों का श्रेय दिया।उन्होनें सेमेस्टर सिस्टम प्रणाली को परंपरागत प्रणाली की तुलना में व्यक्तित्व विकास के लिये श्रेष्ठ बताया। समुदाय विज्ञान के अधिकतर विषय कई सरकारी विभाग से सीधे संबंधित है, इसलिए इसमें प्रोजेक्ट आसानी से मिल जाते है। 

चौथे सत्र में  मानव विकास और परिवार अध्ययन विभाग, हैदराबाद की पूर्व इमरायटस वैज्ञानिक डा.के.मयूरी का ने जीवन में सफलता के सूत्र बताते हुये अपने आप में विश्वास रखते हुये कभी भी हार नहीं मानने की बात कही। आपने अपने अनुभवों को व्यक्तिगत , व्यावसायिक  तथा विभागीय स्तर पर बताते हुए विषय के प्रति स्वयं की समझ व लगाव को सफलता के लिए अनिवार्य बताया  ।

अंतिम सत्र में डा.सूर्या राठौड़ ने अपने संघर्ष और उपलब्धियों की कहानी विस्तार से बताई ,जिसे सुनकर विद्यार्थी बेहद प्रभावित और प्रेरित हुये। आयोजन समिति की सदस्य डा.गायत्री तिवारी  ने संचालन तथा डॉ सुधा बाबेल ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।   इस अवसर पर डा.जयमाला दवे, सह समन्वयक भी उपस्थित थी।


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